

वेदों का सार यज्ञों में समाहित है ओर यह लोकमंगलकारी है – पद्मविभूषण डॉ गोकुलोत्सव महाराज
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मंदसौर । अथर्ववेद , ऋग्वेद और सामवेद की विधाएं ऋचाएं सोमयज्ञ में समाहित है ओर यह लोकमंगलकारी है । यज्ञ प्रकृति , पर्यावरण और मानवीय गुणों से परिपूर्ण होते हैं यह कहना है पद्मविभूषण डॉ गोकुलोत्सवजी महाराज का ।
महाराजश्री का मंदसौर में 13 से 18 अप्रैल तक आयोजित होरहे विराट वाजपेय महासोमयज्ञ के प्रमुख यज्ञाचार्य रूप में आगमन हुआ है ।
अखेराम नगर स्थित गंधार भवन में इस प्रतिनिधि से विशेष भेंट में महाराजश्री गोकुलोत्सव जी ने कहा कि सोमयज्ञ गृहस्थ यज्ञ है और यह व्यक्ति की उन्नति , समाज की उन्नति जनहित की उन्नति , राष्ट्र की उन्नति के लिए किये जाते हैं । मानव ही नहीं पशु धन की रक्षा के लिए , संस्कृति मय वातावरण बनाने के लिए ,संतान प्राप्ति के लिए और उद्योगों व्यापार रिद्धि सिद्धि समृद्धि के लिए किये जाने का विधान है और यह प्रामाणिक रूप से शुभ फल प्रदाता है
एक प्रश्न के उत्तर में पद्मविभूषण अलंकृत डॉ गोकुलोत्सव जी ने कहा कि युवा वर्ग तार्किक और वैज्ञानिक है भारतीय संस्कृति के वैभव को सरलता से स्वीकार करे तो हितकारी होगा । यज्ञ को देवता माना गया है इसमें जिस भाव से आहुति देते हैं वैसा ही फ़ल मिलता है । इसकी आहुति के सद्प्रभाव प्रत्येक पर पड़ता है ।
महाराजश्री ने कहा कि यज्ञ विकृतियों को दूर करने , रोगों से निदान , सामाजिक समरसता बनाने में लाभकारी सिद्ध हुआ है । इसमें उपयोग में आने वाले द्रव्यों में शुद्ध घृत , दुग्ध दही उड़द जौ गेहूं और वनस्पतियों की आहुति दी जाती है जो सम्पूर्ण वातावरण और परिवेश को शुद्ध और निरापद बनाती है ।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में महाराज श्री ने बताया कि वे विश्व के 60 से अधिक देशों की यात्रा कर 150 से अधिक विशाल सोमयज्ञ करवा चुके हैं । आपने बताया कि अमेरिका कनाडा इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया सऊदी जर्मनी आदि देशों के लोग यज्ञ विधान से प्रसन्नता अनुभव कर भारत के ज्ञान के प्रति कृतज्ञ हैं कि इससे शान्ति मिलती है ।
यह तथ्य है कि सोमयज्ञ के दर्शन मात्र से 1008 आहुति के बराबर फ़ल मिलता है साथ ही विष्णु गोपाल यज्ञ का लाभ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ प्राप्त होता है । वैष्णव सनातन संस्कृति विश्व कल्याण की भावना रखती है जो अन्य किसी धर्म संस्कृति में नहीं है ।
आपने स्पष्ट किया कि धर्म आध्यत्म पूजा निजी होता है प्रत्येक व्यक्ति समाज उसका पालन करता है पर यह सर्वहितकारी होने चाहिए इसमें दिखावा आडंबरों से बचना चाहिए ।
मंदसौर में सम्पन्न होने जारहे सोमयज्ञ में डॉ गोकुलोत्सव जी महाराज ओर यज्ञ सम्राट डॉ ब्रजोत्सव जी के दिग्दर्शन में तेलंगाना कर्नाटक के विद्वान आचार्यों द्वारा कराया जाएगा
उल्लेखनीय है कि पद्मश्री के बाद 2015 में डॉ गोकुलोत्सव जी को राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के हाथों पद्मविभूषण सम्मान प्रदान किया गया । संगीतज्ञ , चिकित्सा विशेषज्ञ और विभिन्न विधाओं के जानकार डॉ गोकुलोत्सव जी के निर्देशन में 70 से अधिक शोधकर्ताओं को पीएचडी उपाधि मिल चुकी है । विभिन्न भाषाओं के ज्ञाता डॉ गोकुलोत्सव जी महाराज एक सप्ताह मंदसौर के सोमयज्ञ हेतु विराजित रहेंगे ।
इस अवसर पर यज्ञ सम्राट डॉ ब्रजोत्सव जी , समाजसेवी श्री दिनेश पारख बावड़ीवाला उपस्थित थे ।
इसके पूर्व वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल ने संपादित साहित्य संग्रह
” यथार्थ ” एवं प्रार्थना पुस्तिका आराधना महाराजश्री को भेंट की ।
डॉ गोकुलोत्सव जी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आशीर्वाद प्रदान किया ।