सद्गुरु की शरण जीवन मे सकारात्मकता भर देती है-आचार्य श्री रामानुजजी

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सद्गुरु की शरण जीवन मे सकारात्मकता भर देती है-आचार्य श्री रामानुजजी

21 कन्याओं के निःशुल्क सामूहिक विवाह संकल्प के साथ श्रीरामकथा जारी

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर। श्री हरिकथा आयोजन समिति द्वारा नगर के रुद्राक्ष माहेश्वरी भवन के विशाल सभागार में आयोजित रामकथा के व्यासपीठ पर विराजित अंतरराष्ट्रीय कथा प्रवक्ता एवं मानस मर्मज्ञ आचार्यश्री रामानुजजी ने कहा कि मन की दुविधा समाप्त नही होगी तब तक परम् की यात्रा की दिशा में गति नही हो पाती। मन के हारे हार है, मन के जीते जीत, सन्मार्ग और कुमार्ग की और हमारा मन ही हमे ले जाता है। ऐसे में सद्गुरु की शरण मिल जाये तो उनकी साधना हमारे जीवन मे सकारात्मकता को भर देती है।

आचार्य श्री ने कहा की गुरु का अर्थ है जो विशाल हो जिनके व्यक्तित्व के सामने हम नगण्य है, गुरु की करुणा ही इस जलते हुए संसार मे शीतलता प्रदान करती है। शिष्य का अर्थ होता है जो शून्य की और गति कर सकता है जिसमे अहंकार, राग द्वेष ना हो यदि गुरु से कुछ पाना चाहते हैं तो अपने बंधनो को छोड़कर निकलने का प्रयास कीजिये आप कब शिष्य से गुरु बन जाओगे पता भी नही चलेगा। जहां पर व्यक्ति खुद को समाप्त करता है तभी गुरु हाथ पकड़ लेता है गुरु कृपा इसे ही कहते हैं। गुरु पद पाने की जगह है वह परम है उसे नाप नही सकते एक सूक्षम सद्गति गुरु के वचनों से होती है। गुरु एक ऐसी पारसमणी है वह जिसे छू ले उसे गुरु बना देता है।

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आपने कहा कि अपने इष्ट के नाम पर वे लोग लड़ते हैं जिन्होंने अपने इष्ट को महसूस ही नही किया क्योंकि जिस दिन अपने इष्ट को पहचान लिया लड़ना बंद कर देंगे। यदि आप राम को मानते हैं तो आपके प्यार में इतनी शक्ति तो होनी चाहिए कि राक्षसो को भी देव बना सके।

हम अपने आप का निज दर्शन करें हम शबरी जैसे है, लक्षमण जैसे है या रावण जैसे है। जहा संवाद है वहा समझना वहां साधना है। उसमे संगीत,गीत होता है। अपने इष्ट की गुरु की स्मृति में आंसू हो तो समझना साधना हों रही है। गुरु की रज सूक्ष्म में जब शिष्य के अंतर्मुख में प्रवेश करता है तो राम और कृष्ण निकलते हैं।

आचार्य श्री ने वर्तमान में प्रचलित “लिव इन “संबंध पर कटाक्ष करते हुए कहा कि श्री कृष्ण ने राधा को केवल महसूस किया था। कृष्ण की करुणा को राधा नें पाया था इसलिए कृष्ण के द्वारिका जाने पर, रुक्मणि से विवाह करने पर राधा ने कोई उलाहना नही दिया क्योंकि उसने कृष्ण के विशाल सत्य को देखा था। उसे भरोसा था कृष्ण भले ही द्वारिकानाथ हो जाये लेकिन वह कल भी मेरे साथ नाचता था आज भी नाचेगा। राधा कृष्ण का निश्छल पवित्र और अन्यतम संबंध युगों युगों तक मिसाल बना रहेगा।

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आचार्य श्री ने कहा कि जीवन मे कभी भी गुरु को नापने की कोशिश मत करना बल्कि प्रयास करना गुरु की रज आपके अंदर प्रवेश कर ले यदि ऐसा हुआ तो आप हनुमान को पा लेंगे। आपने कहा कि रामचरित मानस में गुरु को सात नामो से पुकारा गया। आपने कहा कि जो आचरण से पुनीत होते है उन चरणों को प्रणाम किया जाता है। जिन चरणों मे आचरण हो तो समझना सद्गुरु प्रकट हुए हैं सद्गुरु को पाना है तो स्वयं को मिटाना पड़ेगा।

आचार्यश्री ने कहा कि मन्दसौर के श्रद्धालुओ की श्रद्धा अटूट है। आपने तलाई वाले बालाजी मंदिर प्रांगण में हुइं कथा का संस्मरण सुनाया।

उल्लेखनीय है कि श्री हरिकथा आयोजन समिति के माध्यम से विभिन्न समाज की 21 कन्याओं का निःशुल्क सामुहिक विवाह आयोजित किया जायेगा । इस संकल्प के साथ तैयारी की जा रही है।

आरंभ में समाज जनों ने पौथी पूजन किया और अंत मे सामुहिक आरती संपन्न हुई। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने सहभागिता की।