शाही नेतृत्व की नीति पहले से तय थी…

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शाही नेतृत्व की नीति पहले से तय थी…

कौशल किशोर चतुर्वेदी की खास रिपोर्ट 

मध्यप्रदेश में मिशन-2023 की कमान अमित शाह को सौंपने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पहले से तय कर लिया था। जब सभी की निगाहें मध्यप्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाओं के सागर में गोते लगा रहीं थी, तब शाह की नजर विजय संकल्प पर टिकी थी। करीब सवा सौ दिन पहले अमित शाह ने छिंदवाड़ा पहुंचकर यह गर्जना कर दी थी कि इस बार मिशन-2023 में भाजपा का इरादा विजय का नया इतिहास बनाने का है, तो 2024 में मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा संसदीय सीट भी नाथ से छीनकर कांग्रेस मुक्त करके रहेंगे। अमित शाह ने मार्च के अंत में कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में महाविजय उद्घोष कर यही जताया था। अमित शाह ने नाथ से हिसाब मांगा था कि जनता ने मौका दिया था, क्या किया, हिसाब दो। शाह ने आंचलकुंड दादाजी दरबार जाकर भी माथा टेका था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में नाथ को घेरा था कि नए की तो बात छोड़ो, शिवराज सिंह जो मध्य प्रदेश छोड़कर गए थे, उसमें ही भ्रष्टाचार कर दिया।

शाह ने आदिवासी क्रांतिकारियों को नमन किया था और कहा कि भाजपा ने आदिवासियों के सम्मान की चिंता की। बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुरू किया। पीएम ने पिछड़ा वर्ग के आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया। द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति बनाया। 130 करोड़ जनता को कोरोना के टीके मुफ्त लगवाए। शाह ने कमल नाथ को घेरते हुए कहा था कि कन्हान परियोजना में गड़बड़ी की। तीर्थ दर्शन, संबल योजना बंद कर दी। कहा था कि सतपुड़ा सरकारी शक्कर कारखाना खोलेंगे, कारखाना खुला क्या। राडोल, भाकरा कलान कोयला खदान का भूमि पूजन किया, लेकिन खदानें चालू नहीं कीं। दो फ्लाइओवर बनाने के लिए कहा था, लेकिन एक भी नहीं बना। शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ही छिंदवाड़ा को मेडिकल कालेज, माचागोरा डैम की सौगात दी। छिंदवाड़ा-नागपुर और छिंदवाड़ा-मंडला डबल रेलवे लाइन की सौगात पीएम मोदी ने दी।

यानि कि मध्यप्रदेश को लेकर बहुत पहले से ही शाह का फोकस सुनियोजित तरीके से मिशन-2023 और 2024 पर साथ-साथ था। उसी के मुताबिक केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों की उपलब्धियां गिनाई जा रहीं थीं। तो कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया जा रहा था। मिशन-2023 करीब आते ही केंद्रीय मंत्रियों भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव के साथ-साथ नरेंद्र सिंह तोमर को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर मध्यप्रदेश में उतारा गया। प्रहलाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय को भी सक्रिय किया गया। और अब यह टीम बनने और 2023 विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही भाजपा में नंबर दो अमित शाह के ताबड़तोड़ दौरे शुरू हो चुके हैं। एक ही सप्ताह में शाह दूसरी बार और जुलाई के महीने में तीसरी बार भोपाल आने वाले हैं। 11 जुलाई और 26 जुलाई को शाह ने राजधानी भोपाल आकर चुनिंदा नेताओं संग बैठक कर सबके दिमाग के जालों को पूरी तरफ साफ कर बरसात के दिनों में भाजपा नेताओं को जीत की सोच वाली जैकेट पहनाने का काम किया था। अब तीसरी बार 30 जुलाई को शाह भोपाल में इस चुनावी विजय का ऐलान करेंगे और इंदौर में गिने-चुने दिग्गज कार्यकर्ताओं संग बैठक करेंगे। साथ भगवान परशुराम को नमन कर आशीर्वाद लेंगे। परशुराम लोक बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले ही कर चुके हैं।

सियासी मायने तलाशे जाएं तो प्रथम बार शाह भगवान परशुराम को नमन करके फिलहाल चुनावी विजय का वरदान मांगेंगे। तैयारियां जोरों पर हैं। तो यह कवायद शाही तरीके से ब्राह्मण मतों को रिझानेे की भी है। मध्यप्रदेश की दर्जनों विधानसभा पर ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि यदि पार्टी का फोकस आदिवासी, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग पर है, तो ब्राह्मण भी पार्टी की प्राथमिकता में हैं। मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग से सीएम शिवराज और ब्राह्मण वर्ग से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा वही सियासी तस्वीर है, जो मोदी, शाह और नड्डा की नजर में मिशन मध्यप्रदेश 2023 को लेकर जरूरी है। तो बात बस इतनी सी है कि शाही नेतृत्व की सोच भाजपा की रणनीति का हिस्सा था। समय के साथ यह मध्यप्रदेश के मतदाताओं की समझ में भी आ रहा है…।