‘जयस’ के ताल ठोकने से कांग्रेस को नुकसान होना तय! 

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मनोहर मंडलोई की खास रिपोर्ट

‘जयस’ के ताल ठोकने से कांग्रेस को नुकसान होना तय! 

जयस (जय आदिवासी युवा संगठन) ने लगता है कुक्षी को अपना मुख्यालय बना लिया। हाल ही में जयस महापंचायत मिशन युवा नेतृत्व–2023 का आयोजन किया गया। इससे पहले भी महापंचायत और महाकुंभ जैसे कई आयोजन किए गए हैं। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव  में भले ही अभी एक साल का समय बचा है, लेकिन अभी से राजनीतिक चौसर बिछना शुरु हो गई।

इस बार कांग्रेस को चुनाव मैदान में उसके ही मतदाताओं का अन्य संगठनों से जुड़ जानें और मतदाताओं का कांग्रेस से कट जाने से कांग्रेस को नुकसान होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। जयस ने हाल ही कुक्षी में की महापंचायत में  मध्यप्रदेश की आदिवासी बहुल कुल 80 विधानसभा सीटों पर स्वयं स्वतंत्र रूप से चुनाव मैदान में उतरने के लिए ताल ठोक दी है। जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा इस महापंचायत के आयोजक रहे। आदिवासी युवाओं का यह संगठन पिछले चुनाव में सहयोगी रहा था।

पिछले चुनाव में कांग्रेस को जयस का साथ मिला था जिसकी वजह से उसने मालवा निमाड़ की अधिकांश आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर जीत दर्ज की थी और कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी। जयस इस बार विस चुनाव में प्रदेश की 80 सीटों पर किस्मत आजमाने की तैयारी में है। यही नहीं जयस संगठन ने विधानसभा चुनाव के अलावा लोकसभा चुनाव में भी अपनी दावेदारी करने का भी ऐलान किया।

जयस के राष्ट्रीय संरक्षक और मनावर विधायक डॉ हीरालाल अलावा ने कहा कि कुक्षी में हुई महापंचायत जयस युवाओं के लिए मध्यप्रदेश की राजनीति में मील का पत्थर साबित होगी। यदि जयस अलग से चुनावी मैदान में उतरता हैं तो इसकी वजह से कांग्रेस का नुकसान होना तय माना जा रहा है। हालांकि अभी समय है, जिसकी वजह से ऊँट किस करवट बैठेगा इसका सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है।

भाजपा ने हाल ही में मांडू चिंतन किया तो अगले दिनों कांग्रेस ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का जो रूट तय किया, वह आदिवासी इलाकों से गुजरता है। उनकी इस यात्रा में करीब 29 आदिवासी सीट शामिल है।

जयस ने जिन 80 सीटों पर अपने बलबूते पर चुनाव लड़ने का का दावा किया उनमें आदिवासी वर्ग की 39 सीटों पर, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ी घुमंतू जाति, मांझी-मानकर, धनगर, सेन, लोधी, प्रजापति, नायक, सिरवी पाटीदार, साहू, कुशवाहा, यादव समाज, अन्य सभी गरीब वर्ग प्रदेश में मिलकर मध्यप्रदेश में 2023 में जयस के नेतृत्व में सरकार बनाने का एलान किया गया है।

मध्यप्रदेश जयस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रविराज बघेल का कहना है कि अभी तक जयस ने 50 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में मैदानी स्तर बूथ कमेटी बना ली है। आने वाले कुछ माह में हम 80 विधानसभा सीटों पर हर बूथ पर कमेटी के गठन का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। संगठन का दावा है कि पांचवी अनुसूची, पेसा कानून, बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी, अत्याचार जैसे मुद्दों पर मैदानी स्तर पर काम किया जा रहा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।

 

भाजपा क्या बोली जायस के दावे पर

जयस के 80 सीटों पर चुनाव लड़ने के एलान पर प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि जनजातिय बंधुओं की बहुलता वाली सीटों पर नगर निगम और पंचायत चुनाव हुए। इसमें 46 में से 32 पर भाजपा जीती हैं। जनजातीय बंधुओं का पुरा विश्वास बीजेपी पर है। अब कोई भी दल आए। उन्होंने देख लिया है कि देश के सर्वोच्च पद पर आदिवासी वर्ग से आने वाली मुर्मू जी को भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रपति बनाया। स्वयं प्रधानमंत्री बड़े कार्यक्रम में आकर घोषणा करके गए। इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने जबलपुर में कार्यक्रम किए। 15 नवंबर का दिन प्रतिवर्ष के लिए बिरसा मुंडा की जयंती के लिए निर्धारित किया है। इसलिए जनजाति बंधु अब समझ चुके है।

बीते चुनाव में प्रदेश में 2018 में आदिवासियों के वोट से ही कांग्रेस सत्ता के पास पहुंच गई थी। प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों में 47 सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। इनमें से पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 30 सीटें जीती थी। वहीं, 2013 में बीजेपी ने 31 पर जीत दर्ज की थी। अब जयस के अकेले 80 सीटों पर चुनाव लड़ने से कांग्रेस का चुनावी गणित बिगड़ने की संभावना बन सकती है।