विश्वविद्यालय प्रबंधन की खामियों की सजा मिली प्रिंसीपल को

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विश्वविद्यालय प्रबंधन की खामियों की सजा मिली प्रिंसीपल को

भोपाल। भिंड जिले के शासकीय कॉलेज के प्रिंसीपल दिनेश कुमार माहौर को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सस्पेंड करने के बाद जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन और उच्च शिक्षा विभाग की नकल रोकों अभियान की पोल खुलकर सामने आ गई है। परीक्षा केंद्र की चयन की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रबंधन की होती है। परीक्षा केंद्र का चयन करने में विश्वविद्यालय प्रबंधन ने सभी खामियों को नजरअंदाज करते हुए 1 हजार छात्रों को परीक्षा देने के लिए शासकीय कॉलेज आलमपुर का चयन किया। प्रिंसीपल दिनेश कुमार माहौर द्वारा विश्वविद्यालय प्रबंधन को परीक्षा केंद्र नहीं बनाए जाने के आवेदन देने के बाद प्रबंधन ने परीक्षा केंद्र बनाया। परीक्षा केंद्र के नाम पर कॉलेज के पास सुविधा के नाम पर कुछ नही था। नकल कराने के आरोप को लेकर उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त निशांत बड़बड़े ने प्रिंसीपल को सस्पेंड कर दिया।

सीसीटीवी का रिकार्ड देना अनिवार्य-
कॉलेजों में नकल रोकने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी का रिकार्ड संबंधित विश्वविद्यालय में जमा करने को लेकर आदेश जारी किया था। विभाग के आदेश के बावजूद भी किसी विश्वविद्यालय ने परीक्षा केंद्रों का रिकार्ड जमा करना उचित नहीं समझा। भिंड जिले में नकल का मामला उजागर होने के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन सीसीटीवी के रिकार्ड को लेकर गंभीर हुआ।

आव्जर्वर और पुलिस की नहीं हुई तैनाती-
परीक्षा केंद्रों पर नकल रोकने के लिए आव्जर्वर और पुलिस की तैनाती अनिवार्य होती है। इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने नकल रोकने के लिए ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। प्राध्यापक संघ के अधिकारियों ने बताया कि अगर विश्वविद्यालय प्रबंधन ऐसा कदम उठाया होता तो आज प्रिंसीपल सस्पेंड नहीं होते।

कोड 27 का नहीं हुआ पालन-
शासकीय कॉलेज आलमपुर को मान्यता देने के लिए अगर विश्वविद्यालय प्रबंधन कोड 27 के तहत जांच किया होता तो कॉलेज को मान्यता नहीं मिलती। मान्यता देने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन कोड 27 को लेकर शुरू से उदासीन रहता है। कॉलेज प्रबंधन के पास पर्याप्त भवन नहीं होने के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने मान्यता दे दी। प्राध्यापक संघ से जुड़े लोगों का कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग विश्वविद्यालय के कुलसचिव को बचाने के लिए प्रिंसीपल को अपना निशाना बनाया।