वरिष्ठ पत्रकार कौशल किशोर चतुर्वेदी की विशेष रिपोर्ट
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये राज्य शासन की गारंटी का प्रस्ताव मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में पारित किया गया है। इसके तहत आगर-शाजापुर-नीमच सौर पार्क की कुल 1500 मेगा वाट क्षमता की 10 गुना से अधिक क्षमता के लिए जारी निविदा में प्राप्त प्रतिस्पर्धा और न्यूनतम टैरिफ के लिए प्रमुख कारकों में से एक, “राज्य शासन द्वारा परियोजना विकास को राज्य शासन द्वारा गारंटी देने” के निर्णय का अनुमोदन किया। इसके कारण देश में न्यूनतम सोलर टैरिफ प्राप्त किया गया हैं।
राज्य शासन की गारंटी दिये जाने से कई लाभ हुए। भुगतान सुरक्षा के कारण परियोजना विकास को ऋण, कम ब्याज दर पर प्राप्त हुआ। परियोजना स्थापना में अंतर्राष्ट्रीय विकासकों द्वारा रुचि ली गयी, जिन्हें विदेशी संस्थाओं से कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त हो सका। भुगतान जोखिम कम होने से विकासकर्ता कम लाभ अर्थात कम अंश पूंजी वापसी पर भी परियोजना स्थापना करने के इच्छुक रहे। बहुस्तरीय भुगतान सुरक्षा में राज्य शासन की गारंटी के दृष्टिगत कम कार्यशील पूंजी की आवश्यकता होती है। कार्यशील पूंजी पर ब्याज टर्म लोन से अधिक होता है।
अतः राज्य शासन गारंटी उपलब्ध होने से कार्यशील पूंजी लागत पर लगने वाले अतिरिक्त ब्याज को बचाया जा सका है। मध्यप्रदेश में उपलब्ध कुल बिजली आपूर्ति का लगभग 21 प्रतिशत हिस्सा नवकरणीय ऊर्जा से प्राप्त होता है। कार्बन उत्सर्जन को कम करने के अपने निरंतर प्रयास में राज्य शासन वर्ष 2030 तक नवकरणीय ऊर्जा से बिजली आपूर्ति का हिस्सा बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वांकाक्षी योजना कुसुम-ए के तहत दो-दो मेगावाट के सोलर प्लांट लगाने के लिए किसानों को अवसर प्रदान किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद भी इस योजना के तहत प्रदेश में 2000 मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने की मंशा जता चुके हैं, जिसे सरकार 3 रुपए पांच पैसे से लेकर 3 रुपए सात पैसा प्रति यूनिट में खरीदेगी। मुख्यमंत्री शिवराज की मंशा भी यही है कि किसान पुत्र इस योजना के तहत सौर ऊर्जा प्लांट लगाएं और अपनी आय भी बढाएं और नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन में सहभागी भी बनें।
लेकिन अफसोस की बात है कि इन किसानों को लोन में न तो राज्य सरकार की गारंटी दी जा रही है, न ही कुसुम-बी और कुसुम सी योजना की तरह कोई सब्सिडी है और न ही इसे एग्रीकल्चर इंफ्रा फंड में शामिल किया गया है। न ही सॉफ्ट लोन के लिए स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी की बैठक बुलाई गई है जिसे निर्देशित किया जाए कि बिना कोलेटरल गारंटी के 15 फीसदी अंश के साथ लोन दिया जाए ताकि सौर ऊर्जा उत्पादन में सहभागी होने का साहस कर रहे किसानों का यह सपना साकार हो सके।
प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप किसानों को अतिरिक्त आय के साधन उपलब्ध हों, इसलिए नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) लागू की गई है। इसके अंतर्गत मध्य प्रदेश के लिए कुसुम-ए के अंतर्गत फिलहाल 500 मेगावॉट का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें करीब 300 मेगावॉट क्षमता के संयंत्रों की स्थापना के लिये लैटर ऑफ अवार्ड (एलओए) जारी किये गये हैं तथा उनके पॉवर परचेसिंग एग्रीमेंट (पीपीए) संबंधी कार्यवाही प्रगति पर है। इस योजना के अंतर्गत पीपीए के अनुसार संयंत्र से उत्पादित विद्युत डिसकॉम द्वारा क्रय किये जाने के अतिरिक्त केन्द्र व राज्य शासन के द्वारा कोई वित्तीय सहायता अथवा सुविधा प्रदान नहीं की गई है।
सोलर पार्क स्कीम के अंतर्गत लागू प्लग एंड प्ले मॉडल में निवेशकों को जमीन भी उपलब्ध कराई जा रही है, साथ ही सब स्टेशन का व्यय भी डिसकॉम द्वारा वहन किया जा रहा है। रीवा में 750 मेगावॉट तथा जिला आगर, शाजापुर व नीमच में कुल 1500 मेगावॉट क्षमता के संयंत्रों की स्थापना के लिये म. प्र. शासन की ओर से निवेशकों को 25 वर्ष पीपीए के अंतर्गत पीपीए के अनुसार भुगतान किये जाने को सुनिश्चित करने की गारंटी दी गई है।
ऐसे में कुसुम-ए योजना के तहत किसानों को राज्य शासन की ओर से पीपीए के अनुसार भुगतान किये जाने को सुनिश्चित करने की गारंटी प्रदान की जानी चाहिए। बड़े-बड़े निवेशकों को तो सरकार जमीन भी उपलब्ध करा रही है, लेकिन छोटे-छोटे किसान तो खुद ही जमीन की व्यवस्था कर रहे हैं। ऐसे में यदि सरकार का किसानों के प्रति सौतेला व्यवहार रहा तो वास्तविक छोटे किसान कभी भी सौर ऊर्जा प्लांट का सपना साकार नहीं कर पाएंगे।
ऐसे में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की मंशा कभी पूरी नहीं होगी या फिर उस पर डाका डालकर किसानों की जगह पूंजीपति ले लेंगे। इसके साथ ही एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से जोड़कर अधिकतम रु. 10 करोड़ प्रति प्रोजेक्ट के सॉफ्ट लोन प्रदान करने की सुविधा प्रदान की जाती है, तब सोलर ऊर्जा में किसान प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की अपेक्षा पर खरे उतरकर प्रदेश को सौर ऊर्जा से रोशन कर आदर्श राज्य बना सकेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी संवेदनशीलता दिखाकर किसानों की किस्मत बदल सकते हैं।
यदि सरकार बड़े-बड़े निवेशकों के प्रति दरियादिली दिखाकर प्रदेश का हित साधने को तैयार है, तो छोटे-छोटे किसानों की निगाहें भी सरकार की मेहरबानी पर टिकी हैं। बड़े निवेशक तो वैकल्पिक व्यवस्थाएं जुटा भी सकते हैं, लेकिन इन छोटे निवेशकों के संसाधन भी सीमित हैं और अगर सरकार का साथ नहीं मिला तो किसान हमेशा की तरह अपनी किस्मत को कोसने के लिए मजबूर रहेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना और शिवराज की सोच भी किसानों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकेगी।