80 हजार दैनिक वेतनभोगियों के भविष्य पर संकट: विपक्ष के नेता उमंग सिंघार बोले- “शहर संवारने वाले आज असुरक्षा में हैं”

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80 हजार दैनिक वेतनभोगियों के भविष्य पर संकट: विपक्ष के नेता उमंग सिंघार बोले- “शहर संवारने वाले आज असुरक्षा में हैं”

भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा सभी नगरीय निकायों से 25 अक्टूबर 2025 तक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का विवरण तलब किए जाने के आदेश ने हड़कंप मचा दिया है। इस आदेश के बाद प्रदेशभर के करीब 80 हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों और उनके परिवारों के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

विपक्ष के नेता उमंग सिंगार ने इस निर्णय पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा मांगे गए इस विवरण से साफ है कि शासन 28 मार्च 2000 के बाद रखे गए दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की नियुक्तियों पर पुनर्विचार कर सकता है। इससे हजारों परिवारों की आजीविका प्रभावित होगी।

सिंगार ने कहा, “जिन हाथों ने शहरों को संवारा, वही आज असुरक्षा में हैं। सरकार को इन मज़दूरों की रोज़ी-रोटी से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। मैं इन मेहनतकश परिवारों की चिंता साझा करता हूं- सरकार बताए, जिनसे शहर चलते हैं, अब उनके घर कैसे चलेंगे?”

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दरअसल, नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 8 अक्टूबर 2025 को जारी आदेश में सभी नगर निगमों, नगर परिषदों और नगरपालिकाओं को निर्देशित किया है कि वे दैनिक वेतन पर की गई सभी नियुक्तियों का विवरण 25 अक्टूबर तक मंत्रालय को भेजें।

आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि दैनिक वेतन पर किसी भी प्रकार की नई नियुक्ति अब नहीं की जाएगी।

विपक्ष का आरोप है कि यह फैसला न केवल कर्मचारियों बल्कि नगर निकायों के कार्य संचालन को भी प्रभावित करेगा, क्योंकि कई शहरों की सफाई, जलापूर्ति और रखरखाव जैसी आवश्यक सेवाएं इन्हीं कर्मचारियों पर निर्भर हैं।

राज्य सरकार की मंशा जहां वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता की दिशा में कदम के रूप में देखी जा रही है, वहीं विपक्ष इसे “श्रमिकों की रोज़ी-रोटी पर प्रहार” बता रहा है।

अब सबकी निगाहें सरकार के अगले कदम पर हैं कि वह इन कर्मचारियों के भविष्य को लेकर क्या स्पष्ट करती है।