Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: सवाल जिंदा है कि शपथ ग्रहण में मुख्यमंत्री क्यों नहीं आए?

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सवाल जिंदा है कि शपथ ग्रहण में मुख्यमंत्री क्यों नहीं आए?

इंदौर में नए मेयर ने शपथ ले ली, कार्यभार ग्रहण कर लिया, अपना कुछ रोडमैप भी बता दिया। लेकिन, ये सवाल जिंदा है कि शपथ ग्रहण में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह क्यों नहीं आए! हमेशा इंदौर को ‘अपने सपनों का शहर’ कहने वाले मुख्यमंत्री आखिर ऐसी कौनसी फ़ांस लगी कि वे शपथ समारोह में नहीं आए! जबकि, पहले घोषणा भी हुई थी कि मुख्यमंत्री इंदौर आएंगे। खुद नवनिर्वाचित मेयर भी उन्हें आमंत्रित करने गए थे, पर फिर भी वे नहीं पहुंचे! स्थितियों में बदलाव सिर्फ इतना आया कि पहले मुख्यमंत्री खुद शपथ दिलाने वाले थे, बाद में निर्वाचन आयोग ने इस काम के लिए कलेक्टर को अधिकृत किया!

सवाल जिंदा है कि शपथ ग्रहण में मुख्यमंत्री क्यों नहीं आए?

कहने वाले इसके पीछे बहुत कुछ छिलके भी निकाल रहे हैं, पर किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा! जबकि, पूरे चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री ने 3-4 बार इंदौर आकर चुनाव प्रचार भी किया! यहां तक कि भाजपा की सफलता के पीछे मुख्यमंत्री के ही रोड-शो को ही श्रेय दिया गया था। स्वयं मुख्यमंत्री ने भी इंदौर आने के लिए मेयर को सहमति प्रदान की थी। सीएम ने एक बैठक में यह भी कहा था कि वे बीजेपी के सभी नगर निगमों के मेयर के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेंगे लेकिन बाद में ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने भोपाल के समारोह में तो भाग लिया लेकिन इंदौर के समारोह में आना मुनासिब नहीं समझा?

हाईकोर्ट ने जो कहा, क्या वो कार्रवाई के लिए काफी नहीं!

संभवतः ये पहला मौका है, जब हाईकोर्ट ने किसी कलेक्टर को साफ़-साफ़ पॉलिटिकल एजेंट कहा हो! लेकिन, इसके बाद क्या सरकार पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा पर कोई कार्रवाई करेगी, ये अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ! अदालत की ये टिप्पणी एक चुनाव याचिका की सुनवाई के दौरान की गई। अभी हाईकोर्ट ने सीधे कार्रवाई के निर्देश तो नहीं दिए, पर कलेक्टर का पक्ष सुनने के लिए उन्हें तलब जरूर किया है। आश्चर्य की बात कि सरकार ने इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साध ली! क्या कोर्ट की टिप्पणी ही कार्रवाई के लिए काफी नहीं है!

सवाल जिंदा है कि शपथ ग्रहण में मुख्यमंत्री क्यों नहीं आए?

बता दें कि हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी जनपद पंचायत गुनौर के उपाध्यक्ष के निर्वाचन पर दायर याचिका पर की है। सुनवाई के दौरान जज ने कहा था कि संजय कुमार मिश्रा एक पॉलीटिकल पार्टी के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्हें कलेक्टर के पद पर नहीं होना चाहिए।

शहडोल में फुटबॉल क्रांति, जनक हैं कमिश्नर राजीव शर्मा

शहडोल को पिछड़ा हुआ आदिवासी इलाका माना जाता है! पर, लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस संभाग के युवा आजकल खेलों में नाम कमा रहे हैं। शहडोल जिले की बालिका वर्ग की फुटबाल टीम तो राष्ट्रीय फुटबॉल स्पर्धा मध्यप्रदेश का नेतृत्व करने वाली है। दरअसल, इसके पीछे संभाग के कमिश्नर राजीव शर्मा की पहल को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने फुटबॉल क्रांति की जो अलख जगाई थी, वो फलीभूत हो गई! यहां के हर गांव में फुटबॉल को लोकप्रिय बनाने के लिए क्लब बनाए गए हैं। ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला स्तर तक फुटबाल की स्पर्धाएं आयेाजित की जा रही है। यहां की विचारपुर ग्राम पंचायत के फुटबाल खिलाड़ियों ने तो राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना हुनर दिखाया है। जिले की बालिका फुटबाल टीम तो नागपुर में होने वाले राष्ट्रीय बालिका फुटबॉल स्पर्धा में शामिल होंगी।

सवाल जिंदा है कि शपथ ग्रहण में मुख्यमंत्री क्यों नहीं आए?

इस बारे में कमिश्नर राजीव शर्मा का कहना है कि युवा पारंपरिक खेलों से निरंतर दूर होकर मोबाइल गेमों और व्यसनों में उलझ रहे हैं। ऐसे में युवाओं को शारीरिक तौर से मजबूत बनाने और उनकी ऊर्जा को नई दिशा देने के उद्देश्य से यह शुरुआत की गई, जो सफल रही! फुटबॉल ही नहीं क्रिकेट जैसे खेल में भी यहां की महिला क्रिकेट खिलाड़ी पूजा वस्त्रकार ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर संभाग का नाम रोशन किया है।

फुटबॉल की लोकप्रियता का आलम यह है कि फुटबॉल क्रांति में अतिथियों का स्वागत फुटबॉल से होता है और जाने से पहले यह फुटबॉल स्थानीय बच्चों को सौंपने का चलन अब शहडोल में आम हो चुका है।

बीते सप्ताह दिल्ली की सत्ता में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति हो गई

बीते सप्ताह दिल्ली की सत्ता में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति हो गई। साल भर से अधिक समय से खाली चल रहे सतर्कता आयोग के पद भर दिए गए। बैंकर सुरेश पटेल ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पद की शपथ ली। जबकि पूर्व आई बी प्रमुख अरविंद कुमार और असम – मेघालय काडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी पी के श्रीवास्तव ने सतर्कता आयुक्त पद की शपथ ली।

जैसी कि उम्मीद थी राजीव गौबा अभी कैबिनेट सचिव बने रहेंगे। उन्हें 1 सितंबर से अगले साल 31 अगस्त तक अपने पद पर बने रहेंगे। वे 1982 के झारखंड काडर के आईएएस अधिकारी है। यह उनका दूसरा सेवा विस्तार है।

क्या सुब्रमण्यम को सेवा विस्तार मिलेगा?

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छत्तीसगढ़ काडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बी वी वी सुब्रमण्यम इस वर्ष सितंबर में रिटायर हो रहे हैं। सत्ता के गलियारों में चल रही चर्चा के अनुसार उन्हें सेवा विस्तार मिल सकता है। सूत्रों का कहना है कि क्योंकि वे जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव रहे हैं, इसलिए रिटायर्मेंट के बाद उनके पुनर्वास की पूरी संभावना है। बहरहाल, उनके भविष्य का फैसला अगले महीने प्रधानमंत्री कार्यालय करेगा।

केंद्र में एमपी के सचिव स्तर के अधिकारियों का लगातार हो रहा टोटा

राजेश कुमार चतुर्वेदी के रिटायर होने के बाद केन्द्र में मध्यप्रदेश काडर के 5 आईएएस अधिकारी सचिव है। इनमें से कोयला सचिव अनिल जैन अक्टूबर में और इस्पात सचिव संजय सिंह दिसंबर में अवकाश ग्रहण करेंगे। जैन 1986 और सिंह 1987 बैच के आईएएस अधिकारी है। अगर नवंबर में अनुराग जैन मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव बन गए तो सचिव स्तर के एक अधिकारी की ओर कमी हो जाएगी।
इसके बाद तो केंद्र सरकार में केवल आशीष उपाध्याय और अजय तिर्की ही सचिव स्तर के अधिकारी रहेंगे। इसी बीच माना जा रहा है कि सचिव स्तर पर एंपेनल्ड मध्य प्रदेश कैडर के अधिकारी केंद्र का रुख कर सकते हैं।