द रोमांटिक्स : परदे रोमांस की नई इबारत पढाने वाले यश चोपड़ा!
– अशोक जोशी
जिस सिनेमा को हम आज जानते हैं वह सौ बरस से ज्यादा पुराना हो चुका है। मूक सिनेमा से शुरू हुआ यह सफर दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में बनाने वाले देश की मंजिल तक पहुंचते पहुंचते एक लम्बी यात्रा तय कर चुका है। हिन्दी सिनेमा की इस परम्परा को आगे बढ़ाने में हमें अक्सर चंद नाम याद आते हैं। इनमें हम राज कपूर, दिलीप कुमार, देव आनंद, महबूब, गुरुदत्त, बिमल राय जैसे कुछ नाम को तो याद रखते हैं। लेकिन, इस सूची में चंद ऐसे नाम भुला दिए जाते हैं जिन्होने सिनेमा को एक नया रूप एक नई दिशा और सबसे ज्यादा आंखों को अच्छे लगने वाले मंजर दिए। ऐसे में यदि यश चोपड़ा का नाम याद न रखा जाए तो यह बेमानी ही होगी।
पांच दशक लम्बे फिल्मी सफर में यश चोपड़ा ने एक ऐसी परम्परा निर्मित की, जिसे हिन्दी सिनेमा में हमेशा याद रखा जाएगा। एक अलग तरह का सिनेमा लेकर आए यश चोपड़ा ने कई पीढ़ियों का मनोरंजन किया। आज भी उन्हें हटकर अनछुए विषयों पर फिल्में बनाने और रोमांस की एक नई इबारत लिखने के लिए याद किया जाता है। उनके इसी सफर को लेकर नेटफ्लिक्स पर पिछले सप्ताह से चार हिस्सों वाले वृत्तचित्र ‘द रोमांटिक्स’ को स्ट्रीमिंग किया जा रहा है। इस सीरीज के साथ ऐसा प्रचारित किया जा रहा है कि यह यश चोपड़ा और उनकी निर्माण संस्था यशराज फिल्म्स की स्वर्ण जयंती का एक समारोह है।
यश चोपड़ा को रूमानी फिल्मों का शहंशाह कहा जाता है। उन पर बने इस वृत्तचित्र का प्रदर्शन भी रोमांस के लिए जाने जाने वाले वैलेंटाइन डे 14 फरवरी पर किया जाना कुछ कुछ प्रासंगिक भी लगता है। इस श्रृंखला का निर्देशन स्मृति मूंदड़ा ने किया है। दर्शकों के लिए रोमांटिक्स का मुख्य आकर्षण सिने जगत से जुडे उन लोगों से यश चोपड़ा के बारे में बातचीत है। जिन्होंने उनके साथ काम किया या अब उनकी संस्था यशराज फिल्म्स से जुड़े हैं। इनमें अमिताभ बच्चन जैसे वरिष्ठ कलाकार से लेकर ऋषि कपूर, शाहरुख खान, रानी मुखर्जी, अभिषेक बच्चन, आमिर खान, ऋतिक रोशन और आज के रणवीर सिंह और भूमि पेडनेकर जैसे कलाकार भी शामिल हैं।
साक्षात्कार में शामिल सलीम खान और रणबीर सिंह दो ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें हिन्दी सिनेमा जगत को बॉलीवुड कहलाने से नफरत है। इसमें सलीम खान यह भी बताते हैं कि उनकी जोड़ी ने यश चोपड़ा की स्टाइल ही बदल दी थी। आज के लोग जो उन्हे शिफान में लिपटी नायिका और स्विटजरलैंड की वादियों वाला फिल्मकार मानते हैं। उन्हें ‘दीवार’ और ‘काला पत्थर’ जैसी फिल्म देखकर यकीन नहीं होगा कि यश चोपड़ा के अंदर आक्रोश की एक ज्वालामुखी भी धधकती थी। उनकी ‘दीवार’ जैसी फिल्म जिसे दर्शक मारधाड़ वाली फिल्म मानते हैं, उनके भ्रम को सलीम खान का यह वक्तव्य चौंकाता है कि ‘दीवार’ में मारधाड़ का तो केवल एक ही सीन था। बाकी तो पूरी फिल्म नाटकीय परिस्थितियां से बुनी गई थी।
यश चोपड़ा के सानिध्य में रहकर सिनेमा के गुर सीखने वाले करण जौहर उनके बारे में यह बताते हैं कि उन्होंने सारी खूबसूरत फिल्में देखी! लेकिन, यह यश चोपड़ा का सिनेमा ही था, जिसने उन्हें आकर्षित किया। अमिताभ बच्चन उन्हें ऐसा युवा फिल्मकार बताते हैं, जो अलग तरह की फिल्में बनाने में विश्वास रखते थे। रानी मुखर्जी ने भी अपने ससुर से ज्यादा एक फिल्मकार की तरह उन्हें याद करते हुए कहा कि जब वे परदे पर आधुनिक भारतीय महिला के स्वरूप को पर्दे पर पेश करने मे यकीन करते थे। जबकि, रणवीर सिंह ने रहस्योद्घाटन किया कि उनके ऑडिशन को देखकर जब पूरी फिल्म इंडस्ट्री नाक मुंह सिकोड रही थी, तब यश चोपड़ा ही थे, जिन्होंने उन्हें लांच करने का वादा किया और उसे पूरा कर दिखाया।
इस सीरिज में यश चोपड़ा का मुंबई आना और अपने बड़े भाई बीआर चोपडा के साथ काम करना। अपनी पत्नी पामेला चोपड़ा से मुलाकात, शादी, फिर बीआर फिल्मस से अलग होकर यशराज फिल्म्स की स्थापना करने जैसे सारे प्रसंग शामिल किए गए हैं। दर्शकों के लिए रोमांटिक का वह अंश सबसे ज्यादा उत्सुकता बढाने वाला माना गया है, जिसमें उनके बेटे आदित्य चोपड़ा ने उनके बारे में कहा है। यह इसलिए भी अनोखा है, क्योंकि आमतौर पर आदित्य चोपडा कभी कैमरे के सामने नहीं आते और उन्हें फिल्मी दुनिया का अदृश्य इंसान तक कहा गया है। कभी तो यह अफवाह भी उड़ती थी कि आदित्य चौपडा नाम का कोई इंसान है भी या नहीं।
आदित्य के बारे में माधुरी दीक्षित कहती हैं कि वह बहुत निजी व्यक्तित्व वाले इंसान है। उन्हें बाहर जाना अच्छा नहीं लगता। लेकिन, जब आदित्य यह कहते है कि उन्हें हिन्दी फिल्मो के अलावा और कुछ नहीं भाता तो ऐसा लगता है कि यह उस फिल्मकार की आवाज है जिसके बारे में यश चोपड़ा ने कहा था कि हम फिल्मी दुनिया में रहने और फिल्में बनाने के लिए ही पैदा हुए हैं। सीरीज का शीर्षक ‘द रोमांटिक्स’ भले ही यश चोपड़ा की रूमानी छबि को स्थापित करने के लिए रखा गया हो, लेकिन जो यश चोपड़ा की फिल्मों से वाकिफ हैं, वे जानते है कि उनका यश केवल रूमानी फिल्मों नहीं फैला! वे ‘धूल का फूल’ और ‘धरम पुत्र’ जैसी सामाजिक सरोकार वाली फिल्मों के निर्देशक भी थे। एक्शन फिल्मों में भी वे बेजोड़ थे। इस सीरिज के बारे में यदि कोई अखरने वाली बात है तो यह है कि जिस हिन्दी फिल्मों ने यश चोपड़ा को यश दिया और जिस यश चोपड़ा ने हिन्दी सिनेमा को एक दिशा दी, उन पर बनी यह श्रृंखला अंग्रेजी में है। हिन्दी की कमाई खाने वाले तमाम लोगो ने उनके बारे में अपनी राय भी अंग्रेजी में ही दी।