अनुसूचित जनजाति के बच्चों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार को लेकर कलेक्टर ने स्कूल पर लगाया 2 लाख रु का दंड

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अनुसूचित जनजाति के बच्चों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार को लेकर कलेक्टर ने स्कूल पर लगाया 2 लाख रु का दंड

बड़वानी: मध्य प्रदेश के बड़वानी की जिला कलेक्टर ने सीबीएसई बोर्ड से सम्बध्द एक निजी स्कूल द्वारा आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित अनुसूचित जनजाति के बच्चों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार को लेकर दो लाख रु का दंड अध्यारोपित किया है।

बड़वानी की प्रभारी कलेक्टर काजल जावला ने निवाली विकास खण्ड के अंतर्गत मेरखेड़ी स्थित माउंट लिट्रा स्कूल पर आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित अनुसूचित जनजाति के बच्चों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार को लेकर दो लाख रु की शास्ति अध्यारोपित की है। उन्होंने बताया कि यदि यह राशि निर्धारित समयावधि में नहीं जमा की जाती है तो विद्यालय के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी । साथ ही यह शपथ पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं कि इस प्रकार की पुनरावृत्ति भविष्य में नहीं की जाएगी, अन्यथा प्रशासन स्कूल के विरुद्ध अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के अंतर्गत कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा।

यह कार्रवाई उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी और जिला परियोजना समन्वयक (सर्व शिक्षा अभियान) द्वारा गठित पांच सदस्यीय जांच दल, निवाली तहसीलदार द्वारा गठित जांच दल और एसडीएम सेंधवा के द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन और स्कूल के प्रत्युत्तर के आधार पर की है।

इस जांच रिपोर्ट में स्कूल ने स्वीकार किया था कि आरटीई के माध्यम से प्रवेशित अनुसूचित जनजाति के बच्चों को अलग से बुलाकर पढ़ाया जा रहा था। स्कूल में अपने कथन में बताया कि शाला में आरटीई अंतर्गत प्रवेशित कक्षा नर्सरी से एवं केजी वन के 13 विद्यार्थियों को अन्य विद्यार्थियों के साथ अध्यापन नहीं कराते हुए दोपहर 1:00 से 3:30 बजे तक शाला में बुलाकर अलग से अध्यापन कराया जाना पाया गया।

उन्होंने बताया कि यह कृत्य निशुल्क एवं बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के नियम 17 (1) एवं अनुसूचित जाति/ जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम 1989 का उल्लंघन पाया गया। इसके अलावा निर्धारित दुकान से ही पालकों को पुस्तक क्रय करने के लिए बाध्य किया जाना मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक 2017 के नियमों के विपरीत पाया गया।