निर्दलीय विधायक नरेश मीणा द्वारा SDM अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ने की घटना से बढ़ा बवाल 

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निर्दलीय विधायक नरेश मीणा द्वारा SDM अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ने की घटना से बढ़ा बवाल 

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट 

राजस्थान के टोंक जिले के देवली-उनियारा सीट पर उपचुनाव के दौरान 13 नवंबर को निर्दलीय विधायक नरेश मीणा द्वारा एसडीएम अमित चौधरी के गाल पर थप्पड़ जड़ने की घटना और आरएएस एसोसिएशन द्वारा नरेश मीणा की गिरफ्तारी की मांग तथा उसके बाद हुई नरेश मीणा की गिरफ्तारी से बवाल मच गया है । मतदान के बाद इस इलाके में बुधवार रात हुई पथराव एवं आगजनी की घटना में 14 पुलिसकर्मी तथा कई ग्रामीण घायल हो गए। इस बीच नरेश मीणा के भीड़ के मध्य से गायब हो जाने की घटना ने इस मामले को और भी अधिक पेचिदा बना दिया। घटना की कांग्रेस भाजपा और अन्य सभी दलों ने कड़ी निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।

बुधवार शाम को उपद्रव और आगजनी की घटना के बाद गुरुवार को नरेश मीणा को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें वज्रवाहन में बिठाकर ले जाया गया लेकिन इस दौरान भी मीणा के समर्थक लोगों ने पुलिस पर पथराव किया। जवाबी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने भी आंसू गैस के गोले छोड़े। साथ ही पुलिस ने लोगों से शांति व्यवस्था बनाने की अपील भी की है।

आरएएस एसोसिएशन द्वारा इस मसले और अधिकारियों की सुरक्षा के मुद्दे पर गुरुवार को दिन भर जयपुर में धरना प्रदर्शन किया गया तथा गुरुवार रात को मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा से मिलना चाहा लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली है। आरएएस एसोसिएशन के साथ आईंएएस और अन्य सरकारी एसोसिएशन भी जुड़ गए है।

दरअसल घटना की शुरुआत टोंक जिले के देवली-उनियारा सीट के समारावता गांव के एक बूथ से शुरू हुई जहां समारावता गांव को नगरफोर्ट तहसील से हटाकर उनियारा तहसील में जोड़ने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया था। इस बीच अधिकारियों ने समझाइश कर कुछ लोगों से मतदान करा दिया था। इस पर कांग्रेस के बागी निर्दलीय प्रत्याक्षी नरेश मीणा नाराज हो गए और मतदान केन्द्र में पहुंच गए जहां उन्होंने एरिया मजिस्ट्रेट (मालपुरा के उपखण्ड अधिकारी एसडीएम) अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया था। इसके बाद से ही गांव में धरना शुरू हो गया था। बुधवार रात 9 बजे बाद पुलिस निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को गिरफ्तार करने मौके पर पहुंच गई। जहां पुलिस ने नरेश मीणा को पकड कऱ वाहन में बैठा लिया। इसके बाद उनके समर्थकों ने पुलिस वाहन पर पथराव कर दिया और नरेश मीणा को पुलिस कब्जे से छुड़ा ले गए थे। इसके साथ ही पथराव एवं आगजनी की वारदात बढ़ गई। गांव में खड़े दर्जनों वाहन आग की चपेट में आ गए। एक दर्जन पुलिसकर्मी समेत कई ग्रामीण घायल हो गए। पुलिसकर्मियों को रात को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया।

इस घटना से उपजे तनाव के बाद पुलिस ने गुरुवार दोपहर 12 बजे निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को पुनःगिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उनके समर्थक भड़क उठे और गुलाबपुरा, कचरावता हाइवे समेत अन्य सभी मार्ग जाम कर दिए तथा टायर आदि जलाकर विरोध प्रदर्शन किया । सुरक्षा बल ने उन्हें काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके बावजूद समर्थक बार-बार हाइवे पर आते रहे और उत्पात मचाते रहे। उपचुनाव के दौरान हुए बवाल में हुई आगजनी, पथराव मामले में पुलिस ने 60 लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्हें लाम्बा हरिसिंह थाने में ले जाया गया। जहां पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

उपमहानिरीक्षक ने बताया कि निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा आदतन अपराधी है और इनके खिलाफ प्रदेश के विभिन्न थानों में पहले ही 23 मामले दर्ज है। कई मामलों में वह वांछित है। वह मूलत मोटपुर जिला बारां का निवासी है। समरावता गांव में हुए विवाद के बाद नरेश मीणा के खिलाफ 4 मामले और दर्ज हुए हैं। इसमें एक मामला मालपुरा उपखंड अधिकारी एवं एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी ने मारपीट,राजकार्य में बाधा समेत अन्य धाराओं में दर्ज कराया गया है।

भजनलाल सरकार के सबसे वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा दोपहर टोंक जिले के समरावता गांव पहुंचे । यहां वे बीती रात हुई घटना के संबंध में ग्रामीणों और नरेश मीणा के समर्थकों से बात की। इससे पहले उन्होंने घटना पर प्रतिक्रिया दी। मीणा ने कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है, चाहे वह सरकारी कर्मचारी हो या आम नागरिक। उन्होंने कहा कि जिसने भी कानून अपने हाथ में लिया है, पुलिस को उसे गिरफ्तार करना चाहिए। मीणा ने कहा- “हमने पुलिस के आला अधिकारियों से बात की है और उन्हें मामले में संयम से काम लेने को कहा है। आम नागरिकों पर बल प्रयोग करने से समाधान नहीं निकलेगा।”

नरेश मीणा द्वारा एस डी एम को थप्पड़ मारने के मामले पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी कहा है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह हरकत का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि कल जो घटना हुई वो दुर्भाग्यपूर्ण है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह हरकत का कोई स्थान नहीं है। ना ही ऐसी घटना को स्वीकार किया जा सकता है। जो घटना हुई पूरी तरह से निंदनीय है। हमारा वैचारिक विरोध हो सकता है और असहमति भी हो सकती है लेकिन ऐसा व्यवहार करना बिल्कुल ठीक नहीं है। मै इस हरकत की निंदा करता हूं।

इधर नरेश मीणा ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि मैं पुलिस हिरासत से फरार नहीं हुआ। मैं सरेंडर करने के लिए तैयार हूं लेकिन ग्रामीणों की लड़ाई लड़ता रहूंगा। नरेश मीणा ने कांग्रेस नेता सांसद हरीश मीना पर आरोप लगाया कि वे मेरा एनकाउंटर करवा सकते हैं। वो मुझे चुनाव नहीं लड़ने देना चाहते थे। नरेश मीणा ने कहा कि हां मैंने एस डी एम को थप्पड़ मारा था। एस डी एम बीजेपी का एजेंट था और मुझे हराने के लिए पूरा प्रयास कर रहा था। एस डी एम फर्जी वोटिंग करवा रहा था। मैं कलेक्टर से नीचे किसी से बात करने के लिए तैयार नहीं था। पुलिस ने मुझे जीप में डालकर मारा। पुलिस ने मिर्ची बम फेंके। पुलिस ने मकानों में तोड़फोड़ की, वाहनों में आग लगाई। मैं पुलिस हिरासत से फरार नहीं हुआ। ग्रामीणों की पिटाई के बाद पुलिस वाले मौके से भाग गए कलेक्टर मौके पर आती तो सब कुछ नहीं होता। मैंने कहा पुलिस को मुझे गिरफ्तार करो लेकिन एस डी एम पर भी कार्रवाई की बात मैंने की थी। बुलाने पर भी कलेक्टर मौके पर नहीं पहुंचीं। मेहंदी लगाकर बैठी थी। शुरुआत पुलिस-प्रशासन ने की, हमने नहीं की। नरेश मीणा ने भागना नहीं सीखा। ग्रामीणों की पिटाई के बाद पुलिस वाले मौके से भाग गए। उधर पुलिस का कहना है कि पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार नरेश मीणा आदतन अपराधी है। 2002 से ही नरेश मीणा का रिकॉर्ड आपराधिक रहा है। अभी तक नरेश मीणा के खिलाफ अलग-अलग पुलिस थानों में कुल 23 मामले दर्ज हैं।इनमें से 16 प्रकरणों में चालान हो चुके हैं। वहीं 6 प्रकरण ऐसे हैं जिनमें अनुसंधान जारी है तथा 1 मामले में एफ आर लग चुकी है। नरेश मीणा पर चोरी, जुआ मारपीट जैसे मामले दर्ज हैं।

सवाल यह है कि क्या टोंक के उनियारा देवली विधानसभा क्षेत्र में हुई इस घटना से राजस्थान का नाम भी बदनाम नहीं हुआ ? साथ ही क्या ऐसी घटनाओं की पुनरावृति रोकने तथा दोषियों को सबक सिखाने के लिए गंभीर प्रयास किए जाएंगे और क्या निर्वाचन आयोग भी ऐसे दोषी प्रत्याशियों पर हमेशा के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाएगा?