
बड़वानी में अखिल भारतीय टाइगर आकलन 2026 सफलतापूर्वक संपन्न, जंगलों में तेंदुओं की मजबूत मौजूदगी उजागर
बड़वानी। अखिल भारतीय टाइगर आकलन 2026 के तहत बड़वानी (टेरीटोरियल) वन मंडल में कराए गए सर्वेक्षण का कार्य सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। इस सर्वे में जिले के जंगलों में तेंदुओं की उल्लेखनीय उपस्थिति सामने आई है। यह सर्वे 18 दिसंबर से 24 दिसंबर के बीच राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के राष्ट्रीय फ्रेमवर्क के तहत बड़वानी वन मंडल के मैदानी अमले द्वारा किया गया।
वन मंडलाधिकारी (डीएफओ) बड़वानी आशीष बंसोड़ ने बताया कि बड़वानी वन मंडल का कुल क्षेत्रफल लगभग 895 वर्ग किलोमीटर है। सर्वे के दौरान 65 वन बीटों में इकोलॉजी ऐप के माध्यम से निर्धारित दिशा-निर्देशों और मानकों के अनुसार बड़े मांसाहारी वन्यजीवों की निगरानी की गई। सर्वेक्षण के दौरान 56 विभिन्न स्थानों पर तेंदुए की मौजूदगी की पुष्टि पगचिन्हों के माध्यम से हुई। इसके अलावा पेड़ों पर पंजों के निशान, मल (स्कैट) और अन्य अप्रत्यक्ष संकेत भी दर्ज किए गए।
डीएफओ ने बताया कि फील्ड सर्वे से पहले मैदानी कर्मचारियों को सटीक और प्रमाणिक आंकड़े एकत्र करने के लिए मॉक ड्रिल भी कराई गई थी। सर्वे के दौरान विभिन्न वन्यजीवों की उपस्थिति का आकलन करने के लिए मल के नमूने भी एकत्र किए गए। अधिकारियों ने वन्यजीवों की मौजूदगी की पुष्टि के लिए तीन से चार अलग-अलग तरीकों का उपयोग किया।
उन्होंने बताया कि टाइगर (बिग कैट) आकलन हर चार वर्ष में किया जाता है, जिससे वन्यजीवों की संख्या और उनके रुझानों का आकलन किया जा सके। इससे यह पता चलता है कि किसी प्रजाति की संख्या बढ़ रही है या घट रही है, जिससे पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए बेहतर वन एवं वन्यजीव प्रबंधन संभव हो पाता है। सर्वे में मांसाहारी और शाकाहारी दोनों प्रजातियों के आंकड़ों पर विशेष ध्यान दिया गया।
डीएफओ के अनुसार सर्वाधिक तेंदुए के पगचिन्ह पाटी और बोकराटा रेंज में पाए गए। वहीं सर्वे के दौरान राजपुर वन परिक्षेत्र की एक बीट में तेंदुए को विचरण करते हुए भी देखा गया। तेंदुए के अलावा लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, खरहा, लंगूर, भालू, मोर, नीलगाय और सांभर जैसे कई अन्य वन्यजीवों की मौजूदगी के संकेत भी मिले हैं। वर्ष 2022 की तुलना में तेंदुओं की संख्या में वृद्धि प्रतीत हो रही है, जिसका कारण अनुकूल आवास परिस्थितियां और वन क्षेत्र का विस्तार बताया गया है।
उन्होंने बताया कि इस अभ्यास के दौरान मांसाहारी जीवों के संकेत सर्वे, उनके शिकार (हर्बिवोर) की उपलब्धता और अन्य आंकड़े एकत्र कर पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत का विश्लेषण किया जाता है। बड़वानी सहित प्रदेश के अन्य वन मंडलों से एकत्रित आंकड़े विस्तृत विश्लेषण के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान को भेजे जाएंगे। पगचिन्हों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर विशेषज्ञ अंतिम रिपोर्ट तैयार कर भारत सरकार को प्रस्तुत करेंगे।
उधर, सेंधवा वन मंडल के वन मंडलाधिकारी (डीएफओ) आईएस गडरिया ने बताया कि सेंधवा वन मंडल में टाइगर सर्वे 5 जनवरी से 12 जनवरी के बीच किया जाएगा। इसके लिए सभी आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं ताकि सर्वे निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार सुचारू रूप से संपन्न हो सके।





