‘आशीर्वाद’ और ‘आक्रोश’ के बीच छिपा मध्यप्रदेश के जन का मत…

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‘आशीर्वाद’ और ‘आक्रोश’ के बीच छिपा मध्यप्रदेश के जन का मत…

भारतीय जनता पार्टी द्वारा निकाली जा रही जन आशीर्वाद यात्रा को मध्यप्रदेश के अलग-अलग अंचलों में अच्छा जनसमर्थन मिल रहा है। बड़े-बड़े नेता केंद्र से और अलग-अलग राज्यों से आकर राज्य के बड़े नेताओं संग रथों पर सवार होकर जनता से आशीर्वाद बनाए रखने का आग्रह कर रहे हैं। तो अब कांग्रेस ने जन आक्रोश यात्रा निकालने का फैसला किया है। जन आशीर्वाद यात्रा पांच अलग-अलग अंचलों में निकल रही हैं, तो इनका मुकाबला करने के लिए कांग्रेस द्वारा 19 सितंबर से एक साथ सात जन आक्रोश यात्राएं निकाली जाएंगी। जन आक्रोश यात्रा में कांग्रेस के बड़े नेता शामिल होंगे, इस दौरान अनेक जगह आमसभा का भी आयोजन होगा। मतलब आगामी एक सप्ताह जंग आशीर्वाद और आक्रोश के बीच नजर आने वाली है। यात्राओं में दिखने वाली भीड़ की तुलना कर यह नापा तौला जाएगा कि किसमें कितना दम है। जनता तो मौन रहेगी, फिलहाल बोलने की जिम्मेदारी नेताओं की ही रहेगी। पर यह बात तय है कि यात्राओं से दोनों दलों के कार्यकर्ताओं की सक्रियता का ग्राफ जरुर बढ़ने वाला है। और जब मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम का विश्लेषण होगा, तब आशीर्वाद और आक्रोश के बीच छिपा जन का मत क्षेत्रवार यह साबित करेगा कि कहां आशीर्वाद का पलड़ा भारी था और कहां आक्रोश असर दिखा रहा था।
तो जन आक्रोश यात्रा पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान आया है कि जनता का आक्रोश देखकर कांग्रेस ने भोपाल में होने वाली इंडी की रैली कैंसिल कर दी। उनको पता था कि भोपाल में रैली होगी तो क्या होने वाला है..? लोग आक्रोशित थे। सनातन धर्म का अपमान किया गया है और मैडम सोनिया गांधी, राहुल बाबा ने अभी तक कोई जवाब नही दिया। दिग्गी और कमलनाथ भी कुछ नहीं बोल रहे हैं और इसी डर से उन्होंने रैली रद्द कर दी। अब देखो जनता जिनको आशीर्वाद दे रही है वह आशीर्वाद यात्रा निकालेंगे और जिन्होंने जनता की सुविधा छीनी थी और जिनके खिलाफ आक्रोश है। एक नहीं कई तथ्य हैं, प्रधानमंत्री जी ने जल जीवन मिशन 2019 में शुरू किया कमलनाथ जी ने पानी नहीं पहुंचने दिया घरों में, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के नाम नहीं पहुंचाए कमलनाथ जी ने और किसानों को नुकसान हुआ, प्रधानमंत्री आवास वापस लौटा दिए गए क्योंकि स्टेट का शेयर ही नहीं दिया गया और मध्य प्रदेश की तो सारी योजना बंद कर दी। संबल योजना बंद कर दी, भांजियों के लैपटॉप बंद कर दिए, साइकिल बंद कर दी, कन्या विवाह में विवाह करके पैसा नहीं दिया, तीर्थ दर्शन योजना बंद कर दी इसलिए जनता में आक्रोश है। यह जिनके खिलाफ आक्रोश है वह आक्रोश रैली निकाल रहे हैं।
वहीं कांग्रेस गणेश चतुर्थी से जन आक्रोश यात्रा का आगाज करने जा रही है। यह यात्रा 15 दिन में सभी 230 विधानसभाओं से होकर गुजरेगी। बीजेपी के खिलाफ चल रही एंटी इन्कम्बेंसी का फायदा उठाने के लिहाज से इस यात्रा का खाका तैयार किया गया है। कांग्रेस क्षेत्रीय नेताओं को मैदान में उतारकर, जनता को जमीनी मुद्दों पर चुनाव लड़ने का संदेश देने की कोशिश करेगी। इस यात्रा के जरिए कांग्रेस 11,400 किलोमीटर की दूरी को कवर करेगी। यह यात्रा मध्यप्रदेश के सभी संभागों से होकर गुजरेगी। इस यात्रा की जिम्मेदारियां विधानसभा स्तर पर नेताओं के वर्चस्व के आधार पर तय की गई है। सात स्थानीय नेताओं को यात्रा की कमान सौंपी गई है, इनमें वर्चस्व वाले चेहरे नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल, सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया और जीतू पटवारी शामिल हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का मानना है कि मेरा और कांग्रेस पार्टी दोनों का मध्य प्रदेश के मतदाताओं पर पूरा विश्वास है। यह चुनाव मध्य प्रदेश के भविष्य का है। सही मुद्दों की तरफ जनता का ध्यान आकर्षित करें यही हमारी जन आक्रोश यात्रा का उद्देश्य है।
तो अब मिशन-2023 में भाजपा और कांग्रेस की मानसून में भी बिना थके यात्रा जारी है। भाजपा ने पहली सूची पहले जारी कर बाजी मारी है, तो जनआशीर्वाद यात्रा भी पहले शुरू कर जनता के बीच पहुंचने में बाजी मार ली है। अब 19 मार्च से कांग्रेस भी जनआक्रोश यात्रा के जरिए जनता के बीच पहुंच रही है। सनातन धर्म का मुद्दा इन दिनों चर्चा में है और जनआक्रोश यात्रा के बैनर में दिग्विजय सिंह का फोटो न होना भी चर्चा में है। कांग्रेस के मध्यप्रदेश प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि 18 सालों की प्रदेश की बदहाली और बर्बादी का जनता में जो असंतोष था, वो अब “जन आक्रोश” में तब्दील हो गया है। तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा पलटवार करते हैं कि कमलनाथ ने नौजवानों, किसानों, महिलाओं सबके साथ अपने 15 महीने के कार्यकाल में लगातार झूठ बोला था। इसलिए कांग्रेस को ‘माफी मांगो यात्रा’ निकालनी चाहिए। खैर अब आशीर्वाद और आक्रोश यात्रा अपनी जगह हैं और जन-जन का मन चुनाव की अपनी यात्रा कर रहा है। समय आने पर यही जन सही फैसला सुनाकर अपना मत देने को तैयार बैठा है…।