जिसे मृत मानकर 12वां कर दिया गया था, वह 30 साल बाद मिला

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जिसे मृत मानकर 12वां कर दिया गया था, वह 30 साल बाद मिला

बड़वानी: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा ग्रामीण थाना क्षेत्र से गया रमेश 30 साल बाद जब अपनी मां से मिला तो बड़ा ही भावनात्मक दृश्य उत्पन्न हो गया। उसकी पहचान बैलगाड़ी से गिरने के बाद पांव में आये 14 टांके से हुई।

जामनिया गांव का 55 वर्षीय रमेश जब लौटा तो ग्रामीणों ने उसका स्वागत बैंड बाजे के साथ किया। उसकी मां सुमन बाई अपने इकलौते पुत्र को बार-बार छूकर देख रही थी और नाच रही थी। उसके पिता केसरिया ने दो महीने पहले ही आत्महत्या की थी इसलिए उसकी मां के लिए उसके पुत्र को पाने के बराबर खुशी का पल कुछ हो नहीं सकता था।

जामनिया के समाजसेवी जितेंद्र जैन ने बताया कि 1995 में रमेश कहीं चले गया था। पुलिस में उसकी गुमशुदगी दर्ज करवाने के अलावा परिवार वालों ने कई स्थानों पर उसकी खोज की लेकिन वह नहीं मिला। जितेंद्र पढ़ाई लिखाई में बहुत अच्छा था और कक्षा 5 में वह तत्कालीन खरगोन जिले की मेरिट लिस्ट में आया था। कक्षा 10 की पढ़ाई के बाद उसकी पुलिस में नौकरी भी लगने वाली थी । बाद में उसकी दो शादियां हुई, लेकिन उसकी पत्नियां उसे मानसिक बीमार मानते हुए छोड़कर चले गई। इसके बाद परेशान होकर वह भी घर से चल गया।

सेंधवा ग्रामीण थाने के आरक्षक लाल सिंह नार्वे ने बताया कि उसे मुरैना में पदस्थ आरक्षक देवेंद्र परमार ने सूचित किया था की खरगोन जिले का एक व्यक्ति धौलपुर जिले के कंचनपुरा थाना क्षेत्र में भटक रहा है। उसे 10 महीने पहले अंबरखाका निवासी सौदान सिंह और उसके भाई बदन सिंह ने बारिश में भीगते हुए पाया था और उसका उपचार करवाने के बाद अपने यहां खेती और पशु संभालने का काम दिया।

कुछ दिनों पहले गणेश विसर्जन के समय उसे अपने ग्राम में भी गणेश उत्सव मनाने की बात याद आ गई। इसके बाद वह इमोशनल होकर रोने लगा ।दोनों भाइयों ने देवेंद्र के भाई शिक्षक माखन परमार को सूचित किया ताकि पुलिस की मदद से उसे घर भेजा जा सके। शिक्षक माखन परमार का भाई मध्य प्रदेश के मुरैना में आरक्षक के रूप में पदस्थ था।

देवेंद्र परमार ने बताया कि रमेश ने तत्कालीन खरगोन जिले के जामनिया क्षेत्र का पता बताया है। इसके बाद नाम और फोटो भेज कर खरगोन जिले में संपर्क किया गया और फिर 1998 में खरगोन से अलग हुए बड़वानी जिले की पुलिस से संपर्क किया गया।

आरक्षक लाल सिंह ने रमेश के फोटो को कई ग्रुपों में प्रेषित किया। इसके बाद जामनिया के जितेंद्र जैन और अन्य ने उसकी मां को फोटो दिखाई तो चेहरा बदल जाने के चलते वह पहचान में नहीं आया। उसकी मां सुमन बाई ने बताया कि भगोरिया मेले में बैलगाड़ी से गिरने के कारण रमेश के पैर में चोट आई थी, और 14 टांके लगे थे। इसके अलावा वह सर टेढ़ा रखता था। वीडियो कॉल में सारी स्थिति स्पष्ट हो गई, उसके सिर के टेढ़ेपन और पांव की चोट देखने के बाद उसकी मां और चचेरे भाइयों ने उसे पहचान लिया।

इसके बाद जितेंद्र जैन और रमेश के चचेरे भाई जामनिया से करीब 700 किलोमीटर दूर कुरेन्दा ग्राम पहुंचे और उसे वापस लेकर आये।

जितेंद्र बताते हैं कि अब रमेश अच्छे से बातचीत कर रहा है और अपनी मां को शराब पीने से भी रोक रहा है। उसे इन 30 वर्षों के बारे में ज्यादा ध्यान नहीं है। उसकी बातचीत से ऐसा लग रहा है कि वह पंजाब में भी रहा था।