जिला-जनपद सदस्यों की सुनी सरकार ने, अब जितने चाहें, उतने के काम करा सकेंगे मंजूर

कोरोना काल में 15वें वित्त आयोग की राशि से छोटे कामों पर लग गई थी रोक

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जिला-जनपद सदस्यों की सुनी सरकार ने, अब जितने चाहें, उतने के काम करा सकेंगे मंजूर

भोपाल: प्रदेश की जिला और जनपद पंचायतों में अब कितनी भी लागत के कामों को मंजूरी देकर उसे कराया जा सकेगा। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने सवा दो साल पहले कोरोना काल में ग्रामीण विकास के कामों में मानीटरिंग की स्थिति को देखते हुए मंजूर किए जाने वाले कामों की स्वीकृति लिमिट तय कर दी थी जिसे पर खत्म कर दिया गया है। इसके बाद अब एक लाख, दो लाख, पच्चीस लाख जितनी भी लागत के काम चाहें उसे जिला व जनपद पंचायतों के माध्यम से कराया जा सकेगा। जिला व जनपद पंचायतों के सदस्यों द्वारा इसकी मांग सरकार से लंबे समय से की जा रही थी जिसे मान लिया गया है।

आयुक्त पंचायत राज अमरपाल सिंह द्वारा जारी आदेश में सभी जिलों के कलेक्टरों और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत से कहा गया है कि जिला और जनपद पंचायतों द्वारा अपने क्षेत्र में कराए जाने वाले कामों को उनकी वास्तविक लागत के अनुसार कार्य योजना में शामिल किया जा सकेगा और इसे स्वीकृति दी जा सकेगी। इसके पहले 15 फरवरी 2021 को जारी आदेश में 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत जिला और जनपद पंचायतों द्वारा स्वीकृत कामों की न्यूनतम लागत को लेकर सरकार की ओर से लिमिट तय कर दी गई थी। कोरोना काल में लागू किए गए इस बंधन को अब पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने खत्म कर दिया है। अब इसके बाद लागत के आधार पर स्वीकृत किए जाने वाले कामों का बंधन खत्म हो गया है।

इस निर्देश को अब खत्म किया विभाग ने
विभाग द्वारा 15वें वित्त आयोग से किए जाने वाले कामों की लिमिट फरवरी 2021 में जारी निर्देश के मुताबिक अधिकतम 15 लाख तक तय की गई थी। इसमें कहा गया था कि जिला पंचायतें 15 लाख तक के बड़े काम ही मंजूर करेंगी जबकि जनपद पंचायतों के लिए दस लाख तक की लिमिट तय की गई थी। इसमें पंचायतों में आंगनबाड़ी केंद्र, पंचायत भवन, अतिरिक्त कक्ष, ई कक्ष, सामुदायिक स्वच्छता परिसर, प्राथमिक शाला भवन, स्वास्थ्य केंद्र भवन, हाट बाजार, दुकान निर्माण, बस स्टैंड और जिला पंचायत व जनपद पंचायत परिसर में कराए जाने वाले काम ही मंजूर करने की छूट दी गई थी। इसके अलावा 15वें वित्त आयोग की 15 प्रतिशत राशि पेयजल के लिए जल जीवन मिशन अंतर्गत खर्च करने के लिए कहा गया था। शासन की मंशा थी कि छोटे काम तो ग्राम पंचायत और ब्लाक स्तर व जिला स्तर पर उपलब्ध राशि से कराए जा सकेंगे।