छतरपुर से राजेश चौरसिया की रिपोर्ट
छतरपुर: छतरपुर में एक 20 वर्षीय युवक की बीमारी में इलाज के दौरान मौत के बाद उसे शव बहन न मिलने का मामला सामने आया है जहां भारी जतन और मशक्कत के बाद परिजन उसे बाइक पर ले जाने लगे तो उसका शरीर अकड़ जाने और पैर जमीन पर टकराने के चलते ले जाने में असमर्थ थे। अस्पताल गेट पर ही 3 घंटे तक जुगत में लगे रहे। इस दौरान काफी भीड़ एकत्रित हो गई और घटना के फोटो-वीडियो बनाने लगी।
परिजनों की मानें तो एक तो बीमारी ऊपर से गरीबी के चलते वह उसका प्राइवेट इलाज नहीं करा पा रहे थे। जिसके चलते उसे जिला अस्पताल लेकर आए।
जानकारी के मुताबिक मामला छतरपुर जिला मुख्यालय जिला अस्पताल का है जहां बमीठा थाना क्षेत्र में शांति नगर कॉलोनी निवासी 20 वर्षीय शंकर लाल रैकवार (पिता बाबूलाल रैकवार) के बीमार होने पर उसके भाई अशोक रैकवार और भाभी पूजा रैकवार दोपहर 2:00 बजे बमीठा से जिला अस्पताल लेकर आये जहां अस्पताल में इलाज के दौरान 6:05 मिनिट पर उसकी मौत हो गई।
●4 घंटे होते रहे परेशान..
परिजन शाम 6 बजे से ही शव को घर ले जाने की कोशिश में लगे रहे पर लाख जतन करने के बाद भी उन्हें शव वाहन नहीं मिला उन्होंने 100 डायल, 108, CM ऑनलाईन सहित CMHO तक से शव वाहन और मदद के लिये कहा पर पर शव वाहन न मिल पाने के कारण वह देर रात 11 बजे शव को बाईक पर रखकर उसके हाथ बांधकर शव को ले जाने लगे।
●तमाशबीन देखते रहे लोग..
मौत के 5 घंटे बाद शव बुरी तरह अकड़कर कड़ा और सीधा हो गया था मृतक के पैर जमीन पर टकरा रहे थे। जिससे बाईक पर ले जाना मुश्किल था और गाड़ी आगे नहीं बढ़ पा रही थी। मार्मिक और दिल को झकझोर देने वाला नजारा देख लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई।
●प्राईवेट एम्बुलेंस ले गई मुफ्त..
मामले और घटना की जानकारी एंबुलेंस चालक नईम खान को लगी तो उन्होंने मानवीय आधार पर अपनी एंबुलेंस सब को अस्पताल से गंतव्य तक पहुंचाने के लिए भेज दी जहां यह प्राइवेट एंबुलेंस मृतक के शव को मुफ्त में उसके गांव घर तक ले गई।
●CMHO बोले इंतज़ाम कर ही रहे थे।
मामले में जब हमने छतरपुर सीएमएचओ डॉक्टर लखन तिवारी से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि मृतक के भाई का शव वाहन के लिए फोन आया था तो मैंने उसे समर्पण क्लब में वाहन के लिये संपर्क कर लें वहां वाहन हैं।
CMHO की मानें तो वह शव को सुबह भी ले जा सकता था पर उसका देर रात ही ले जाना यह समझ से परे है।
मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि लाख जतन के बाद भी जिला अस्पताल के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे, और विडंबना है कि इतने बड़े जिला अस्पताल में एक भी शव वाहन नहीं है।
जबकि अस्पताल के अंदर संचालित समर्पण क्लब में दो-दो शव वाहन तो हैं पर वे नियमानुसार अमल में लाए जाते हैं और शाम 6 बजे के बाद उपलब्ध नहीं होते।