योग का दम, वसुधैव कुटुम्बकम…
अगर धरती को एक परिवार बनाना है, तो यह सिर्फ और सिर्फ योग के जरिए ही मुमकिन है। यह अब एक कल्पना नहीं, बल्कि यथार्थ है। योग ने अब अपनी अवतरण भूमि भारत से विस्तार कर पूरी दुनिया को अपनी बाहों में भर लिया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2014 में एक संकल्प द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दी गई थी। 2015 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। अब इस योग यात्रा के नौ साल हो गए हैं। और नौवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 के वैश्विक उत्सव का नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय, न्यूयॉर्क में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। यह भी संयोग है कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 की थीम ‘योग फॉर वसुधैव कुटुम्बकम’ है। संयोग यह भी है कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 के राष्ट्रीय उत्सव का नेतृत्व भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ करेंगे। और वह भी मध्यप्रदेश की धरती पर संस्कारधानी जबलपुर में इस राष्ट्रीय उत्सव में शिरकत करेंगे।
वसुधैव कुटुम्बकम् सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा है। यह महा उपनिषद सहित कई ग्रन्थों में लिपिबद्ध है। इसका अर्थ है- धरती ही परिवार है (वसुधा एव कुटुम्बकम्)। महोपनिषद् के अध्याय 6 का 71वां मंत्र वसुधैव कुटुम्बकम् पर विस्तार से प्रकाश डालता है।
अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैवकुटुम्बकम् ॥
इस श्लोक का अर्थ है कि यह मेरा अपना है और यह नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त (सञ्कुचित मन) वाले लोग करते हैं। उदार हृदय वाले लोगों के लिए तो सम्पूर्ण धरती ही परिवार है। यह मूल भाव अब योग ही साकार कर रहा है।
‘सद्भाव और शांति के लिए योग’ से शुरू हुई योग की यात्रा अब वसुधैव कुटुंबकम् तक पहुंच गई है। 2015 में पहली बार मनाए गए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम “सद्भाव और शांति के लिए योग” थी। यह कार्यक्रम 21 जून, 2015 को नई दिल्ली में राजपथ पर आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम ने 2 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स दर्ज किए- पहला 35,985 लोगों के लिए एक ही स्थान पर एक योग सत्र में भाग लेने के लिए और दूसरा योग सत्र 2015 में भाग लेने वाले अधिकांश 84 राष्ट्रों के लिए। 2016 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम थी “युवाओं को जोड़ें”। यह कार्यक्रम 21 जून, 2016 को चंडीगढ़ में आयोजित किया गया था प्रधानमंत्री के साथ 30,000 लोगों और 150 दिव्यांगजनों ने भाग लिया। 2017 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम “स्वास्थ्य के लिए योग” थी। 51,000 प्रतिभागियों के साथ 21 जून, 2017 को लखनऊ में कार्यक्रम मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीवनशैली में इसके महत्व पर चर्चा की।2018 की थीम थी-“शांति के लिए योग”। 21 जून, 2018 को 50,000 प्रतिभागियों के साथ देहरादून में मनाया गया। 2019 की थी “जलवायु क्रिया”। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची में अन्य प्रतिभागियों के साथ योग दिवस मनाया। 2020 की थीम “स्वास्थ्य के लिए योग – घर पर योग” थी।यह कार्यक्रम वस्तुतः वैश्विक कोविड-19 महामारी के कारण आयोजित किया गया था। 2021 की थीम “कल्याण के लिए योग” थी। मोदी ने ‘डब्ल्यूएचओ एम-योग’ ऐप लॉन्च किया था। 2022 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम “मानवता के लिए योग” थी। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मैसूरु पैलेस ग्राउंड, कर्नाटक में अन्य प्रतिभागियों के साथ योग दिवस मनाया था। और अब 2023 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम “योग फॉर वसुधैव कुटुंबकम्” है।
यदि आप नियमित योग करते हैं तो सकारात्मकता आपका स्वभाव बन जाती है। संतुलित व्यवहार और जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन स्थापित रखने का भाव आपमें जागृत हो जाता है। प्राचीन भारतीय परंपरा का एक अमूल्य उपहार, योग शारीरिक और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने के सबसे भरोसेमंद साधनों में से एक है। शब्द “योग” संस्कृत मूल युज से लिया गया है जिसका अर्थ है “जुड़ना”, “जोड़ना” या “एकजुट होना”। योग मन और शरीर की एकता का प्रतीक है; विचार और क्रिया; संयम और पूर्ति; मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य, और स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का मूल है। योग स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। योग का अभ्यास करने के लाभों के बारे में जानकारी का व्यापक प्रसार लोगों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। इसने समग्र स्वास्थ्य क्रांति के युग का संचार किया है, जिसमें इलाज के बजाय रोकथाम पर अधिक ध्यान दिया गया।
अंत में बस यही सच है कि योग से होने वाले फायदों के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है। पर मुद्दा यही कि योग दिवस 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है। उत्तर यह है कि योग दिवस मनाने के लिए 21 जून का दिन इसलिए तय किया गया, क्योंकि पंचांग के मुताबिक 21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है। इसे ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं, जिसके बाद सूर्य दक्षिणायन होता है। सूर्य के दक्षिणायन होने पर इसका तेज कम हो जाता है, जिससे वातावरण अशुद्ध हो जाता है, कीटाणु उत्पन्न होते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में अध्यात्मिक सिद्धियों को प्राप्त करने और तन-मन को स्वस्थ रखने के लिए 21 जून का दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए चुना गया है। तो स्वस्थ जीवन जीने के लिए योग करते रहिए, प्रतिरोधक क्षमता बढाए रखिए और सबसे जुड़ने का भाव मन में सहेज कर रखिए। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ विचारों का प्रवाह होता है और स्वस्थ समाज और राष्ट्र का निर्माण करता है। योग में ही दम है कि दुनिया को एक कर वसुधैव कुटुंबकम् का भाव जीवंत कर दे, जो कि 21 वीं सदी में साबित हो रहा है।