काग्रेस की गारंटियों से देश दिवालिया हो जाएगा

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काग्रेस की गारंटियों से देश दिवालिया हो जाएगा

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक अरुण पटेल का कॉलम
      इस साल के अन्त में जिन तीन-चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होना हैं उनमें से मध्यप्रदेश को छोड़कर अन्य तीनों राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें हैं और अब इन राज्यों में भाजपा और कांग्रेस पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुकी हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव सीधे-सीधे भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा  निशाना साध रहे हैं। कर्नाटक और हिमाचल के विधानसभा चुनाव में कुछ गारंटियां मतदाताओं को देने के कारण भाजपा को सत्ता से बाहर करने में सफल रही कांग्रेस अब अन्य राज्यों में भी इसी फार्मूले पर चुनाव लड़ने जा रही है। क्योंकि इससे उसके कार्यकर्ताओं का जोश हिमालयीन उछाल मारने लगा है। कांग्रेस की गारंटियों को कारगर होते देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मतदाताओं को सचेत किया है कि यदि कांग्रेस की गारंटियां पूरी हो जायें तो देश दिवालिया हो जायेगा। इसके साथ ही वह यह बात भी रेखांकित करते जा रहे हैं कि कांग्रेस योजनाओं में 85 प्रतिशत कमीशन खाने वाली पार्टी है। इस प्रकार वह मतदाताओं के मानस में यह बात बिठाने की कोशिश कर रहे हैं कि इन गारंटियों के भुलावे में आकर उसे सत्ता सिंहासन तक न पहुंचायें। यह बात इसलिए इन राज्यों में होने वाले चुनावों से जुड़ जाती है क्योंकि यह बात उन्होंने राजस्थान के अजमेर में कही है जहां कांग्रेस की सरकार है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अभी से गारंटियां देने के साथ ही अपना खजाना लोगों को सीधे-सीधे लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं के लिए खोल चुके हैं।
      कांग्रेस इन राज्यों के चुनावों में भी कर्नाटक के फार्मूले को लागू करने वाली है और वह गारंटी तो देगी साथ ही राज्यों के लोगों की आकांक्षा को देखते हुए हर राज्य के लिए कुछ अलग-अलग वायदे भी करेगी। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा पूरी तरह चुनावी मोड़ में आ गये हैं और हर चुनावी सीजन की तरह एक-दूसरे पर मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने के लिए दलबदल का तड़का भी लगा रहे हैं। फिलहाल मध्यप्रदेश में भाजपा से कांग्रेस की ओर नेताओं के आने का सिलसिला चालू हो गया है तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से भाजपा की ओर कुछ दलबदल हुआ है। हालांकि दलबदल करने वालों के बारे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दावा है कि इनमें से कुछ पहले से ही भाजपा में थे। जहां तक छतीसगढ़ का सवाल है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल काफी पहले से चुनावी जमावट करने में भिड़ गए हैं और उनका लोगों से संपर्क इसी अभियान की एक कड़ी है तो वहीं भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर के आने के साथ कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के साथ ही नये लोगों को जोड़ने का सिलसिला भाजपा में प्रारंभ हो गया है। भाजपा का दावा है कि प्रदेश की कई नामचीन हस्तियां भाजपा में शामिल हो गयी हैं। भाजपा का दामन थामने वालों में छत्तीसगढ़ी सिनेमा के सुपर स्टार पद्मश्री अनुज शर्मा, पद्मश्री पंथी नर्तक डाॅ. राधेश्याम बारले और पूर्व आईएएस अधिकारी आरपीएस त्यागी शामिल हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि पूर्व आईएएस नीलंकठ टेकाम भी भाजपा का दामन थामने वाले थे लेकिन उनका अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आवेदन अभी स्वीकार नहीं हुआ है। अनुज शर्मा के बारे में भूपेश बघेल का कहना है कि वे पहले से ही भाजपा में हैं। इन लोगों ने भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमनसिंह और पूर्व मंत्री ब्रजमोहन अग्रवाल की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ली।
महिलाओं को लुभाती प्रियंका और शिवराज
मध्यप्रदेश में आधी आबादी को अपने साथ जोड़ने के प्रयास भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कर रहे हैं। यहां काफी पहले से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भांजे-भांजियों के मामा और बहनों के भाई के रुप में आधी आबादी को भाजपा से जोड़ने के लिए सीधे सामाजिक रिश्ते बना लिए हैं तो वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा हिमाचल और कर्नाटक की सफलता के बाद मध्यप्रदेश में इसी माह चुनाव अभियान का शंखनाद करेंगी। मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना के अंतर्गत एक करोड़ बीस लाख बहनों के खातों में एक-एक हजार रुपये जमा करने की शुरुआत प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से 10 जून को करने वाले हैं, वहीं दूसरी ओर प्रियंका गांधी जबलपुर में ही एक बड़ी रैली में शिरकत करेंगी और हो सकता है कि इसी दिन वह गारंटियों की घोषणा प्रदेश के संदर्भ में कर दें। जबलपुर का अपना अलग महत्व है क्योंकि यहां से पूरे महाकौशल अंचल की राजनीति प्रभावित होती है।
शायद यही कारण है कि प्रियंका गांधी ने अपने चुनाव अभियान के आगाज के लिए जबलपुर को चुना है। महाकौशल अंचल दोनों पार्टियों के लिए काफी महत्व रखता है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनवाने में इस अंचल का भी काफी योगदान रहा था और यहां से कांग्रेस ने काफी सीटें जीतीं वहीं भाजपा उसकी अपेक्षा के अनुसार यहां पर अपना प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई। कांग्रेस की राजनीति में लम्बे समय के बाद महाकौशल अंचल को उस समय महत्व मिला जब कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें, जबकि पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र के बाद जबलपुर का कोई नेता मुख्यमंत्री नहीं बन पाया था। शिवराज सरकार की मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना की काट के रुप में कांग्रेस ने नारी सम्मान योजना का आगाज कर दिया है और महिलाओं से फार्म भरवाये जा रहे हैं ताकि प्रदेश में फिर से कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनने पर सभी महिलाओं के खाते में 1500 रुपये महीने की राशि जमा की जा सके। प्रियदर्शिनी के नाम से कांग्रेस अलग से वचनपत्र जारी करने वाली है और महिलाओं के लिए जारी होने वाले इस वचनपत्र को कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी से जारी कराने की योजना है। क्योंकि जबलपुर में ही पार्टी का प्रदेश चुनाव में ‘‘विजय 2023‘‘ अभियान का शंखनाद प्रियंका करने वाली हैं।
वचनपत्र समिति के अध्यक्ष पूर्व मंत्री व पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि हमारी तैयारी पूरी हो चुकी है और महिलाओं से जुड़े सभी बिन्दुओं को शामिल करते हुए प्रियदर्शिनी वचनपत्र का प्रारुप तैयार किया गया है, इसे कब और किस स्तर से जारी करना है यह निर्णय पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को करना है। प्रदेश में दो करोड़ साठ लाख तेईस हजार सात सौ तैंतीस महिला मतदाता हैं। 230 सदस्यीय विधानसभा में 16 ऐसे क्षेत्र हैं जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है, यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस दिशा में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहीं हैं। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती शिवराज सिंह चौहान की उस छवि को लेकर है जिसमें वह महिला वर्ग में मामा के नाम से मशहूर हैं। उनकी छवि संवेदनशील और महिलाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले नेता की है। उन्होंने महिलाओं के लिए अनेक योजनायें चालू की हैं। भाजपा द्वारा प्रदेश की एक करोड़ बीस लाख महिलाओं को एक-एक हजार रुपये प्रतिमाह देने की योजना लागू की जा रही है तो वहीं कांग्रेस का वायदा डेढ़ हजार रुपये देने का है। इसीलिए महिलाओं को साधने के लिए प्रियंका का चेहरा आगे किया जा रहा है। प्रियंका मध्यप्रदेश में ही अधिक सक्रिय रहने वाली हैं।
… और यह भी
प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में यदाकदा यह चर्चा चलती है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शीघ्र  मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर कहा है कि वे किसी पद की दौड़ में शामिल नही हैं उनका एकमात्र मकसद लोगों की सेवा करने का है उनकी सोच हमेशा यह होती है कि पार्टी ने उन्हें जो जिम्मेदारी दी है उस पर खरे उतरें। कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में जाने के सवाल पर एक काॅनक्लेव 2023 में सिंधिया ने कहा कि वे किसी पद की लालसा में कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में नहीं आये थे, उन्होंने तो कांग्रेस इसलिए छोड़ी थी क्योंकि उन्हें बार-बार अपमानित किया गया। कांग्रेस पार्टी ने लोगों से जो वायदे किए थे उन्हें पूरा नहीं किया गया और जब बात एक सीमा से बाहर चली गयी तो उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया क्योंकि उनका मकसद केवल जनता की सेवा करना है। इस प्रकार उनके कहने का अर्थ यह है कि उन्होंने जनसेवा करने के लिए ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने का फैसला किया।