आरएसएस के इतिहास में 12 जुलाई की तारीख खास है…

आरएसएस के इतिहास में 12 जुलाई की तारीख खास है…

आरएसएस यानि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास में 12 जुलाई की तारीख बहुत खास है। संघ पर पहली बार प्रतिबंध लगने के बाद 11 जुलाई 1949 की रात को संघ पर से प्रतिबंध हटाने का फैसला किया गया था। तब 12 जुलाई की तारीख संघ कार्यकर्ताओं के लिए खास बन गई थी। यह प्रतिबंध राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या के बाद 4 फरवरी 1948 को तत्कालीन केंद्र सरकार ने लगाया था। तत्कालीन सरसंघचालक एमएस गोलवलकर समेत संघ के कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।वैसे यह प्रतिबंध सशर्त हटाया गया था। प्रतिबंध हटाने की शर्त यह थी कि आरएसएस अपना संविधान बनाएगा और अपने संगठन में चुनाव करवाएगा। किसी भी प्रकार की राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं लेगा और खुद को सांस्कृतिक गतिविधियों तक सीमित रखेगा। प्रतिबंध के दौरान सरकार ने आरएसएस मुख्यालय डॉ. हेडगेवार भवन पर कब्जा कर लिया था। इसे 17 जुलाई 1949 को फिर से आरएसएस को सौंपा गया था।

महत्वपूर्ण बात यह है कि संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगाया गया और तीनों ही बार वह और अधिक ताकतवर होकर समाज में सक्रिय हुआ है। भले ही सीधे तौर पर संघ ने राजनैतिक दल बनाकर खुला शंखनाद न किया हो। पर तीनों बार संघ द्वारा परोक्ष तौर पर समर्थित राजनैतिक दल ताकतवर बनकर सामने आए। पहली बार प्रतिबंध हटने के बाद आरएसएस ने सीधे तौर पर तो राजनीति में हिस्सा नहीं लिया लेकिन 1951 में जनसंघ की स्थापना में पूरा सहयोग किया। दरअसल संगठन पदाधिकारियों का एक तबका चाहता था कि आरएसएस को एक राजनीतिक दल में बदला जाए और चुनावी राजनीति में हिस्सा लिया जाए। जबकि दूसरा तबका चाहता था कि आरएसएस सक्रिय राजनीति से दूर रहे।तब गुरूजी ने एक बीच का रास्ता निकाला और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी से विचार के बाद भारतीय जनसंघ की शुरुआत का निर्णय लिया गया।आरएसएस ने अपने कुछ प्रचारकों को राष्ट्रवादी पार्टी स्थापित करने में मदद करने के काम में लगाया, जबकि यह स्पष्ट कर दिया कि आरएसएस सीधे तौर पर किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा। इस सबके लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और नानाजी देशमुख जैसे प्रचारक मुखर्जी के साथ भारतीय जनसंघ से जुड़ गए। और उसके बाद आरएसएस के प्रभाव का लगातार विस्तार होता गया।

आरएसएस पर दूसरी बार प्रतिबंध आपातकाल के दौर में 1975 के जून में लगा। महात्मा गांधी की हत्या के शक में गिरफ्तार किए गए बाला साहब देवरस अब आरएसएस के सरसंघचालक बन चुके थे। लेकिन इसी दौर में गुजरात और बिहार से शुरू हुआ स्टूडेंट मूवमेंट देशव्यापी रूप ले चुका था। सर्वोदयी नेता जयप्रकाश नारायण इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। रेलवे और पोस्टल हड़ताल की वजह से पूरे देश का माहौल पहले से ही सरकार विरोधी बन गया था। रायबरेली के चुनावी मुकदमे में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला भी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ गया था और उन पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा था। इन सब परिस्थितियों में इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की रात देश में आपातकाल लगाने का ऐलान कर दिया। 26 जून को मीडिया की आवाज दबाने के इरादे से प्रेस सेंसरशिप को भी लागू कर दिया गया। और आरएसएस के सरसंघचालक बाला साहब देवरस भी गिरफ्तार कर लिए गए। स्टूडेंट्स और विपक्षी नेता-कार्यकर्ताओं के साथ-साथ संघ के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में गिरफ्तार किए गए। 4 जुलाई 1975 को आरएसएस पर एक बार फिर प्रतिबंध लगा दिया गया। बाद में चुनाव में इंदिरा गांधी की हार हो गई और विपक्षी एकता के नाम पर बनी जनता पार्टी सत्ता में आ गई। जनता पार्टी ने सत्ता संभालते ही आरएसएस पर से प्रतिबंध हटा लिया था। और इसके बाद जनता पार्टी सरकार गिरी, तब 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ। और माना जा सकता है कि दूसरी बार प्रतिबंध लगने के बाद संघ और अधिक मजबूत होकर उभरा। तो भाजपा के रूप में एक सशक्त राजनैतिक दल के उदय ने ऐतिहासिक यात्रा शुरू कर दी थी। अटल-आडवाणी के इस युग ने एक सशक्त भाजपा 21वीं सदी को सौंपी थी।

आरएसएस पर तीसरी बार प्रतिबंध 1992 में अयोध्या में विवादित ढाचा ढहने के बाद लगाया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने यूपी, एमपी समेत चार राज्यों की भाजपा सरकारों को बर्खास्त किया था और विध्वंस की घटना के चार दिन बाद 10 दिसंबर 1992 को आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन जांच में सीधे तौर पर आरएसएस के खिलाफ कुछ नहीं मिला और अंततः 4 जून 1993 को सरकार ने आरएसएस पर से प्रतिबंध हटा लिया था। और नरसिंहराव सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने एनडीए गठबंधन की सरकार बनाई। हालांकि पहली बार तेरह दिन, तो फिर एक अंतराल के बाद एनडीए गठबंधन ने दो बार और सरकार बनाई। तीनों बार प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बने। और संघ बीसवीं सदी के सबसे मजबूत दौर में पहले से ज्यादा सशक्त हुआ। अटल के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए सरकार के साथ भारत ने इक्कीसवीं सदी में प्रवेश किया था। और 2004 में यूपीए के नेतृत्व में बनी सरकार के एक दशक सत्ता में रहने के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, जो दस साल सत्ता में रही तो तीसरी बार नरेंद्र मोदी एनडीए बहुमत वाली सरकार के प्रधानमंत्री बने हैं।

यह साफ है कि संघ पर पहली बार प्रतिबंध का दंश केंद्र की जवाहर सरकार में लगा, तो दूसरी बार इंदिरा सरकार ने प्रतिबंध लगाया। वहीं तीसरी बार नरसिम्हाराव सरकार ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया। तीनों ही दफा संघ और मजबूत हुआ और परोक्ष तौर पर समर्थित राजनैतिक दल की भूमिका महत्वपूर्ण होती रही। पर आरएसएस के इतिहास में 12 जुलाई की तारीख सबसे खास है, जब पहली बार प्रतिबंध को सशर्त हटाया गया था और जनसंघ की नींव पड़ी थी.

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Author profile
khusal kishore chturvedi
कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।