आतंक का सिर कुचला, टुकड़े होना बाकी

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आतंक का सिर कुचला, टुकड़े होना बाकी

आलोक मेहता

भारत ने विश्व आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में एक ऐतिहासिक सैन्य ऑपरेशन किया और पाकिस्तान द्वारा पिछले 60 वर्षों में हजारों मासूम भारतीयों के मारने का करारा जवाब दिया| पहलगाम में 26 पर्यटकों की नृशंश हत्या की आतंकवादी गतिविधि पूरी दुनिया को विचलित किया | इसे आतंकवाद के पाप का घड़ा ही नहीं, पूरा कुआँ जहर से भरा होना कहा जा सकता है | आतंकवाद के जहर को कोरोना वायरस से अधिक घातक माना जाता रहा है | इसलिए पहलगाम की घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में घोषणा कर दी थी कि आतंक के ठिकानों और आकाओं को नष्ट किया जायेगा | उन्होंने भारतीय सेनाओं और गुप्तचर संगठनों को पूरी तैयारी के साथ कार्रवाई की पूरी छूट दी | उसी का परिणाम है कि पूरी तैयारी के साथ पाकिस्तान के अंदर के चार ठिकाने तथा पाकिस्तान द्वारा कब्जाए हुए कश्मीर के पांच ठिकानों पर भारतीय सेनाओं ने बड़े हमले किये और उन्हें नष्ट कर दिया | इन ठिकानो में मौलाना मसूद अजहर के आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद और हाफिज सईद के लश्कर तैबा और हिज़्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों के ठिकाने पूरी तरह ध्वस्त हो गए |

यह पहला अवसर है जब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के आलावा पाकिस्तानी पंजाब के बहावलपुर तथा लाहौर से जुड़े आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय सेना ने सीधी कार्रवाई की है | इस कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने न केवल भारत में, बल्कि विश्व के प्रमुख देशों को विश्वास में लिया | इसीलिए रूस और फ़्रांस जैसे देश ही नहीं, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देश तथा संयुक्त अरब अमीरात जैसे इस्लामी देशों ने आतंकवाद विरोधी कार्रवाई का समर्थन किया है |

इस सफलता के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी और देशवासियों को अति उत्साह से जयकार न करने की सलाह दी है | उनका यह रुख इसलिए उचित है कि पाकिस्तान पिछले 75 वर्षों से अपनी सारी गतिविधियों, वायदों और समझौतों को तोड़ता रहा है | 1965 के हमले के बाद हुए ताशकंद समझौते, 1971 में बांग्लादेश का अभ्युदय के साथ हुए शिमला समझौते और 1999 में लाहौर समझौते के बाद न केवल सीमाओं पर कारगिल जैसा युद्ध थोपा, बल्कि जम्मू कश्मीर से लेकर मुंबई तक और लोकतंत्र के मंदिर संसद पर भी पाकिस्तानी सेना तथा आई एस आई द्वारा आतंकी हमले किये गए | भारत के गांव में भी हमेशा यह माना जाता रहा है कि जहरीले सांप को लाठियों और बन्दूक से भी घायल कर दिया जाय तब भी आसानी से उसकी मौत नहीं होती है | पाकिस्तानी आतंकी संगठन तो जहरीले अजगर की तरह भारत और पडोसी देशों में ही नहीं, अपने बलूचिस्तान और सिंध प्रांतों में भी लाखों मुस्लिमों की हत्या कर चुके हैं | बांग्लादेश बनने से पहले पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में 30 लाख बंगाली मुसलमानों को मौत के घाट उतारा था | पाकिस्तान में फले-फूले आतंकवादी ओसामा बिन लादेन और उसके साथियों ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया में भयानक हमले किये | अमेरिका ने 9/11 के बाद ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए कई वर्षों तक तैयारी की | इसका श्रेय राष्ट्रपति बराक ओबामा को अवश्य मिला, लेकिन अमेरिका के प्रतिष्ठित का यह दावा रहा है कि लादेन को मारने के लिए आई एस आई ने पाकिस्तान के शीर्ष सेनाधिकारिओं को ख़रीदा और उसके ठिकाने का पता लगाया था | जबकि भारत ने इस बार जो कार्रवाई की है, वह पाकिस्तानी सेना और आई इस आई के पिछले २५ वर्षों के सारे हमलों के जवाब के रूप में अपने बल पर की है |

इसमें कोई शक नहीं कि आतंकवादी ठिकानो पर भारतीय सेना के हमलों ने पाकिस्तान सेना की कठपुतली सरकार और आई एस आई के साथ आतंकवादी संगठनों को बुरी तरह घायल कर दिया है | फिर भी पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर की सीमा पर गोलाबारी जारी रखी है तथा चीन सहित दुनिया के कुछ देशों से सहानुभूति और समर्थन पाने का प्रयास शुरू कर दिया है | सार्वजानिक रूप से पाकिस्तान का विदेश मंत्री इसहाक दार भारत द्वारा फिलहाल कार्रवाई आगे न बढ़ाने पर अपनी ओर से संयम की बातें कही है लेकिन उस पर भरोसा करना संभव नहीं है | भारत प्रारम्भ से यह कहता रहा है कि वह अपनी तरफ से कभी हमला नहीं करता और इस बार भी केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया है | भारतीय सेनाओं ने इस साहसिक हमले में यह सुनिश्चित किया कि सामान्य नागरिकों की किसी बस्ती या पाकिस्तान के सैन्य ठिकानो पर कोई हमला न हो | यहाँ तक कि इस सैन्य ऑपरेशन का नाम भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सिन्दूर ऑपरेशन’ दिया जो भारतीय महिलाओं के पुरुष परिजनों की हत्या के प्रतिकार के रूप में है | असल में जिस तरह बांग्लादेश अत्याचारों से तंग आकर अलग हुआ, उसी तरह पाकिस्तान के बलूचिस्तान और सिंध जैसे प्रदेश लगभग 30-40 वर्षों से असंतोष और विद्रोह की आवाज उठाते रहे हैं | सिंध की जनता जुल्फिकार अली भुट्टो और उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो के प्रधानमंत्री रहने के बावजूद सेना द्वारा मारे जाने की घटनाएं भूले नहीं हैं | बलूचिस्तान की लिब्रशन आर्मी और नेशनल मूवमेंट के नेता कई वर्षों से पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध उग्र आंदोलन करती रही हैं | हाल ही में बलूचिस्तान के विद्रोहियों ने तो जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का ही अपहरण कर लिया था | सिंधु देश बनाने की मांग 1972 से चल रही है |

पाकिस्तान द्वारा कब्जाए कश्मीर की जनता तो जम्मू कश्मीर में पिछले वर्षों के दौरान हुई प्रगति देखकर और अधिक जोश के साथ भारत में मिलने को आतुर हैं | इस परिस्थिति में भारत को पाकिस्तान पर सीधे आक्रमण की कोई जरुरत ही नहीं है | भारत का लक्ष्य केवल पाकिस्तान के आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना है | बेहतर यही होगा कि समय के साथ ही पाकिस्तान के टुकड़े हो जाएँ |