राजनीतिक घटनाओं और खेल से जुड़े आयोजनों का कॉकटेल रोमांच अपने चरम पर रहा
गोपेंद्र नाथ भट्ट की खास रिपोर्ट
देश में शनिवार को राजनीतिक घटनाओं और खेल से जुड़े आयोजनों का कॉकटेल रोमांच अपनी चरम सीमा पर रहा।
एक ओर देश की राजधानी नई दिल्ली में जी-20 देशों के स्पीकर्स का पी -20 सम्मेलन का समापन हुआ वहीं कांग्रेस के नई दिल्ली में 15 रकाबगंज स्थित वार रूम में विधान सभा चुनाव के लिए राजस्थान कांग्रेस के उम्मीदवारों का चयन करने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक स्थल के बाहर अलग ही नज़ारे दिखें । इसी प्रकार भाजपा के केन्द्रीय कार्यालय में रविवार को होने वाली केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद राजस्थान भाजपा उम्मीदवारों की दूसरी सूची को लेकर भी उत्सुकता देखी गई।
दूसरी ओर नौ दिवसीय नवरात्री से एक दिन पूर्व अहमदाबाद के नरेन्द्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान के मध्य आयोजित हुए एक दिवसीय विश्व कप मैच का रोमांच हर किसी के सर चल कर बोला। इस हाई वोल्टेज मैच में भारत ने अपने परम्परागत प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को एक दिवसीय विश्व कप मैच प्रतिस्पर्धा में आठवीं बार शिकस्त दी। इस मैच को देखने एक लाख से अधिक दर्शकों से खचाखच भरें स्टेडियम में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी अपने परिवार सहित मौजूद थे।
इसी तरह शनिवार को मुंबई के नीता मुकेश अंबानी सांस्कृतिक केंद्र (एनएमएसीसी) में आयोजित ऐतिहासिक अंतर राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी (आईओसी ) के 141वें सत्र की आधिकारिक तौर पर शुरुआत हुई ।मशहूर खिलाड़ियों और फ़िल्मी सितारों से सजे उद्घाटन समारोह में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए। आईओसी के अध्यक्ष थॉमस बाक इस सत्र के लिए भारत यात्रा पर हैं।आईओसी का यह तीन दिवसीय ऐतिहासिक सत्र 15 से 17 अक्टूबर तक मुंबई में चलेगा।
ओलम्पिक के 128 वर्षों के इतिहास में यह केवल दूसरी बार है कि आईओसी का सत्र भारत में आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले 1983 में भारत ने नई दिल्ली में पहली बार इसकी मेजबानी की थी।
आईओसी का सत्र हर साल कम से कम एक बार आयोजित होता है ।अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के सदस्यों की यह आम बैठक है जिसमें आगामी खेल आयोजनों के लिए मेजबान शहरों, खेल और महासंघों को शामिल करने या बाहर करने और ओलंपिक चार्टर में बदलाव के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय किए जाते हैं। ये सत्र आईओसी का सर्वोच्च अंग माना जाता हैं और इन बैठकों में लिए गए निर्णय अंतिम होते हैं।
आईओसी के इस 141वें सत्र के शुभारम्भ समारोह सितारों और मशहूर खिलाड़ियों से सजा था लजिसमें ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा और अभिनव बिंद्रा, विश्व मुक्केबाज चैंपियन निकहत ज़रीन, भारतीय टेनिस के दिग्गज लिएंडर पेस, अटलांटा 1996 के कांस्य पदक विजेता और टोक्यो 2020 कुश्ती पदक विजेता बजरंग पुनिया के साथ टोक्यो में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य, भारतीय हॉकी आइकन पीआर श्रीजेश आदि भी उपस्थित थे। इस अनुभवी गोलकीपर ने हाल ही में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के हांगझू में एशियाई खेल 2023 में भारत को स्वर्ण पदक जीतने में मदद की थी ।समारोह में दीपिका पादुकोन, रणबीर कपूर और आलिया भट्ट जैसे फ़िल्मी सितारों ने भी बॉलीवुड का तड़का लगा कर इस आयोजन में चार चाँद लगायें।
भारत 2024 में पेरिस में होने वाले समर के बाद अमरीका के केलिफ़ोर्निया में 2028 में होने वाले ओलंपिक अथवा उसके बाद खुद भी ओलंपिक आयोजन का दावेदार बनना चाहता है। इसके लिए आदर्श वातावरण बनाने और युवाओं में खेलो के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए इस बार हेरिटेज फिल्म फ़ाउण्डेशन के संस्थापक निदेशक शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर की संस्था को विशेष जिम्मेदारी दी गई जिसकी अनुपालन में उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक म्यूज़ियम के सहयोग से मुम्बई की प्रतिष्ठित नेशनल सेंटर ऑफ द परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) और नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशल सेण्टर ( आईआईसी ) में एक पखवाड़ा का ओलंपिक खेल फिल्म समारोह “रील लाइफ में ओलंपिक – फिल्मों और तस्वीरों का एक महोत्सव”आयोजित किया।यह महोत्सव शनिवार 14 अक्टूबर को सम्पन्न हुआ । इस अनूठे महोत्सव में ओलंपिक की अब तक की सुनहरी यात्रा को फ़िल्मों और चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया ।यह आयोजन भारत की ओलंपिक में ठोस दावेदारी का काम करेगा । इसमें ओलंपिक खिलाडियों और विशेषज्ञों के साथ ही कला, संस्कृति, फिल्म, मीडिया आदि से जुड़ी कई प्रसिद्ध हस्तियों भी शिरकत की तथा मशहूर अभिनेता एवं फ़ाउण्डेशन के ब्राण्ड एम्बेसडर अमिताभ बच्चन ने इसके पोस्टर का लोकार्पण किया।
महोत्सव में कोन इचिकावा, मिलोस फॉरमैन, कार्लोस सौरा, क्लाउड लेलौच और जॉन स्लेसिंगर जैसे प्रसिद्ध फिल्म निर्माताओं की कुल 33 ओलंपिक फ़िल्मों का प्रदर्शन हुआ। साथ ही 10 ओलंपिक चैनल श्रृंखलाओं के माध्यम से ओलंपिक खेलों में भारत की गौरवमयी यात्रा को उजागर किया गया।
*कांग्रेस की पहली और भाजपा की दूसरी सूची के लिए कसरत*
राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में आने वाले विधान सभा चुनाव के लिए राजनीतिक पारा निरन्तर बढ़ रहा है। राजधानी में राजस्थान के कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली और भाजपा की दूसरी सूची के लिए कसरत की जा रही है। कांग्रेस की राजस्थान प्रदेश चुनाव समिति द्वारा एक लाइन का प्रस्ताव पारित कर उम्मीदवारों के चयन के सारे अधिकार पार्टी हाई कमान को देने के बाद के बाद शनिवार को प्रदेश के नेताओं और टिकट पाने के इच्छुक उम्मीदवारों का जमावड़ा दिल्ली में देखा गया।
कांग्रेस के नई दिल्ली में 15 रकाबगंज स्थित वार रूम में विधान सभा चुनाव के लिए राजस्थान कांग्रेस के उम्मीदवारों का चयन करने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सीनियर ऑब्जर्वर मधुसूदन मिस्त्री और स्क्रीनिंग कमेटी (चयन समिति ) के अध्यक्ष के अध्यक्ष गौरव गौगई की अध्यक्षता में एक बैठक देर शाम तक चली । इस बैठक में मुख्य मंत्री अशोक गहलोत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और तीनों सह प्रभारी अमृता धवन,वीरेंद्र सिंह और काजी निजामुद्दीन के अलावा एआईसीसी के दो और पर्यवेक्षक तथा समिति के सदस्य गण ने भाग लिया। समिति ने आपसी सहमति और पार्टी सर्वे के आधार पर प्रत्याशियों की पहली सूची तैयार करने को लेकर मंथन किया।स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा फाइनल किए जाने वाले नाम सत्रह अक्टूबर को दिल्ली में संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में होने वाली राष्ट्रीय चुनाव समिति की बैठक में रखे जायेंगे जहां अंतिम मुहर लगने के बाद राजस्थान की पहली सूची बाईस अक्टूबर को बाहर आने की सम्भावना है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि उम्मीदवारों के चयन का एक ही मापदण्ड है जिसके अनुसार पार्टी के सर्वे के अनुसार जीतने वाले उम्मीदवारों को ही पार्टी टिकट मिलेगा।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजस्थान के लिए कांग्रेस की पहली और अन्य सूचियों में कई मौजूदा विधायकों और अनुशासनहीनता के दायरे में आने वाले विधायकों के टिकट कटेंगे।राजस्थान के अधिकांश टिकट पाने वाले नेताओं ने दिल्ली में डेरा जमाया हुआ है।
विधानसभा के चुनाव में इस बार परिवार के सदस्यों को टिकट नहीं देने पर गहनता से विचार किया जा रहा है।यह कहा जा रहा है की जीत को सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा वरिष्ठ नेताओं को ही विधानसभा का चुनाव लड़ना पड़ेगा। इसके अलावा जातिगत आधार और विरोध झेल रहे विधायकों पर भी विशेष मंथन किया जा रहा है।विधानसभा के चुनाव में बगावत करने वाले और अनुशासन समिति का नोटिस पाने वाले लोगों के बारे में भी अनुकूल निर्णय होने की संभावनाएं अधिक नजर नही आ रही है। राजस्थान चुनाव के वरिष्ठ पर्यवेक्षक मधुसूदन मिस्त्री ने उन नेताओं को मिलने का समय नहीं दिया। इससे स्थिति उनके विपरीत होती नजर आ रही है।
इधर भाजपा में पहली सूची के 41 उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद मचे बवाल के बाद रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और समिति के अन्य सदस्यों की मौजूदगी में आने वाली सम्भावित दूसरी सूची को अंतिम रूप देने में विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
देखना होगा कि कांग्रेस और भाजपा की सूचियाँ जारी होने के बाद राजस्थान के चुनावी रण भूमि का दृश्य कैसा रूप लेगा।
—