जिस IAS अफसर के कामकाज की PM ने ‘मन की बात’ में तारीफ की, उनके मन की बात सरकार नहीं समझी!
Bhopal : मध्य प्रदेश में ही नहीं, संभवतः वे देश में अकेले अफसर हैं, जिनकी कार्यशैली की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में की थी। लेकिन, राज्य सरकार शायद इस अफसर की ‘मन की बात’ नहीं भांप सकी और अंततः मन व्यथित होकर उन्होंने नौकरी से VRS का आवेदन दे दिया। ये हैं कल तक शहडोल के कमिश्नर रहे राजीव शर्मा, जिन्हें सरकार ने अब मंत्रालय (भोपाल) में सचिव के पद पर पदस्थ किया है। राजीव शर्मा भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2003 बैच के IAS अधिकारी हैं।
मीडियावाला ने राजीव शर्मा के VRS लेने के निर्णय को लेकर अपने स्तर पर पड़ताल की। समझा जा सकता है कि कवि हृदय और संवेदनशील लेखक के मन में शायद यह पीड़ा घर कर गई थी, कि उनसे कहीं जूनियर अधिकारी बड़े संभाग के कमिश्नर पद पर हैं। जबकि, उन्हें मध्य प्रदेश के सबसे छोटे और कम महत्व के संभाग शहडोल में पदस्थ किया गया। 2007 बैच के IAS अधिकारी दीपक सिंह ग्वालियर और इसी बैच के अभय वर्मा जबलपुर के कमिश्नर हैं। 2008 बैच के IAS वीरेंद्र सिंह रावत सागर के कमिश्नर हैं। इंदौर संभाग के कमिश्नर का पद मध्य प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रदेश की कमर्शियल राजधानी इंदौर संभाग के कमिश्नर 2006 बैच के माल सिंह भयड़िया हैं। इसी बैच के अनिल सुचारी रीवा के कमिश्नर हैं। ये सभी अफसर राजीव शर्मा की तरह डिप्टी कलेक्टर से प्रमोट होकर ही IAS बने है।इस सबको देखकर कहा जा सकता है, कि राजीव शर्मा से जूनियर पांच अधिकारी ऐसे संभाग में पदस्थ हैं, जो शहडोल की तुलना में कही ज्यादा महत्वपूर्ण और बड़े माने जाते हैं। इतना जरूर है कि भोपाल संभाग के कमिश्नर सीधी भर्ती के 1999 बैच के डॉ पवन शर्मा हैं और उज्जैन के कमिश्नर डॉक्टर संजय गोयल सीधी भर्ती के 2003 बैच के अधिकारी हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ महीने पहले जब जबलपुर के तत्कालीन कमिश्नर चंद्रशेखर ने VRS लिया था, तब भी यह बात चर्चा में थी, कि राजीव शर्मा को जबलपुर का संभाग का कमिश्नर बनाया जा सकता है। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। बाद में भी जब अन्य बड़े संभागों उज्जैन, इंदौर,सागर और भोपाल में कमिश्नर के पद खाली हुए तो माना जा रहा था कि राजीव शर्मा इन संभागों में कहीं पदस्थ किए जा सकते हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ।
एक संवेदनशील व्यक्ति के नाते शायद यह उनके मन की पीड़ा रही होगी कि आखिर सरकार इन बड़े संभागों में मुझे पदस्थ क्यों नहीं करना चाहती?
राजीव शर्मा अभी 2 साल और प्रशासनिक सेवा में रह सकते है। उनका रिटायरमेंट सितंबर 2025 में है। वे शाजापुर, नरसिंहपुर और बालाघाट में कलेक्टर, आयुक्त हस्तशिल्प, नगरीय प्रशासन विभाग में सचिव पद पर काम कर चुके हैं। वह जहां भी रहे उन्होंने अपने काम की अलग छाप छोड़ी।
राजीव शर्मा IAS अधिकारी के साथ ही एक कवि, लेखक और साहित्यकार होने के नाते संवेदनशील व्यक्ति हैं। माना जा सकता है कि उन्हें यह सब स्थिति पिछले कई महीनों से साल रही होगी और यह भी माना जा सकता है कि उन्होंने इस संबंध में जिम्मेदार लोगों को अवगत भी कराया हो लेकिन शायद उन्हें हर बार आश्वासन ही मिलते रहे।
*नौकरी छोड़कर किसान और मजदूरों के बीच रहेंगे*
राजीव शर्मा ने प्रशासनिक सेवा को अलविदा करने का मन बना लिया। इसके बाद वे अपने गृह नगर भिंड के किसानों और मजदूरों के बीच रहेंगे। वे उन्हें खेती के अत्याधुनिक तरीके सिखाएंगे और चंबल नदियों को पर्यटन से जोड़कर क्षेत्रीय युवाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल करेंगे। यदि जरुरी हुआ तो विधानसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं।
बताया गया कि IAS राजीव शर्मा ने सवा महीने पहले VRS के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस दिया था। उसकी अवधि इसी माह पूरी हो रही है। राज्य सरकार केंद्र सरकार (DOPT) की स्वीकृति के बाद इसी सप्ताह उनका VRS आवेदन स्वीकार कर सकती है।
राजीव शर्मा का कहना है कि राजस्थान की IAS अरुणा राय की तर्ज पर वे नौकरी छोड़कर अपनी जन्मभूमि भिंड जिले के ग्रामीण अंचलों में रहेंगे। वे अपने खेतों पर खेती के अत्याधुनिक प्रयोग, नवाचार करेंगे और यहां के किसानों को उन्नत खेती के गुर सिखाएंगे। इसी तर्ज पर कभी मध्यप्रदेश के सीनियर IAS हर्षमंदर ने भी नौकरी छोड़कर समाज सेवा शुरू की थी।
राजीव शर्मा ने बातचीत में बताया था कि भिंड में बेरोजगारी, गंदगी, गरीबी और पिछड़ापन है। यहां से लोग पलायन कर रहे है। भिंड की स्थिति मुरैना, दतिया, श्योपुर से भी ख़राब है। यहां के लोग अहमदाबाद और सूरत जाकर काम करते हैं। वहां इनके छोटे-छोटे शहर बन गए। भिंड की नदियां गोवा के किनारों से ज्यादा सुंदर है। यहां डाल्फिन, घड़ियाल भी है। यहां पर्यटन की काफी संभावनाएं है।
राजीव शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी निजी लाइब्रेरी बनाई है, यहां युवा पढ़ सकते है। वे भिंड के पिछड़ेपन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं और युवाओं को रोजगार दिलाने का बीड़ा उठाएंगे। जरुरत पड़ी तो वे विधानसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं।
यह भी जानकारी मिली कि बुधवार रात तबादला आदेश मिलने के बाद ही वे आज शहडोल कमिश्नर का प्रभार सौंपकर अपने गृह नगर भिंड रवाना हो गए हैं। यही कारण है कि आज मुख्यमंत्री के शहडोल जिले के कार्यक्रम में वे नजर नहीं आए।
यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका VRS आवेदन स्वीकार होने के बाद वे समाज सेवा के कार्यों के साथ-साथ क्या राजनीति में भी सक्रिय होंगे?