भविष्य जानने की सटीक विधा है ताड़ पत्रों पर लिखी ‘नाड़ी ज्योतिष!’ 

विंग कमांडर शशिकांत ओक ने इस विधा का अध्ययन कर किताब लिख दी!

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भविष्य जानने की सटीक विधा है ताड़ पत्रों पर लिखी ‘नाड़ी ज्योतिष!’

ये अपने अलग से विषय पर अनोखी किताब है। इसकी रोचकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे अधूरा पढ़कर नहीं छोड़ा जा सकता। ये किताब है ताड पत्र पर लिखी भाषा को समझकर किसी का भविष्य बताना। इसे ‘नंदी नाड़ी ज्योतिष’ नाम से भी जाना जाता है। अन्य ज्योतिष विधाओं में 12 भाव होते हैं, जिनसे फलादेश किया जाता है, जबकि नाड़ी ज्योतिष विधि में 16 भाव होते हैं। नंदी नाड़ी ज्योतिष मूल रूप से दक्षिण भारत में अधिक लोकप्रिय और प्रचलित है। इस ज्योतिष विधा में ताड़ पत्र पर लिखे भविष्य से ज्योतिष के जानकार फल कथन करते हैं। माना जाता है कि इस विद्या के जानकार लोग ताड़पत्र पर लिखे भविष्य के अनुसार नाड़ी ज्योतिष में दिन और निश्चित समय में होने वाली घटनाओं का जिक्र भी कर सकते हैं।

लेखक शशिकांत ओक ने इस विधा को लेकर गंभीर अध्ययन किया है। उन्होंने खुद अपना और परिवार का भविष्य इसके जरिए जाना और फिर कई और लोगों का भविष्य जानकर उसकी सत्यता का परीक्षण किया। इस किताब की सबसे ख़ास रोचकता भी यही है कि इसमें सांईबाबा का भी ताड भविष्य आंका गया और उनके बारे में हर पक्ष का पता लगाया।

इस किताब के मुताबिक ‘नाड़ी भविष्य’ नास्त्रेडेमस की भविष्यवाणी से भी ज्यादा सटीक है। 300 से ज्यादा पृष्ठों की इस किताब में इसी एक विषय पर 48 अध्याय हैं जिनमें नदी ज्योतिष के बारे में हर संभव जानकारियां संजोई गई है।

यदि किसी से यह कहा जाए कि उसके जन्म से पहले ही जीवन की सभी घटनाओं और आपके बच्चों एवं परिवार के बारे में सब कुछ लिखकर रख दिया गया है, तो शायद कोई भी यकीन नहीं करेगा। लेकिन, दक्षिण भारत में एक ऐसी ज्योतिष विद्या प्रचलित है जिसमें यह दावा किया जाता है कि इसमें दुनिया के हर व्यक्ति का भूत, भविष्य और वर्तमान सब लिखा है। यह सब आज की बात नहीं है। हजारों साल पहले ही सब कुछ लिख दिया गया था।

निश्चित समय में होने वाली घटनाओं को आधार मानकर इससे पंचांग की सत्यता की भी जांच भी की जा सकती है। अगर अन्य ज्योतिष विधि से प्राप्त फलादेश का नाड़ी ज्योतिष विधि से मिलान करें, तो भविष्य में आपके साथ होने वाली घटनाओं के विषय में आप निश्चित जानकारी पा सकते हैं। इस विद्या के मुताबिक ग्रहों की पीड़ा का निदान भी किया जाता है। इस नाड़ी ज्योतिष विज्ञान के जानकार भले ही कम हों, लेकिन दक्षिण भारत में इस विद्या में विश्वास रखने वाले लोग अधिक हैं।

ज्योतिष की इस विधा के संदर्भ में एक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि एक बार पार्वती भगवान शिव से जिद करने लगी कि सृष्टि के अंत तक धरती पर आने वाले मनुष्य का जीवन कैसा होगा, वह कौन-कौन से कर्म करेंगे यह बताएं। भगवान शिव पहले तो टालने का प्रयास करने लगे। लेकिन, जब पार्वती नहीं मानी तब शिवजी ने पूरा वृतांत कहना शुरू किया। नंदी द्वार पर प्रहरी बनकर खड़े थे। इन्होंने शिव और पार्वती की बातें सुन ली। इन बातों को नंदी ने ऋषियों को बता दिया। ऋषियों ने इसे ताड़पत्र पर लिखकर रख दिया। ऋषियों द्वारा लिखा गया यह लेख नंदी नाड़ी ज्योतिष के नाम से जाना जाता है।

ताड़पत्र में व्यक्ति की पत्नी, पति, माता-पिता का नाम, बच्चों के नाम, बच्चों की संख्या और उनसे संबंधित अन्य जानकारी लिखी होती है। माना जाता है कि व्यक्ति जिन कारणों से परेशान होता है उसका कारण पूर्व जन्म का कर्म होता है। ज्योतिषी द्वारा बताए गये उपायों को श्रद्घा पूर्वक पूरा करने पर पूर्व कर्म का फल नष्ट हो जाता है और व्यक्ति को कष्ट से मुक्ति मिल जाती है।

भविष्य का लेखा जोखा

जिन लोगों को अपनी जन्मतिथि और जन्म समय की जानकारी नहीं होती, वे भी इस शास्त्र विधि के जरिए अपना भविष्य जान सकते हैं और यहां तक कि जन्म कुंडली भी बनवाई जा सकती है। यदि आपको अपने जन्मतिथि, नक्षत्र, वार, लग्न आदि का पता है तो जानकार ताड़पत्री तलाश कर कुंडली बना सकते हैं। इस विधा के जरिए सबसे पहले पुरुष से दाएं हाथ के अंगूठे का और महिलाओं से बाएं हाथ के अंगूठे का निशान लेते हैं। इसके बाद कुछ ताड़ पत्र सामने रखा जाता है। नाम का पहला और अंतिम शब्द पूछा जाता है। नाम से जिस जिस ताड़पत्र का मिलाप होता है, उससे कुछ और सवाल और माता-पिता अथवा पत्नी के नाम का मिलाप किया जाता है। जिस ताड़पत्र से मिलाप होता है उसे ज्योतिष जानकर पढ़कर भविष्य कथन करते हैं।