जड़ों की पुकार ने करवा दी 5 परिवार की घर वापसी

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जड़ों की पुकार ने करवा दी 5 परिवार की घर वापसी

झाबुआ से कमलेश नाहर की रिपोर्ट

अपनी जड़ों की पुकार के चलते5 परिवार की घर वापसी हो गई।वर्षो पूर्व बीमारी के इलाज के लालच में अपना मूल धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाने वाले परिवार फिर से मूल धर्म मे लौट आये। इसे धर्म जागरण के प्रयास का सुफल माना जा रहा है।

बुधवार की सुबह एक ऐसी हलचल से पारा क्षेत्र के बलोला गांव में शुरू हुई, जिसने पूरे इलाके की हवा बदल दी। गांव के रास्तों से लेकर हनुमान मंदिर परिसर तक हर कदम पर एक अलग ही ऊर्जा, एक अलग ही जोश और लौटती पहचान की गूंज महसूस की जा सकती थी। वातावरण में ऐसी गंभीरता और गरिमा थी, मानो गांव अपनी किसी खोई हुई धरोहर को फिर से प्राप्त करने जा रहा हो।

 

इसी माहौल में गांव के 5 परिवारों के करीब 40 लोगों ने ईसाई धर्म त्यागकर स्वेच्छा से हिंदू धर्म में सामूहिक ‘घर-वापसी’ की। मंदिर परिसर वैदिक मंत्रोच्चार, नारों और उत्साह से भर उठा, जब सभी परिवारों ने एक साथ पुनः अपनी पारंपरिक आस्था को अपनाया।

 

परिवारों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि परिस्थितियों, बीमारी और भ्रम के कारण वे वर्षों पहले अपनी राह से हट गए थे, लेकिन अब उन्होंने अपनी जड़ों की पुकार को पहचाना और स्वेच्छा से लौट आए। माड़िया पिता जुबानसिंह टोकरियां, जितेंद्र पिता डूंगरसिंह सिंगाड, कमु पिता गुलसिंग बारिया, शंकर पिता रमेश सिंगाड और पिदु पिता भुरू डामोर – इन पाँचों परिवारों ने एक ही समय, एक ही मंच पर पुनः हिंदू धर्म स्वीकार किया।

गांव में इसे सिर्फ धार्मिक घटना नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक चेतना और परंपरागत पहचान के पुनर्जागरण के रूप में देखा जा रहा है। ग्रामीणों ने इसे बलोला गांव का “गौरव दिवस” बताया। यह सामुहिक घर वापसी धर्म जागरण के प्रयासों का सुखद सुफल के रुप में देखा जा रहा है।