झूठ बोले कौआ काटे: सजा भुगतने के लिए उम्र कम न पड़ जाए

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झूठ बोले कौआ काटे: सजा भुगतने के लिए उम्र कम न पड़ जाए

– रामेन्द्र सिन्हा

दो बर्थ सर्टिफिकेट के मामले में आजम खान उनकी पत्नी डॉ तंजीन फातिमा, बेटे अब्दुल्ला आजम को स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने 7-7 साल की सजा सुनाई जिसके बाद तीनों को जेल भेज दिया गया। आजम खान के खिलाफ दर्ज मुकदमों के अंबार को देखते हुए कानूनविदों का मानना है कि अगर उन्हें आधे मामलों में भी दोषी ठहराया जा सका, तो कम से कम 100 साल की सजा होगी। वैसे, भ्रष्टाचार के मामलों में जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं को जेल की हवा कोई नई बात नहीं है। अनेक नामचीन नेताओं पर सीबीआई, इनकम टैक्स और ईडी जैसी एजेंसियों की तलवार लटकी हुई है।

बता दें कि दो जन्म प्रमाण पत्र के मामले में भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने मुकदमा दर्ज करवाया था। आरोप था कि आजम खान ने बेटे के अलग-अलग जन्मतिथि से दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाए हैं। एक जन्म प्रमाण पत्र रामपुर नगर पालिका और दूसरा लखनऊ से बना है। मामले में आजम खान के अलावा उनके बेटे और पत्नी पूर्व सांसद डॉ. तजीन फातिमा भी नामजद थीं।

रामपुर के कानूनी इतिहास में आजादी के बाद से अब तक कोई ऐसा शख्स नहीं है, जिसके खिलाफ 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए हों। कोई ऐसा अपराधी भी नहीं है, जिसके नाम मुर्गी और बकरी चोरी से लेकर करोड़ों की शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जे का आरोप एक साथ हो। आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला तीनों पर दर्ज कुल मुकदमों की संख्या 150 तक पहुंच चुकी है। आईटी और ईडी के छापों के बाद आजम पर दर्ज केस की संख्या बढ़नी तय है।

चारा घोटाला किसे नहीं मालूम। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव चारा घोटाले के मामले में सजायाफ्ता हैं। रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने लालू यादव को चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 68 लाख रुपये के गबन के आरोप में दोषी माना। यह केस 17 साल तक चला, तब जाकर फैसला आया।

बिहार के एक और मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा भी जेल जा चुके हैं। चाइबासा कोषागार से 37.7 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में दोषी सिद्ध होने पर उन्हें सजा हुई थी। जबकि, वे तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे और बिहार में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री रहे।

निर्दलीय विधायक से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बने मधु कोड़ा भी जेल जा चुके हैं। 18 सितंबर, 2006 को सिर्फ 35 साल में मुख्यमंत्री बनने वाले मधु कोड़ा पद पर करीब 23 महीने रहे। मधु कोड़ा का बतौर निर्दलीय विधायक इतने लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहना ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड’ में दर्ज है। अगस्त, 2008 में  झामुमो के समर्थन वापसी से मधु कोड़ा की कुर्सी छिन गई। फिर घोटाले के मामले में  30 नवंबर, 2009 को ईडी ने कोड़ा को गिरफ्तार कर लिया। तीन साल तक जेल की हवा खानी पड़ी।

हरियाणा में वर्ष 1999-2000 में बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाला हुआ था। तीन हजार शिक्षकों की अवैध नियुक्ति के मामले में दिल्ली की एक कोर्ट ने जनवरी 2013 में पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला, उनके बेटे सहित 53 लोगों को दोषी माना था। चौटाला और उनके बेटे को 10-10 साल जेल की सजा हुई।

जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाए जाने पर जेल की सजा हुई थी। कोर्ट ने स्व. जयललिता को चार साल की कैद और 100 करोड़ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।

गुजरात की एक अदालत ने जुलाई, 2023 में पूर्व मंत्री विपुल चौधरी (57) और 14 अन्य को दूधसागर डेयरी के नाम से मशहूर मेहसाणा जिला दुग्ध उत्पादक संघ से ₹750 करोड़ की हेराफेरी से जुड़े मामले में दोषी ठहराते हुए सात साल कैद की सजा सुनाई थी। जब घोटाला हुआ तब चौधरी 2005 और 2016 के बीच डेयरी के अध्यक्ष थे। चौधरी 1990 के दशक में मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की सरकार में मंत्री थे। 1996 में, जब शंकर सिंह वाघेला ने पटेल के खिलाफ विद्रोह किया और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाई, तो उन्होंने उनका साथ दिया। चौधरी वाघेला सरकार में भी मंत्री रहे।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे भगवान सिंह यादव को भ्रष्टाचार के 24 साल पुराने मामले में दिसंबर 2022 में एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट से 3 साल की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही उन पर 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

ईओडब्ल्यू की चार्जशीट के मुताबिक जिला सहकारी बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष भगवान सिंह यादव और तत्कालीन जिला प्रबंधक डीके जैन ने महिला बहुउद्देशीय सहकारी संस्था मर्यादित, गढ़रौली को बिना कोटेशन बुलाए स्टेशनरी सप्लाई का ऑर्डर दे दिया गया था। स्टेशनरी की बिल करीब साढ़े 4 लाख रुपए की थी। इसकी शिकायत 2004 में बैंक के ही एक कर्मचारी ने आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में की थी। लंबी जांच पड़ताल के बाद आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने 2009 ने पूर्व मंत्री भगवान सिंह समेत 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की थी।

झूठ बोले कौआ काटेः

भ्रष्टाचार मामले में दिल्ली से लेकर हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से लेकर महाराष्ट्र तक के शीर्ष नेताओं के ऊपर सीबीआई, इनकम टैक्स और ईडी जैसी एजेंसियों की तलवार लटकी हुई है।

नेशनल हेराल्ड मामले में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, उनके बेटे और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऑस्कर फर्नांडिस, ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और यंग इंडियन आरोपी हैं। फिलहाल सभी आरोपी जमानत पर हैं।

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अहमद पटेल और कमलनाथ के भांजे अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआइपी हेलीकॉप्टर धनशोधन मामला 2013 में सामने आया था। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से कमीशन लेने के आरोप लगे थे। जांच ईडी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा की जा रही है। जांच एजेंसियां इस मामले में पहले ही कई आरोपपत्र दाखिल कर चुकी हैं। इस धनशोधन मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी भी घिरे हैं। भारत ने भ्रष्टाचार और रिश्वत के आरोपों के चलते ये डील रद्द कर दी थी।

राजस्थान का कथित एंबुलेंस घोटाला मामला है  2010 से लेकर 2013 तक एनआरएचएम के तहत 108 एंबुलेंस की खरीद में धांधली के चलते हुआ था। इस मामले में जिकित्जा हेल्थकेयर लिमिटेड को टेंडर दिया गया था, जिसमें गड़बड़ी थी।

करोड़ों की एंबुलेंस खरीद में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ए.ए खान, श्वेता मंगल, शफी माथेर और निदेशक एन आर एच एम के विरूद्ध आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जीवाड़ा), 468, 471 और 120बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता डीके शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चल रहा है। आरोप है कि डीके शिवकुमार का काला धन दिल्ली के कई फ्लैट में रखते थे। आयकर विभाग ने कर्नाटक और दिल्ली स्थित 39 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान दिल्ली के फ्लैटों से 8 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम बरामद हुई थी।

ईडी ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के खिलाफ धनशोधन के एक मामले में पूरक आरोपपत्र दायर किया है। जांच एजेंसी ने 23 सितंबर, 2015 में वीरभद्र की बेटी की शादी के दिन छापेमारी कर खलबली मचा दी थी।

कांग्रेस के दिग्गज नेता पी. चिदंबरम भी सीबीआई और ईडी के घेरे में फंसे हैं। हाल–फिलहाल आम आदमी पार्टी के तीन तीन मंत्री कथित शराब घोटाले में जेल की हवा खा रहे। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं के हाथ भी भ्रष्टाचार के मामलों में काले नजर आ रहे। हमाम में बहुत नंगे हैं, पार्टी चाहे जो हो।

लेकिन, गलत तो गलत है। किए गए गुनाह आज नहीं तो कल सर चढ़ कर बोलते हैं, इतिहास गवाह है। आजम खान का ही मामला लें। रामपुर के सियासी नक्शे में जब रामपुर की तस्वीर और आजम खान की तकदीर एक दूसरे के पर्याय माने जाते थे, किस्मत ने ऐसी पलटी मारी कि मुलायम सिंह यादव के बाद सपा के दूसरे नंबर के सबसे बड़े नेता रहे आजम खान की तकदीर बदल गई। आजम के नसीब में अब जेल की सलाखें दर्ज हो चुकी हैं। भड़काऊ भाषण के बाद फर्जी प्रमाण-पत्र केस यानी लगातार दूसरे मामले में सजा हुई है।

रामपुर में आम लोगों से लेकर सरकारी संपत्ति तक आजम खान पर हर तरह के केस दर्ज हैं। ऐसे में कई मामलों में गवाही होगी, तो कई मामलों में सरकारी अधिकारी ही गवाह होंगे। इस बात की गुंजाइश भी कम ही है कि रामपुर में आजम के सताए हुए लोग अब अदालत में बेखौफ होकर बयान नहीं देंगे। आजम खान के खिलाफ जितने केस दर्ज हैं, उनकी सुनवाई और फैसले की दहलीज तक पहुंचते पहुंचते ही कहीं बची हुई सारी उम्र न कम पड़ जाए।

आजम खान के परिवार को हुई सजा पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि आजम का धर्म दूसरा है इसलिए उनके साथ अन्याय हो रहा है। उनके खिलाफ साजिश और षड्यंत्र किया गया है। आजम खान मुसलमान हैं इसलिए उन्हें इस तरह की सजा का सामना करना पड़ा है। आगे आगे देखिए होता है क्या?

और ये भी गजब:

चुनाव अधिकार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के अनुसार, कुल 107 सांसदों और विधायकों के खिलाफ नफरत भरे भाषण के मामले हैं और ऐसे मामलों वाले 480 उम्मीदवारों ने पिछले पांच वर्षों में चुनाव लड़ा है।

एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) ने उक्त अवधि में देश में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों में असफल उम्मीदवारों के अलावा सभी मौजूदा सांसदों और विधायकों के स्व-शपथ पत्रों का विश्लेषण किया है।

विश्लेषण से पता चलता है कि कई सांसद और विधायक, जो नामित विधायक हैं, ने वास्तव में अपने खिलाफ “घृणास्पद भाषण” से संबंधित मामलों की घोषणा की है। यह विश्लेषण सांसदों और विधायकों द्वारा पिछला चुनाव लड़ने से पहले दिए गए हलफनामों पर आधारित है।

विश्लेषण के अनुसार, 33 सांसदों ने अपने खिलाफ घृणा भाषण से संबंधित मामलों की घोषणा की है – उत्तर प्रदेश से सात, तमिलनाडु से चार, बिहार, कर्नाटक और तेलंगाना से तीन-तीन, असम, गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से दो-दो और एक-एक झारखंड, मध्य प्रदेश, केरल, ओडिशा और पंजाब से।

एडीआर ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में नफरत फैलाने वाले भाषण से संबंधित घोषित मामलों वाले 480 उम्मीदवारों ने राज्य विधानसभाओं, लोकसभा और राज्यसभा का चुनाव लड़ा है।

16 नवंबर 2022 सुप्रीम कोर्ट को कल सूचित किया गया कि 2014 के बाद से राजनेताओं और सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ नफरत भरे भाषण के मामलों में लगभग 500% की वृद्धि हुई है। याचिकाकर्ता की ओर से स्वतंत्रता के अधिकार की सीमा से संबंधित एक मामले में प्रस्तुत किया गया था।