संगठन की मेहनत, सरकार के काम और दिग्गज चेहरों के नाम रहे परिणाम…

735

नगरीय निकाय चुनावों के परिणामों ने यह संकेत दिए हैं कि भाजपा संगठन का मुकाबला करना बहुत आसान नहीं है। जैसा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ बार-बार अपने कार्यकर्ताओं को नसीहत देते हैं। संगठन जो परिश्रम की पराकाष्ठा में पीछे नहीं हटता और सरकार के कामों को सकारात्मक रूप में जन-जन तक पहुंचाने में सफल रहता है। नगरीय निकाय चुनावों के यह परिणाम जहां संगठन की मेहनत पर भरोसा जता रहे हैं, तो सरकार के कामों पर मुहर लगा रहे हैं और दिग्गज चेहरों के गढ़ में एकतरफा जीत यह जता रही है कि मतदाताओं को अपने नेताओं पर पूरा एतवार है। आदिवासी क्षेत्र के मतदाताओं ने भी परिणामों के रूप में यही जताया है कि भाजपा संगठन की मेहनत, सरकार के काम और दिग्गज नेताओं की कार्यशैली पर उनका विश्वास कायम है। हालांकि 2023 के रण में अभी पूरे 12 माह बकाया है, लेकिन यह परिणाम तब तक उत्साह बनाए रखने के लिए काफी हैं। तो सरकार पर दबाव-प्रभाव का आरोप लगाकर कांग्रेस भी संतुष्ट हैं कि 2023 में रणविजय करने से कोई नहीं रोक सकता।

 प्रदेश में 46 नगरीय निकायों के चुनाव परिणाम में पार्टी को 38 नगरीय निकायों में जीत को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं पर एक बार फिर मतदाताओं द्वारा मोहर लगाने और ऐतिहासिक जीत के नजरिए से देखते हैं। उनका दावा है कि जनजातीय क्षेत्रों में जनता ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि उसका विश्वास भाजपा पर है। केन्द्र-राज्य सरकारों की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने में वह पार्टी कार्यकर्ताओं की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हैं।  प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में जीत भाजपा को संजीवनी दे रही है। तो खुरई यानि नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह का क्षेत्र और गढाकोटा नगरपालिका परिषद यानि लोक निर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव के क्षेत्र में भाजपा के सभी पार्षद प्रत्याशियों की विजय और कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने पर भाजपा खासी उत्साहित है।

प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल के बिना बात पूरी नहीं हो सकती, क्योंकि वह खरगोन और छिंदवाड़ा के प्रभारी मंत्री होने के नाते दावा कर रहे हैं कि आदिवासी बाहुल्य इलाकों में कमल का खिलना कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है। महेश्वर नगर परिषद में भाजपा का कमल खिलने पर वह खरगोन की महेश्वर सीट से कांग्रेस की विधायक एवं पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधो पर चुटकी ले रहे हैं। तो कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में भाजपा की जीत को वह कांग्रेस के ताबूत में एक कील मान रहे हैं।

वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ नगरीय निकाय परिणामों को भाजपा सरकार द्वारा पुलिस,पैसे व प्रशासन का उपयोग कर,सत्ता का जमकर दुरुपयोग करने के रूप में देखते हैं। उनका भरोसा है कि जनता ने कांग्रेस को समर्थन देकर स्पष्ट कर दिया कि सत्य परेशान हो सकता है, पर पराजित नहीं।12 माह बाद हम वापस सरकार में लौटेंगे, यह कमलनाथ का भरोसा है। और नाथ का यह विश्वास ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं की संजीवनी है।

फिलहाल तो यह साफ है कि मंडला, उमरिया, अलीराजपुर, झाबुआ, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर,बालाघाट, छिंदवाड़ा में आदिवासी मतदाताओं की मंशा उजागर हो गई है। तो गढ़ाकोटा और खुरई की कांग्रेस मुक्त जीत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को फील गुड कराने में कसर नहीं छोड़ेगी। परिणाम यह बता रहे हैं कि मतदाताओं पर किसी का दबाव-प्रभाव असर नहीं करता और 2023 में इसकी झलक देखने के लिए फिलहाल एक साल का धैर्य रखना पड़ेगा। संगठन की मेहनत, सरकार के काम और दिग्गजों के चेहरे तब भी निर्णायक की भूमिका में रहेंगे। और यह भी तय है कि मुकाबला दोनों दलों के बीच ही रहने वाला है।