

प्रजा सुखे सुखं राज्ञा: …
कौशल किशोर चतुर्वेदी
प्रजा सुखे सुखं राज्ञा: प्रजानाश्च हिते हितंl
नात्मप्रियं सुखं राज्ञा: प्रजानाश्च सुखे सुखम्ll
अर्थात प्रजा के सुख में ही राजा का सुख है और प्रजा के हित में ही राजा का हित। अपना प्रिय राजा का सुख नहीं है, उसका सुख तो प्रजा के सुखी रहने में ही है। प्रसिद्ध दार्शनिक आचार्य चाणक्य द्वारा दी गई आदर्श राजा की इस परिभाषा पर यदि कोई शासक पूर्णतया खरा उतरता है, तो वह हैं मालवा की शासिका देवी अहिल्याबाई होलकर। अपने कुशल प्रशासन तथा लोक कल्याणकारी नीतियों के कारण वह प्रजा में इतनी लोकप्रिय थीं कि अपने जीवनकाल में ही वे प्रजाजनों के दिलों में देवी के रूप में स्थापित हो गई थीं।
आज उनकी प्रासंगिकता यही है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में देश-प्रदेश का मुखिया प्रजा के सुख में अपना सुख मानते हुए प्रजा के सेवक के रूप में कार्य करे। और नेतृत्व का ऐसा आदर्श उदाहरण पेश करे कि प्रजा उसके जीवनकाल में ही देवता या देवी की तरह स्वीकार करने में प्रसन्नता का अनुभव कर सके। आज देवी अहिल्या की चर्चा इसलिए क्योंकि मध्यप्रदेश सरकार देवी अहिल्या के 300 वें जयंती समारोह के अंतर्गत 20 मई 2025 को उनकी नगरी इंदौर के राजवाड़ा में कैबिनेट बैठक का आयोजन कर ऐतिहासिक फैसले लेने जा रही है।
तो लोकमाता देवी अहिल्या बाई के त्रिशताब्दी समारोह का मुख्य र्कायक्रम 31 मई 2025 को भोपाल के जम्बूरी मैदान में होगा। महिला सशक्तिकरण पर केन्द्रित इस कार्यक्रम में लगभग एक लाख प्रतिभागियों की उपस्थिति अपेक्षित है। कार्यक्रम में भारत सरकार की ओर से लोकमाता देवी अहिल्या को समर्पित डाक टिकट और सिक्के का लोकार्पण भी प्रस्तावित है। इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करेंगे। मोदी का यह मेगा शो महिलाओं पर केंद्रित होकर इतिहास रचेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मानना है कि देवी अहिल्या बाई होल्कर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को समर्पित थीं। लोकमाता के कार्यों के विस्तार और विचारों पर शोध आवश्यक है। देवी अहिल्या द्वारा अन्य राज्यों में निर्मित मंदिरों का रख-रखाव और गतिविधियों का संचालन, संबंधित राज्य सरकारों से समन्वय कर सुनिश्चित किया जाए। सम्पूर्ण जंयती वर्ष में लोकमाता पर केन्द्रित गतिविधियां हों। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर ने सुशासन, क्षेत्रीय विकास और न्याय प्रबंधन के अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किए। उनके द्वारा जनसामान्य के कल्याण और महिलाओं के स्वावलम्बन के लिए किए गए कार्य अनुकरणीय हैं। लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर ने देश भर में धर्म और संस्कृति के उत्थान के कार्यों के माध्यम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की दिशा में कार्य किया। उनके इस सपने को साकार करने के लिए लोकमाता के 300 वें जयंती समारोह के अंतर्गत मध्यप्रदेश में वर्ष भर इन विषयों पर केंद्रित गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
तो सरकारों और आमजन सभी के लिए देवी अहिल्याबाई का जीवन आदर्श है। अहिल्याबाई होलकर (31 मई 1725 – 13 अगस्त 1795), मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध महारानी तथा इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खण्डेराव की धर्मपत्नी थीं। वह परिहार गोत्र की थी । उन्होंने माहेश्वर को राजधानी बनाकर शासन किया। और एक मां की तरह प्रजा का पालन पोषण किया। तो मध्यप्रदेश सरकार देवी अहिल्या के पदचिन्हों पर चलती रहे और कल्याणकारी फैसले करती रहे। इंदौर के राजवाड़ा में होने जा रही कैबिनेट में लिए गए फैसले देवी अहिल्या की मंशा पर खरे उतरें। कैबिनेट में लिए गए फैसलों में प्रजा सुखे सुखं राज्ञा: …की प्रतिध्वनि से राजवाड़ा का पूरा परिसर गूंज जाए और प्रदेश की साढे आठ करोड़ जनता इसे अपने दिलों में महसूस कर सके। ताकि देवी अहिल्या की 300 वीं जयंती की सार्थकता सिद्ध हो सके…।