
The Allure of Government Bungalows: बन गए कलेक्टर, राजधानी में बंगले का ऐसा मोह कि दे रहे है 10 गुना किराया
भोपाल: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मनचाहा सरकारी बंगला मिलना टेढ़ी खीर है। भोपाल से तबादला होने के बाद दुबारा यहां आने पर पसंद का सरकारी बंगला पाना मुश्किल होता है। यही कारण है कि नौकरशाह भोपाल से दूसरे जिलों में कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत बनने के बाद भी राजधानी के सरकारी बंगलों को नहीं छोड़ रहे है। इसके लिए वे दस गुना किराया भी सरकारी खजाने में जमा कर रहे है।
प्रदेश के तीन कलेक्टरों सहित एक दर्जन से अधिक मौजूदा आईएएस, आईपीएस और अन्य अफसर भोपाल का सरकारी बंगला नहीं छोड़ पा रहे है। आईएएस, आईपीएस और रापुसे, राप्रसे के अफसरों को सरकार जिलों में कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, पुलिस अधीक्षक और जिला प्रशासन तथा जिला पुलिस में विभिन्न पदों पर नियुक्त करती है लेकिन इन सभी मैदानी अफसरों को जिलों में तीन साल से अधिक रहने का मौका नहीं मिल पाता है। बार-बार तबादले और पारिवारिक स्थितियों, बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्ग माता-पिता, बड़े भाई-बहनों के इलाज के लिए परिवार को राजधानी भोपाल या बड़े शहरों में रखना इनकी मजबूरी है। यही कारण है कि रिटायरमेंट और शहर से बाहर ट्रांसफर होने के बाद निर्धारित छह माह की समयसीमा के बाद भी ये दस गुना किराया देकर भोपाल में रह रहे है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उमरिया कलेक्टर धरणेन्द्र जैन ई117/12 शिवाजी नगर, दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर डी 2/11 चार इमली, मंदसौर कलेक्टर अदिति गर्ग डी-12, अपर आयुक्त ग्वालियर निधि सिंह को ईएन/7 चार इमली , स्पेशल डीजी रेलवे से रिटायर हुए आईपीएस सुधीर कुमार शाही को चार इमली में डी 9, सीईओ जिला पंचायत रीवा मेहताब सिंह गुर्जर को ईएन टाइप बंगला चार इमली में, आईएएस रतनाकर झा को डी 4/9 चार इमली, पुलिस उपमहानिरीक्षक स्तर के अधिकारी अमित सांघी को डी 4/9 चार इमली , उमाकांत चौधरी डीएसपी, रिटायर्ड एसपी एमएल चौरसिया सहित सरकारी आवासों में ट्रांसफर और सेवानिवृत्ति के बाद रह रहे एक दर्जन आईएएस, आईपीएस, एसएएस, एसपीएस को गृह विभाग ने नोटिस जारी कर राजधानी भोपाल के शासकीय आवास खाली करने को कहा है।





