बांधवगढ़ में हो रही बाघों की मौत को लेकर विभाग की नींद देर से खुली, टाइगरों को बचाने के लिए विभाग अंडरग्राउंड वायरिंग और इंटेलीजेंस का लेगा सहयोग

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बांधवगढ़ में हो रही बाघों की मौत को लेकर विभाग की नींद देर से खुली, टाइगरों को बचाने के लिए विभाग अंडरग्राउंड वायरिंग और इंटेलीजेंस का लेगा सहयोग

भोपाल। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिर्पोट के मुताबिक देश भर के सभी नेशनल टाइगर रिजर्व के मुकाबले मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत सबसे ज्यादा हो रही हैं। छह महीने के अंदर बांधवगढ़ में 12 टाइगरों की मौत हो चुकी है। बांधवगढ़ में टाइगरों की मौत का पता लगाने के लिए तत्कालीन वाइल्ड लाइफ के एसीसीएफ शुभ्ररंजन सेन के निर्देश पर मार्च 2024 में तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट वन मुख्यालय को सौंप चुकी है। टाइगरों की मौत को रोकने के लिए वाइल्ड लाइफ प्रबंधन बांधवगढ़ में बिजली के तारों को अंडरग्राउंड कराने की तैयारी कर रहा है। विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि बिजली के ओपन तार होने के चलते स्थानीय शिकारी जंगली जानवरों को शिकार करने के लिए आसानी से उपयोग कर लेते है। कई बार टाइगर के अलावा अन्य जंगली जानवर भी बिजली के तार की चपेट में आकर अपनी जान गवां देते है।

लोकल गिरोह सक्रिय-

वन विभाग के अधिकारियों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि बांधवगढ़ में टाइगरों की मौत की वजह प्राकृ तिक के अलावा लोकल गिरोह के सक्रिय होने से भी हुई है। इसके अलावा मैदानी अमला टाइगरों की सुरक्षा को लेक र मुस्तैदी से अपना काम नहीं किया है। तीन सदस्यीय रिपोर्ट को लेकर विभाग के आला अधिकारी लगातार मंथन कर रहे है कि कैसे टाइगरों की सुरक्षा को मजबूत किया जाए जिससे शिकारी उन तक नहीं पहुंच सकें।

इंटेलीजेंस का लेगा सहारा-

बांधवगढ़ में टाइगरों को लोकल शिकारियों से बचाने के लिए वन विभाग इंटेलीजेंस का यहयोग लेने जा रही है। जिससे बांधवगढ़ में सक्रिय लोकल गिरोहों के नेटवर्क को आसानी से ध्वस्त किया जा सकें। टाइगरों को शिकारियों से बचाने के लिए वन विभाग एआइ तकनीक की मदद लेगा।