पहले चरण में असली रण… बचेगा या शिकार होगा छिंदवाड़ा गढ़…
मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया संपन्न हो गई है। सीधी, शहडोल, मंडला, जबलपुर, बालाघाट और छिंदवाड़ा छह लोकसभा सीटों पर पहले चरण में चुनाव संपन्न होंगे। नामांकन की अंतिम तारीख 27 मार्च को जबलपुर, छिंदवाड़ा और बालाघाट में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने पार्टी उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल कराए। सीधी में भाजपा के राजेश मिश्रा के सामने कांग्रेस से कमलेश्वर पटेल का चेहरा है। शहडोल (एसटी) सीट पर भाजपा की हिमाद्री सिंह के सामने कांग्रेस विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को मैदान में हैं। जबलपुर में भाजपा के आशीष दुबे को कांग्रेस के दिनेश यादव टक्कर देंगे। मंडला (एसटी) से भाजपा के फग्गन सिंह कुलस्ते को कांग्रेस दिग्गज ओंकार सिंह मरकाम चुनौती देंगे। तो बालाघाट में भाजपा की भारती पारधी के सामने कांग्रेस के सम्राट सारस्वत हैं। और छिंदवाड़ा में भाजपा के विवेक बंटी साहू का मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार नकुलनाथ से है। वैसे तो इन छह में से पांच सीट पर भाजपा और एक सीट छिंदवाड़ा नाथ परिवार के कब्जे में है। वैसे मध्यप्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव की तस्वीर कमलमय थी। 29 में से 28 लोकसभा सीटों पर भाजपा का कमल खिला था। पर एक लोकसभा सीट छिंदवाड़ा ही ऐसी थी, जहां भाजपा के लिए भरपूर बारिश में भी सूखा था। और यही एक सीट छिंदवाड़ा जीतने पर 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भले ही परिणाम कुछ भी हो, पर मध्यप्रदेश भाजपा को अगर 29 कमल पुष्प की माला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गले में पहनानी है तो छिंदवाड़ा के गढ़ को भेदना होगा। और इस मायने में मध्यप्रदेश में चार चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव का महत्वपूर्ण चरण पहला ही है, जिसमें असली रण नजर आने वाला है।
यह चुनाव पहले चरण में 19 अप्रैल को होने वाले मतदान में कमलनाथ की जीवन भर की राजनीतिक यात्रा का फैसला करने वाला है। हालांकि यहां पर एक हार का स्वाद तो वह चख चुके हैं। पर बेटे नकुलनाथ की हार हुई तो कमलनाथ को ज्यादा दुःख होगा। राजनैतिक सहयोगी दीपक सक्सेना ने कांग्रेस छोड़ दी है और उनके बेटे अजय सक्सेना ने भाजपा की सदस्यता ले ली है। पर दीपक सक्सेना फिर भी नकुलनाथ के प्रस्तावक बने और यह साबित किया कि अब वह कमलनाथ से अलग तो नहीं हो पाएंगे। तो 27 मार्च को भाजपा उम्मीदवार विवेक ‘बंटी’ साहू का नामांकन दाखिल करवाने के बाद जब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और भाजपा नेता उनके निवास पर पहुंचे तो इन सभी का स्वागत भी उन्होंने किया। अब बेटा भाजपा में है और खुद भी कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे चुके हैं, तब तो ‘अतिथि देवो भव:’ की सीख पर अमल करते हुए यही व्यवहार अपेक्षित भी था। शिकारपुर से बंधे दीपक सक्सेना शायद इन दिनों सबसे मुश्किल हालातों से दो-चार हो रहे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान में छिंदवाड़ा संसदीय सीट के मतदाताओं का मन मुश्किल हालातों से दो-चार होता है या फिर वह छिंदवाड़ा को समर्पित होने का दावा करने वाले कमलनाथ और सबका साथ सबका विकास का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में से एक को मन से चुनकर ऐतिहासिक एकतरफा फैसला सुनाने को तैयार हैं।
हालांकि बहुत सारे प्रभावी चेहरे लोकसभा चुनाव में आमने-सामने हैं, लेकिन नजरें नाथ के गढ़ छिंदवाड़ा पर ही हैं। बाकी कुछ प्रभावी चेहरे मोदी लहर में 2014 में भी हार चुके हैं और इस बार भी उसके लिए मानस बना चुके होंगे। पर शिकारपुर के वासी नाथ परिवार अपने गढ़ छिंदवाड़ा को कमल का शिकार होने से बचा पाते हैं या नहीं, यह पहले चरण के असली रण में साफ होकर रहेगा…।