पूरा होगा भारत के साथ जुड़ाव के एक नए युग का भरोसा…

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पूरा होगा भारत के साथ जुड़ाव के एक नए युग का भरोसा…

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रवासी भारतीय दिवस के दूसरे दिन इंदौर के ब्रिलिएंट कंवेंशन सेंटर में ‘अतिथि देवो भव:’ आदर्श वाक्य की दुहाई दे रहे थे, तब इंग्लैंड-अमेरिका और अन्य देशों से आए कुछ प्रवासी भाई-बहिन बिना देव बने ही आतिथ्य‌ पाने का संघर्ष कर रहे होंगे। यह भी सामने आया कि लंदन के डिप्टी मेयर को भी विशिष्ट आमंत्रण के बावजूद प्रवेश पाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी। तो जिनको ऐसी बातों पर खुश होना है, निश्चित तौर पर उनके पास खुश होने की पर्याप्त वजह है‌। उनकी मुट्ठी खाली नहीं, बल्कि अव्यवस्थाओं के जिक्र से भर सकती है। पर बात जब देश और प्रदेश के गौरव की हो, तब शायद खुशी मनाने और प्रतिक्रिया देने का यह उचित समय नहीं माना जा सकता। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सरकार में है और कौन नहीं।‌ बल्कि यह सवाल तो देश और प्रदेश का है। शायद कोशिश यही होनी चाहिए कि हमारे अतिथियों के मन में हम भरोसा जगाने का प्रयास करें कि इन खट्टी यादों को भूल जाएं और बहुत कुछ मीठी यादों को साथ लेकर जाएं। आप जब अगली बार आएंगे, तब हम उन सभी कमियों को दूर कर लेंगे, जिनकी वजह से खट्टेपन की नौबत बनी है। खैर जिसके मन को जो भाए, उसे वह राह चुननी चाहिए। तर्कों और तथ्यों की अपनी-अपनी कसौटी है।पर देश, प्रदेश और अपना शहर गौरवान्वित रहे, यह जिम्मेदारी सबकी है।
हम बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस आह्वान की, जिसमें उन्होंने प्रवासी भारतीयों से अपील की है कि मुझे विश्वास है कि भारत के साथ जुड़ाव का एक नया युग शुरू होगा। मेरी आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। गुयाना और सूरीनाम के राष्ट्रपतियों को भी भरोसा दिलाया कि उनके सुझावों पर भारत खरा उतरेगा। निश्चित तौर पर भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच उस नए युग की तलाश है, जो छोटी-मोटी खटास को भुलाकर पूरी तरह से मिठास से भर जाए। जिसमें एक नए आर्थिक युग की शुरुआत हो, जो भारतीय युवाओं के हाथों को रोजगार से भर दे और युवाओं की कर्मठता के परिणामों से प्रवासी भारतीयों के चेहरे भी खुशियों से दमक जाएं।
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करीब 4 वर्षों के बाद प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का एक बार फिर अपने मूल स्वरूप में, अपनी पूरी भव्यता के साथ मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में होना हम सभी मध्यप्रदेशवासियों के लिए गौरव की बात है। उससे भी ज्यादा गर्व की बात है कि हमारे इंदौर शहर के ब्रांड एंबेसडर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही बन गए। उन्होंने इंदौर के बारे में जो कुछ कहा, वह स्मृति में सहेजने लायक है। मोदी ने कहा कि वैसे हम सभी अभी जिस शहर में हैं, वो भी अपने आप में अद्भुत है। लोग कहते हैं कि इंदौर एक शहर है, लेकिन मैं कहता हूँ इंदौर एक दौर है। ये वो दौर है, जो समय से आगे चलता है, फिर भी विरासत को समेटे रहता है। इंदौर ने स्वच्छता के क्षेत्र में देश में एक अलग पहचान स्थापित की है। खाने-पीने के लिए ‘अपन का इंदौर’ देश ही नहीं, पूरी दुनिया में लाज़वाब है। इंदौरी नमकीन का स्वाद, यहां के लोगों के यहां पर जो पोहे का पैशन है, साबूदाने की खिचड़ी, कचौरी-समोसे-शिकंजी, जिसने भी इन्हें देखा, उसके मुंह का पानी नहीं रुका। और जिसने इन्हें चखा, उसने कहीं और मुड़कर नहीं देखा! इसी तरह, छप्पन दुकान तो प्रसिद्ध है ही, सर्राफ़ा भी महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि कुछ लोग इंदौर को स्वच्छता के साथ-साथ स्वाद की राजधानी भी कहते हैं। मुझे विश्वास है, यहाँ के अनुभव आप खुद भी नहीं भूलेंगे, और वापस जाकर दूसरों को यहाँ के बारे में बताना भी नहीं भूलेंगे। तो चुनिंदा वह प्रवासी भारतीयों जिन्हें थोड़ी तकलीफ हुई है, उनसे हमारी अपील है कि खटास को भुला देना और समग्रता से इंदौर की मीठी स्मृतियों को अपने देश में फैला देना। हमारा इंदौर ऐसा ही है जो विरासत को संभाले हुए अपने दौर से बहुत आगे चल रहा है।
मोदी की एक और बात जो दिल को छूने वाली है, वह है “स्वदेशो भुवनत्रयम्”। अर्थात्, हमारे लिए पूरा संसार ही हमारा स्वदेश है। मनुष्य मात्र ही हमारा बंधु-बांधव है। इसी वैचारिक बुनियाद पर हमारे पूर्वजों ने भारत के सांस्कृतिक विस्तार को आकार दिया था। हम दुनिया के अलग-अलग कोनों में गए। हमने सभ्यताओं के समागम की अनंत संभावनाओं को समझा। हमने सदियों पहले वैश्विक व्यापार की असाधारण परंपरा शुरू की थी। हम असीम लगने वाले समंदरों के पार गए। अलग-अलग देशों, अलग-अलग सभ्यताओं के बीच व्यावसायिक संबंध कैसे साझी समृद्धि के रास्ते खोल सकती है,  भारत ने और भारतीयों ने करके दिखाया।
मोदी ने कहा कि आज अपने करोड़ों प्रवासी भारतीयों को जब हम ग्लोबल मैप पर देखते हैं, तो कई तस्वीरें एक साथ उभरती हैं। दुनिया के इतने अलग-अलग देशों में जब भारत के लोग एक कॉमन फ़ैक्टर की तरह दिखते हैं,  तो ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना के साक्षात् दर्शन होते हैं। दुनिया के किसी एक देश में जब भारत के अलग-अलग प्रान्तों, अलग-अलग क्षेत्रों के लोग मिलते हैं, तो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सुखद अहसास भी होता है। दुनिया के अलग-अलग देशों में जब सबसे शांतिप्रिय, लोकतांत्रिक और अनुशासित नागरिकों की चर्चा होती है, तो “मदर ऑफ डेमोक्रेसी” होने का भारतीय गौरव अनेक गुना बढ़ जाता है। और जब, हमारे इन प्रवासी भारतीयों के योगदान का विश्व आकलन करता है, तो उसे ‘सशक्त और समर्थ भारत’ की आवाज़ सुनाई देती है। मोदी ने कहा कि इसलिए ही तो मैं आप सभी को, सभी प्रवासी भारतीयों को विदेशी धरती पर भारत का राष्ट्रदूत ब्रैंड एंबेसेडर कहता हूं। सरकारी व्यवस्था में राजदूत होते हैं। भारत की महान विरासत में आप राष्ट्रदूत होते हैं। तो प्रवासी भारतीयों को भारत की उपलब्धियों के बारे में अपडेट करते हुए आग्रह भी किया कि आपके पास कल्चरल और स्प्रिचुअल जानकारी के साथ-साथ भारत की प्रगति की अपडेटेड इनफार्मेशन होनी चाहिए। मोदी ने बताया कि इस वर्ष भारत दुनिया के G-20 समूह की अध्यक्षता भी कर रहा है। इस दौरान विश्व के विभिन्न देश, भारत के जन-जन के मन में ‘अतिथि देवो भवः’ की भावना का दर्शन करेंगे। आप भी अपने देश से आ रहे प्रतिनिधियों से मिलकर उन्हें भारत के बारे में बता सकते हैं। इससे उन्हें भारत पहुँचने से पहले ही अपनत्व और स्वागत का अहसास होगा।
तो हमारे देश, हमारे प्रदेश और हमारे शहर इंदौर पधारे हमारे अपने प्रवासी भारतीय, आपको हुई थोड़ी-बहुत तकलीफों को ठीक उसी तरह भुला देना… जैसे कुछ हुआ ही न हो। और जब अपने देश वापस लौटो तो सुखद स्मृतियों से भरे हुए लौटना। अतिथि देवो भव:, का मूलमंत्र अब भी हमारी मिट्टी का सौंधी महक है। व्यवस्थागत खामियां हो सकती हैं, लेकिन यह हमारे अतिथि देवो भव: के भावों को नहीं बदल सकते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के बाद प्रवासी भारतीयों के साथ नए युग की शुरूआत का इंतजार है और हम सभी को भरोसा है कि नए युग का यह दौर विरासत को संभाले हुए वक्त के दौर से बहुत आगे दौड़ेगा…। हम भारतीय और प्रवासी भारतीय मिलकर एक समृद्ध, सशक्त और दुनिया में श्रेष्ठ भारत का निर्माण करके दिखाने का दम रखते हैं और यह दिखाकर रहेंगे।