Patalkot की रहस्यमई बूटी भूलन बेल और सूमा डूमा:एक ऐसी वनस्पति जो रस्ता भटका दे वो भूलनबेल और बोने वनवासी जो आपको वश में कर लें!

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Patalkot की रहस्यमई बूटी भूलन बेल और सूमा डूमा

एक ऐसी वनस्पति जो रस्ता भटका दे वो भूलनबेल और बोने वनवासी जो आपको वश में कर लें!

डॉ. विकास शर्मा
भूलन बेल और सूमा डूमा इन दोनों के विषय में आपको पातालकोट के बुजुर्गों से सुनने को मिल जाएगा। आखिर क्या रहस्य है इनका ? आइए विस्तार से चर्चा।करते हैं।
क्या आप भी कभी घने जंगलों में चलते हुए रास्ता भटके हैं? यदि आपका जबाब हाँ है तो फिर आपको भूलनबेल की यह पोस्ट अवश्य पढ़ना चाहिये।
भुलनबेल एक रहस्यमयी बूटी है। नाम मे ही एक अजीब सी कशिश है। नाम सुनकर ही लगता है मानो कोई ऐसा पौधा होगा जो सब कुछ भुला देता होगा। हाँ जी, सही समझे! अगर पातालकोट के बड़े बुजुर्गों की माने तो – नाम की तरह ही भूलनबेल का काम भी है। यह एक विख्यात बूटी है जो घने जंगलो में पायी जाती है। जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। हाँ किस्से कहानियां जरूर सभी ने सुनी हुयी हैं। कि एक बार जंगल से गुजर रहे थे और भूलन बेल लग गई, वगैरा वगैरा…।
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ऐसा ही रास्ते से भटक जाने वाला एक और किस्सा जुड़ा है सूमा डूमा से। सूमा- डूमा कम ऊंचाई के एक लोक देवता हैं जो घने जंगलों में बीच रहते हैं। जिन्हें एक तरह से न्याय का देवता कह सकते हैं। यह खासकर बहुत अधिक मदिरा पीने वाले पुरुषों को अपने साथ ले जा लेते हैं। और जब तक सामने वाला अपनी गलती का प्रायश्चित न कर ले इससे कैदी की तरह अपना कार्य करवाते हैं।।यहाँ के क्षेत्रीय जानकर कहते हैं कि ये मुँह से कुछ नही बोलते, इनके पास एक गजब का सम्मोहन होता है जिससे ये किसी को भी वश में कर लेते हैं। कुछ समय काम करवाने के बाद ये उन्हें सकुशल मुक्त भी करते हैं। इनके डर के कारण यहां के लोग अधिक शराब पीकर रात बरात जंगलों में इधर उधर भटकते नहीं हैं।
इसी तरह के छोटे आकार के मनुष्य दक्षिण अफ्रीका में पाए जाते हैं और पिग्मी के नाम से जाने जाते हैं। किंतु छिंदवाड़ा के पातालकोट में आधिकारिक रूप से इनकी उपस्थिति कभी दर्ज नहीं की गई अतः फिलहाल इन्हें किसी कहानी का पात्र या लोकदेवता मानना ही उचित होगा। लेकिन अगर संदेश की बात करें तो ये वनवासियों या यहां के निवासियों को शराब सेवन के बाद जंगल में जाने से रोकते हैं अतः कहीं न कहीं इनके डर के कारण इंसान अपनी जान सुरक्षित कर रहा है, इसीलिए इनका अपना खास महत्व है। पातालकोट के जंगल बहुत घने हैं व सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से लगे हुए हैं अतः यहां जंगली जानवरों का बहुत अधिक खतरा होता है।
भूलन बेल के विषय में #पातालकोट के #भरिया ,[bhaariya] जनजाति के लोगों का मानना है की जिस स्थान पर यह पौधा पाया जाता है, उसके ऊपर से गुजरने वाला पथिक अपना रास्ता भटक जाता है। इसीलिए इस क्षेत्र में अगर कोई लौटने या आने में काफी देरी कर देता है, तो उसके लिए एक कहावत है- भूलन बेल लग गयी थी क्या..? कहते हैं भूलनबेल सूर्य के प्रकाश के विपरीत दिशा में गति/ विकास करती है। इसके अलावा इसकी शक्तियों के प्रभाव से मशीन बंद पड़ जाती हैं, हालाकि इसकी वैज्ञानिक सत्यता दिखाई नहीं देती।
भूलन बेल का सबसे अधिक उपयोग तंत्र सिद्धि के लिए किया जाता है, इस पौधे का जनजातियों में इतना ख़ौफ़ है कि कई लोग तो इसका नाम में अपनी जुबान से लेने में कतराते हैं। खैर वनस्पति शास्त्र होने के नाते मैं अपने काम की बात पर आऊँ। यहाँ जिस पौधे को भूलनबेल समझा जाता है वह एक फ़र्न प्रजाति का पौधा है, जो टेरिडोफाइट समूह का सदस्य है। सभी टेरिडोफाइट के विपरीत यह लता के रूप में पाया जाता है, इसीलिये climbing fern के नाम से जाना जाता है। यह एक दुर्लभ पौधा है जो अब बहुत कम स्थानों में शेष रह गया है। इसका वैज्ञानिक नाम Lygodium है।
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टैरिडोफाइट समूह का सदस्य होने के नाते इसमें सामान्य पौधों की तरह पुष्प और बीज और फल नही पाये जाते हैं। बल्कि बीजों जैसी संरचनाएं पत्तियों के किनारों पर लगी होती हैं।।इन बीज समान संरचनाओं को स्पोर्स कहते हैं। इसकी विशेष प्रकार की पत्तियां जो कि स्पोर्स धारण करती हैं। स्पोरोफिल कहलाती हैं। ये बहुत छोटे छोटे और लाखों की संख्या में उत्पन्न होते हैं। किन्तु स्पोर्स का जर्मिनेसन एक खास वातावरण में ही होता है, अतः मेरे द्वारा लाये गए स्पोर्स से कभी भी अंकुरित नही हो पाया फलस्वरूप अब यह दुर्लभ औषधि चंद स्थानों पर सिमटकर रह गई है।
Lygodium एक महत्वपूर्ण औषधीय पादप भी है, जिसका प्रयोग बुखार, दाद – खाज, अन्य त्वचा रोगों, पीलिया, टाइफाइड, पुराने घावो को भरने, कृमि नाशक के रूप में भी किया जाता है।
यह तो हुयी एक बात किन्तु अभी भी कुछ और ऐसी रहस्मयी जड़ी बूटियाँ बाकि हैं, जिन्हें भी जानकार भूलनबेल कहते है, उन्ही में से एक छत्तीसगढ़ की कहानियों का पात्र जंगल चकवा है। यह वनस्पति भी भूलन बेल के नाम से प्रसिद्ध है। इसका वैज्ञानिक नाम Tylophora rotundifolia है, और यह ऐपोसायनेसी कुल का सदस्य है। इसके अलावा एक तरह की फिलामेंट युक्त कवक भी इसी रूप में विख्यात है, जिसे छोटी भूलन बेल कहते हैं। इसे मैने वनस्पतियों के अच्छे जानकारी Suresh Pawar Deshmukh जी के गाँव में देखा है किन्तु उपयुक्त सेंपल न होने से इसकी सटीक पहचान नहीं कर पाया। केवल होने के कारण यह सीमित समय के लिए ही उपलब्ध होती है। कुल मिलकर भूलन बेल के विषय में ज्यादातर किस्से कहानियों में रास्ता भटकने, और सूर्य की रौशनी के विपरीत दिशा में इसके चलने/ विकास करने की जानकारी मिलती है।
अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार आपको बता दूँ कि भूलन बेल दो प्रकार की होती हैं एक छोटी और एक बड़ी। आप भी सोचिये और बताइए कि कभी भूलन बेल के विषय में कुछ देखा या सुना है क्या? अगर हाँ, तो कमेंट बॉक्स आपका इंतजार कर रहा है। लिख डालिए अपने अनुभव। अन्य कोई जानकारी मन में हो तो कृपया साझा करें।
डॉ. विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई