
The Discipline of Living a Spiritual Life : अढारीया तप से आध्यात्मिक जीवन और उज्जवल भविष्य के लिए वह करते हैं 18 दिनों तक कठिन तपस्या!
Ratlam : आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करने व सरस्वती साधना के साथ 10 से 15 वर्ष तक के 66 बच्चों द्वारा 18 दिवसीय अढारिया तप (उपधान) की कठिन तपस्या श्री बिबडोद जैन महातीर्थ में पूज्य आचार्य भगवंत श्री नयचन्द्रसागरसूरीश्वरजी मसा. सहस्त्रावधानी गणीवर्य डॉ अजितचन्द्र सागरजी मसा. आदि ठाणा व पूज्य साध्वी श्री अमिपूर्णाश्रीजी मसा, पूज्य साध्वी श्री अमिदर्शाश्रीजी मसा. आदि ठाणा की निश्रा में 3 मई से 21 मई 25 तक कि गई।

22 मई को सभी बाल तपस्वीयों का बहुमान कर बिदा किया जाएगा। गणीवर्य डॉ अजितचन्द्र सागरजी महाराज ने अढारीया तप की जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में बच्चों में आध्यात्मिक जीवन जीने के संस्कारों की आवश्यकता बहुत जरूरी हैं ताकि बच्चे अपने उज्जवल भविष्य के साथ-साथ बड़े होकर अपने परिवार को सुखी व अच्छे जीवन का सुख दे सकें।

अढारीया तप मे 18 दिनों तक बच्चों को पूर्ण रूप से जैन धर्म के साधु जीवन को अंगिकार कर कठीन आराधना करनी पड़ती हैं। 1 दिन उपवास 1 दिन एकासना करने पड़ते है, उपवास के दिन सूर्योदय के बाद व सूर्यास्त से पूर्व सिर्फ गर्म पानी का सेवन कर सकते है व एकासना में दोपहर में एक स्थान पर बैठकर आहार ले सकते है, प्रतिदिन सुबह-शाम प्रतिक्रमण करना, 100 काउसग्ग, 100 खमासणा देना, प्रवचन श्रवण करना, माला गिनना, सुबह-शाम मंदिर में जाकर देव-दर्शन-वंदन व साधु भगवंत को गुरु-वंदन करना होता हैं। तपस्या के दिनों में स्नान आदि नही कर सकते हैं तथा अपने परिवार से भी दूर रहना पड़ता हैं। अढारीया तप आराधना के लाभार्थी दौलतबाई आनंदीलाल लुनिया परिवार रहा!





