शासन तक पहुंचा नगर निगम फूलमाला-बुके खरीदी का मामला, नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त ने दिए जांच के आदेश

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शासन तक पहुंचा नगर निगम फूलमाला-बुके खरीदी का मामला, नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त ने दिए जांच के आदेश

भोपाल: महापौर मालती राय की नाराजगी के बाद भी नगर निगम के जनसंपर्क विभाग ने डेढ़ करोड़ रुपए की राशि से फूल-मालाएं खरीदने वाले टेंडर को पास कर दिया है। अब यह मामला शासन तक पहुंच गया है। इस निविदा सूचना में जनसंपर्क विभाग ने काफी गड़बड़ी की हैं। टेंडर शर्तों का उल्लंघन करके निविदा सूचना की त्रुटिपूर्ण कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए थे। ऐसे में इस मामले की शिकायत नगरीय विकास एवं आवास विभाग के सचिव एवं आयुक्त भरत यादव से की गई है। उन्होंने तत्काल इस मामले की जांच के लिए नगर निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण को जांच-पड़ताल के बाद रिपोर्ट तलब की है।

यह है मामला
नगर निगम प्रशासन के अपर आयुक्त जनसंपर्क के अनुसार 22 या 23 अगस्त को फूल/माला/बुके/फ्लावर/पॉट/सजावट आदि की व्यवस्था का टेंडर जारी किया गया था। इसमें कुल अनुमानित राशि को गायब कर दिया गया, जबकि इसके राशि करीब डेढ़ करोड़ रुपए है। टेंडर में सिर्फ धरोधर राशि 1.50 लाख रुपए, प्रपत्र राशि 12500 रुपए और 24 महीने का जिक्र है। अनुमानित लागत का बॉक्स या कॉलम गायब ही कर दिया गया है। इस मामले में नगर निगम जनसंपर्क विभाग ने निविदा सूचना में अनुमानित लागत के कॉलम से करोड़ों रुपए की राशि का उल्लेख ना करके इसे छिपाया था।

महापौर ने बार-बार जताई नाराजगी
करीब पौने दो साल पहले 8 नवंबर, 2022 को नगर निगम भोपाल के जनसंपर्क विभाग ने यह टेंडर जारी किया था। इस पर महापौर मालती राय ने निगम की माली हालत का जिक्र करते हुए इस फिजूलखर्ची पर राशि नहीं खर्च करने का वादा किया था। इसके बाद नवंबर, 2022 में निकाला गया टेंडर निरस्त कर दिया गया था। लेकिन निगम के जनसंपर्क विभाग ने दोबारा फिर अपनी होशियारी दिखाकर इस टेंडर को जारी कर दिया। इस पर दोबारा महापौर ने नाराजगी दर्ज कराई थी, इसके बाद भी इस टेंडर को पास कर दिया गया है।

पर्दे के पीछे भाजपा नेता का व्यापार
विभागीय सूत्रों की मानें तो नगर निगम में फूल-माला के टेंडर के पीछे एक भाजपा नेता का हाथ है। वे इस व्यापार में कई सालों से जुड़े हुए हैं। उनके राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण नियमों-कानून को ताक पर रखकर यह टेंडर दिया गया है। इस टेंडर में तीन कंपनियां सामने आई थी, लेकिन आरटीआई में जानकारी मांगने पर भी निगम जनसंपर्क विभाग के अफसर इसकी जानकारी उजागर नहीं कर रहे हैं।