“चांद” जो सुकून और गौरव से भर गया…
सुधांशु का मतलब “चांद” होता है। नाम का मतलब चांद होने की वजह से सुधांशु नाम के लोगों को समाज में भी बहुत पसंद किया जाता है। और सभी को पता है कि पूर्णिमा के दिन चांद पर सूर्य का पूरा प्रकाश पड़ता है और चांद गोल दिखता है। तो पूर्णिमा के दूसरे दिन भी चांद करीब-करीब पूर्णिमा के चांद की तरह ही रोशन रहता है। और पूर्णिमा के दूसरे दिन 5 नवंबर 2023 की शाम रवींद्र भवन में उदय हुआ “चांद” कुछ खास था, जो इस दौर में सभी राष्ट्रप्रेमियों के दिलों पर राज कर रहा है। यह चांद था सुधांशु त्रिवेदी, जो राष्ट्रवादी चिंतक, विचारक और असीम ज्ञान के पर्याय माने जाते हैं। इसी पूंजी की बदौलत वह भाजपा से राज्यसभा के सांसद हैं। सरोकार संस्था द्वारा आयोजित अभ्युदय भारतम संवाद कार्यक्रम में त्रिवेदी ने भारत की बात की और यह साबित किया कि दुनिया में सर्वश्रेष्ठ देश हमारा ही है।
देश की बेटियों को नसीहत दी कि वेश और नाम बदल कर आने वाले रावणों से बचने की जरूरत है। इसी प्रकार जिस तरह नए मामले आ रहे हैं उससे बेटों को भी सुर्पणखा से सावधान रहना चाहिए। यह बात हुई लव जिहाद की। तो राम और मोदी पर भी खुलकर बोले सुधांशु, कहा कि जब-जब राम जन्मभूमि पर शिला पूजन फैसला और निर्माण शुरू हुआ है, तभी भारत के अभ्युदय की शुरुआत भी हुई है। राजा भोज वास्तु के जानकार थे। उनके द्वारा वास्तु से जुड़े ग्रंथ में जो लिखा गया उसका पालन श्रीराम जन्मभूमि के भूमि पूजन में किया गया। कामेश्वर चौपाल बिहार के दलित नेता ने श्रीराम जन्मभूमि की नीव में पहली ईंट रखी। जब हम राम जन्मभूमि आंदोलन में शामिल थे तो कांग्रेसी हमसे तारीख पूछते थे। जबकि उन्हें मालूम होना चाहिए था कि यह सब काल चक्र तय करेगा। जैसे-जैसे राम जन्मभूमि आंदोलन और आगे बढ़ा और मंदिर के निर्माण की बात आगे बढ़ी भारत आगे बढ़ता गया। 6 दिसंबर 1992 को जब यह ढांचा ध्वस्त हुआ भारत की अर्थव्यवस्था भी ध्वस्त हो गई थी लेकिन वर्ष 2001 में अटल जी की सरकार के समय राम जन्मभूमि पर शिला पूजन हुआ तो भारत की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ने लगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले आने के बाद देश में विकास की एक नई शुरुआत हुई। पूरी रामायण बताती है कि पहले वनवासी सबरी का उद्धार हुआ फिर सुग्रीव और विभीषण का राजतिलक हुआ उसके बाद श्री राम अयोध्या लौटे। ठीक है सही भारत में हुआ पहले दलित वर्ग से आने वाले रामनाथ कोविंद देश के राष्ट्रपति बने फिर हमारी बनवासी बहन द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति के रूप में सम्मान मिला और अब राम मंदिर पूर्णता की ओर है। यह सब कालचक्र ने तय किया है। अब दुबई और आबू धाबी में भी मंदिर बन रहे हैं यही भारत काअभ्युदय है। हर बात को अपने लहजे में कहकर तर्क की कसौटी पर कसकर सुधांशु अपनी वाक क्षमता का लोहा मनवा देते हैं। यही भोपाल के रवींद्र भवन में भी दिखा। उन्होंने भरोसा जताया कि 19वीं सदी अंग्रेजों की थी, 20वीं सदी कांग्रेस की रही और अब 21वीं सदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की है।
तो सुधांशु त्रिवेदी ने भारतीय संस्कृति और वेदों का उल्लेख करते हुए कहा कि हम हजारों वर्षों से प्रकृति की उपासना कर रहे हैं। हमारे वेदों की ऋचाएं धरती,अग्नि,जल, वायु,आकाश का वर्णन करती हैं और पूरी प्रकृति इस संरक्षण के मंत्र बोलती है। 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है। 1974 से दुनिया मना रही है। नदी,जल,जमीन, वायु की बात शुरू हुई, लेकिन हम अनादि काल से जल,अग्नि,वायु,प्रकृति और यहां तक कि अंतरिक्ष के लिए भी मंत्र बोल रहे हैं। मौजूदा पर्यावरण संतुलन पर यदि हम अभी जागरूक नहीं हुए तो आने वाले 50 साल के बाद मानव जीवन खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने ऋग्वेद की ऋचाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि वर्ल्ड अर्थ समिट जिस भूमि संरक्षण की बात अब कह रहा है, वह बात लाखों साल पहले हमारे वेदों में लिखी गई हैं। भगवान सूर्य के पूरे भारत में जितने मंदिर हैं सभी में उनके सात घोड़े हैं, लेकिन विज्ञान ने अब बताया कि सूर्य के सात रंग हैं। इसी परंपरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भर बना दिया है। त्रिवेदी ने सभागार में उपस्थित लोगों को बताया कि आज संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर की पुण्यतिथि है और आज ही योगी आदित्यनाथ का जन्मदिन है। यह दो घटनाएं एक ही तिथि में होना बताती है कि भारत के त्याग, तपस्या से जुड़े अतीत और गौरवशाली भविष्य का गजब संयोग है।
फिर गिनाईं मोदी सरकार की उपलब्धियां कि मोदी सरकार ने 9 करोड़ 60 लाख उज्जवला कनेक्शन दिए , 37 करोड़ एलईडी बांटे जो अमेरिकी जनसंख्या के बराबर थे। अब साढ़े तीन करोड़ गरीब महिलाएं प्रधानमंत्री आवास की मालकिन हैं। 15 अगस्त 2014 को स्वच्छता अभियान और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान दिए। यह नए भारत की शुरुआत थी। यह विचार बदलने का अभियान था जिसके नतीजे अब सामने आ रहे हैं। मोदी सरकार आने से पहले 28 फरवरी या 1 मार्च को बजट आता था। अब 1 फरवरी या 31 जनवरी को आता है क्योंकि बजट पर काम शुरू होने के पहले इस देश में मानसून आ जाता था। अटलजी की सरकार से पहले कांग्रेस की सरकार शाम को 5:00 बजे बजट पेश करती थी ऐसा इसलिए किया जाता था कि उस वक्त इंग्लैंड में दोपहर के 12:00 बज रहे होते थे। अटलजी ने इसका समय बदला और मोदी जी ने तारीख। हमारा बजट हमारे देश की जनता के लिए समय पर सदुपयोग में लाया जाए इसकी चिंता भाजपा की सरकारों ने की है।
उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा और कहा कि जो खुद को परम शिव भक्त और जनेऊ धारी बताते हैं, अमेरिका में जाकर मुस्लिम लीग को सेकुलर बता रहे हैं। कोट के ऊपर जनेऊ धारण करने वाले नेता खुद को ब्राह्मण साबित करने में जुटे हैं जबकि उन्हें मालूम होना चाहिए कि यज्ञोपवीत एक संस्कार है। यह किसी जातीय वर्ग के लिए नहीं बल्कि हर भारतीय के लिए जरूरी है। जंगल की कंदराओं में रहने वाले हनुमान जी भी कांधे पर जनेऊ धारण किए थे। डॉ त्रिवेदी ने कहां की मौजूदा समय में इंग्लैंड का प्रधानमंत्री गायों की पूजा कर रहा है। भारत की संसद पर जब सिंह स्थापित किए जाते हैं तो यह लोग छाती पीटते हैं। ये वो लोग हैं जिन्हें शेर भीगी बिल्ली जैसे दिखने चाहिए। अब शेर, शेर दिखने लगा है। पहले शांति के कबूतर उड़ाए जाते थे। अटलजी ने कहा था हम दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं। मोदी जी ने तय किया कि हम पड़ोसी को ठीक कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का अभ्युदय हो रहा है। आज हम दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। उस इंग्लैंड को पीछे छोड़कर जिसने हमारे ऊपर शासन किया है। एक दिन पहले अमेरिका में राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान पर उन्होंने कहा कि अरे मिरर में आप पीछे देख रहे हैं। आज देश में 82 करोड़ लोगों के पास मोबाइल फोन है। ऑटो सेक्टर में दुनिया में तीसरे नंबर पर हम हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के मामले में बंदरगाह, सड़क, बिजली और एयरपोर्ट बनाने के मामले में हम दुनिया में सबसे आगे हैं। देश में रक्षा उपकरण न केवल बनाए जाने लगे हैं बल्कि हम उसका निर्यात कर रहे हैं। राजीव गांधी ने कहा था दिल्ली से एक रुपया भेजा जाता है तो आम आदमी के पास 15 पैसे पहुंचते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनधन खाते खोलकर यह तय कर दिया कि अब पूरा पैसा गरीब के खाते में जमा होगा। पिछले 9 साल भारत के इतिहास के वह 9 साल हैं, जिसमें हमने पाकिस्तान से कभी ऑफिशियल डायलॉग नहीं किया है। इससे हमने साबित किया है कि हम आतंकवाद के साथ वार्ता नहीं करेंगे।
तो सुधांशु को तर्क के साथ अपनी बात रखने में महारत हासिल है, यह प्रमाणित है। राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत राष्ट्रीय विचारधारा के लोगों को यह “चांद” निश्चित तौर पर सुकून और गौरव से भर गया …।