सुर्खियां बटोर रहा डॉक्टर साहब का राजनैतिक “दवा-खाना”…

एक राजनैतिक क्लीनिक की जरूरत आहे...

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प्रदेश मीडिया प्रभारी और नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष बतौर बेहतरीन पारी खेल चुके भाजपा नेता डॉ. हितेष वाजपेई का “दवाखाना” इन दिनों आहिस्ता-आहिस्ता कदम आगे बढ़ा रहा है। डॉक्टर साहब कांग्रेस पर कटाक्ष कर कड़वी दवा देने का काम बखूबी कर रहे हैं। वैसे कड़वी दवा मरीज का मर्ज ठीक करने का काम करती है, लेकिन डॉक्टर साहब के दवाखाना की पर्ची पर लिखी गई यह दवा राजनैतिक निशाना सीधा कांग्रेस आलाकमान सोनिया-राहुल गांधी पर साधकर उनकी पार्टी पर सीधा वार करती नजर आती है।

डॉक्टर साहब इस तरह हाथ आजमाते हैं कि दवा कांग्रेस के मुंह को कड़वाहट से भरे रहे और भाजपा का मर्ज हर दिन खुशियों के रंग बिखेरता रहे। वैसे राजनीति में डॉक्टरों ने अपने हुनर का लोहा मनवाया है और डॉक्टर साहब भी खुद का लोहा मनवा चुके हैं। पर वर्तमान स्थिति में वह फिर उस प्लेटफार्म की तलाश में हैं कि जिसके जरिए राजनैतिक पटल में सामने नजर आते रहें और पार्टी विचारधारा संग कांग्रेस पर अपना हाथ ज्यादा पावर के साथ आजमाते रहें। उनकी यह मुराद तभी पूरी होगी, जब “शिव-विष्णु” तथास्तु कहकर डॉक्टर के मन की अर्जी को मुमकिन होने का वरदान देंगे। फिलहाल तो नजर डालते हैं कि डॉक्टर साहब का दवाखाना क्या गुल खिला रहा है।

डॉक्टर साहब की अभी गिनी-चुनी पर्चियां सामने आई हैं। पहली पर्ची पर लिखा था कि बाबा का भाषण खत्म होने के बाद कुछ किसान मैडम से मिले और सौ-सौ के नोट थमाते हुए बोले- लो मैडम मुआवजा…फसल तो आपकी भी बर्बाद हुई है। डॉक्टर साहब ने मैडम और बाबा पर अपनी नजरें इस तरह इनायत की हैं कि एक तीर से ही दो निशाने लग गए। अब लोग बाबा का भाषण भी तलाश कर लें और मैडम के मुआवजे का भी उपहास कर लें।

दवाखाना की दूसरी पर्ची को पढ़िए। सुना है दिल्ली में कमलनाथ जी की “प्रदेश अध्यक्ष” के रूप में “आखिरी मुलाकात” राहुल बाबा से हो गई आज। राजा” के खेमें में लोग “उम्मीद” से हैं। तो भाजपा में पिछले दिनों राजा की सीएम शिवराज से मुलाकात का समय रद्द होना और फिर स्टेट हैंगर पर सीएम-कमलनाथ मुलाकात और नाथ-राजा संवाद के बाद भाजपा का नाथ वर्सेस राजा एजेंडा का निचोड़ दवाखाना से आया है। और फिर बात पहुंच गई एक व्यक्ति एक पद तक।
दवाखाना की तीसरी पर्ची पर नजर डाल लें। “आज यदि राष्ट्र-पिता महात्मा गांधी जी जीवित होते तो ‘हिन्दू विरोधी’ राहुल से गांधी वापस छीन लेते”। अब राष्ट्र-पिता के जरिए ही सही दवाखाना ने डोज दे दी बाबा को।

और यह चौथी पर्ची कि ” सुना है गोवा में कांग्रेस ने एक नया प्रयोग किया। उसने 2022 के चुनावों के मद्देनजर अपने उम्मीदवारों को उनके पूजा घरों में ले जाकर सौगंध खिलाई कि वह चुनाव जीतने के बाद पार्टी नहीं छोड़ेंगे। दरअसल 2017 के चुनाव में गोवा में कांग्रेस के 17 विधायक जीते थे, उनमें से 15 पार्टी छोड़ चुके हैं।” “उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में कहा जाने लगा है कि कांग्रेस को यूपी के चुनावों में टिकट के दावेदारों को सौगंध दिलानी चाहिए कि वे टिकट पाने के बाद पाला नहीं बदलेंगे।” तो गोवा से पीछा किया और यूपी में पटका। वाह डॉक्टर साहब बीच में बिना लिखे मध्यप्रदेश और राजा को भी बिना कुछ लिखे ही लपेट लिया।

खैर डॉक्टर साहब का “दवा-खाना” खूब वाहवाही बटोर रहा है। जरूरत है तो बस एक “राजनैतिक-क्लीनिक” की, जिससे “दवा-खाना” में राजनैतिक पर्चियों का कारोबार 2023 चुनाव के पहले तक खुलकर धमाल मचा सके। कड़वी दवा विपक्षियों को खिला-खिलाकर “बाबा-मैडम” का मुंह कड़वा करता रहे और भाजपा की सेहत में रंग भरता रहे। तो देखते हैं कि दवा-खाना कितना कारगर साबित होता है और क्या-क्या गुल खिलाता है।