

पुस्तक मेला गवाह है…कि शिक्षा माफिया से मुक्त है जबलपुर…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
संस्कारधानी जबलपुर में 25 मार्च से 5 अप्रैल तक पुस्तक मेला लगा है। पुस्तक मेला में माता-पिता अपने बच्चों संग पुस्तकें खरीदने भारी संख्या में पहुंच रहे हैं। हाथ में पुस्तक-स्टेशनरी का बैग लिए माता-पिता के चेहरों पर खुशी तैरती नजर आ रही है। दरअसल बात भी यही है कि यह पुस्तक मेला जबलपुर के शिक्षा माफिया से मुक्ति की गवाही दे रहा है। यह मुक्ति जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना और उनकी टीम के अथक प्रयासों की सफलता से मिल पाई है। यह प्रयास सीएम डॉ. मोहन यादव के उस ट्वीट की परिणति थे, जिसमें निजी स्कूलों द्वारा तय पुस्तक विक्रेता से पुस्तकें खरीदने को मजबूर किया जा रहा था। सीएम ने इनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की इच्छा जताई थी और कलेक्टर दीपक सक्सेना ने सीएम की मंशा पर जो कार्यवाही की, वह पूरे प्रदेश और देश के लिए मिसाल बन गई। इसके साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लग गया। और पिछले साल तक जो निजी स्कूल बच्चों को महंगी, फर्जी आईएसबीएन वाली किताबों का बोझ लादने को मजबूर करते थे, अब वे सस्ती और गुणवत्तायुक्त एनसीईआरटी की किताबें बच्चों को पढ़ाने की राह पर हैं। और इस पुस्तक मेला में जहां कॉपियों पर 50 प्रतिशत की छूट मिल रही है तो एनसीईआरटी की किताबें पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं। और यह विशेष व्यवस्था भी यहां पर है कि जो माता-पिता एनसीईआरटी की किताबें खरीदने में असमर्थ हैं, उन्हें पुरानी किताबों का सेट सस्ते दाम में मुहैया कराया जा रहा है। और जाते-जाते अभिभावक जिला प्रशासन की इस मुहिम की सराहना कर आनंद का अनुभव कर रहे हैं। किताबों के दामों में पिछले साल की तुलना में हजारों रुपए का अंतर इस बात का गवाह है कि निजी स्कूल और पुस्तक व गणवेश विक्रेताओं के नेक्सस ने किस कदर बच्चों के माता-पिता की कमर तोड़ रखी थी।
संजय कुमार और सुरभि सिन्हा निजी स्कूल में पढ़ रहे चौथी और पांचवी कक्षा के बच्चों की किताबें खरीदने पुस्तक मेला में आए थे। उनकी दोनों बच्चों की किताबें 990 रुपए में आ गईं। पिछली बार किताबों का बजट 8000 पर पहुंचा था। निजी स्कूल ज्यादा दाम और फर्जी आईएसबीएन वाली किताबें खरीदने को मजबूर करते थे, जो जिला प्रशासन की कार्यवाही के बाद एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाने को मजबूर हो गए हैं। वह बताते हैं कि इससे बच्चों के बैग का बोझ 15 किलो से घटकर 5 किलो पर आ गया है। राहत मिली है बच्चों को और उनके माता-पिता को भी।
तो रेल्वे में कार्यरत अमरीश कुमार सिंह और उनकी पत्नी आकांक्षा सिंह ने बताया कि उनके बच्चे दूसरी और छठवीं कक्षा में पढ़ते हैं। पिछले साल पहली क्लास में बच्चे की किताबें 2500 रुपए में आईं थीं। इस बार 195 रुपए में आ गईं हैं। जबलपुर के लगभग सभी निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें लागू हो गईं हैं। पिछले साल निजी स्कूलों पर कलेक्टर ने जो कार्यवाही की है, वह अच्छी पहल है। प्रदेश के दूसरे जिलों में भी निजी स्कूलों पर कार्यवाही हो, तो प्रदेश के सभी बच्चों और उनके माता-पिता को राहत मिल सकती है। जो मां-बाप महंगी किताबों को एफोर्ड नहीं कर पाते, वह भी निजी स्कूलों की जबर्दस्ती से मजबूर हो जाते हैं। जबलपुर में अब सबके लिए समान व्यवस्था हो गई है।
जबलपुर में कलेक्टर दीपक सक्सेना की पहल पर पिछली साल भी अप्रैल माह में पुस्तक मेला लगा था। पर तब तक अभिभावक किताबें खरीद चुके थे। और निजी स्कूलों की किताबों को लेकर मनमानी जारी थी। इस बार का पुस्तक मेला गवाह है कि जबलपुर शिक्षा माफिया और निजी स्कूलों की मनमानी से मुक्त हो गया है। अब पुस्तक मेला को सरकार के निर्देश पर प्रदेश के दूसरे जिलों में लगाया जा रहा है, पर अभी दूसरे जिले निजी स्कूलों की मनमानी सहन करने को मजबूर हैं। मुख्यमंत्री जी एक बार जबलपुर आकर अभिभावकों के चेहरों की खुशी को देखिए…आप महसूस करेंगे कि जबलपुर का पुस्तक मेला सब जिलों में लगे पर साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाना भी जरूरी है…।