गुरु के द्वारा रोपा गया सेवा का पौधा आज वटवृक्ष बन गया-इंद्र दत्त शास्त्री

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रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट

समन्वय सेवा ट्रस्ट हरिद्वार से समन्वय परिवार जनसंपर्क अभियान के तहत ट्रस्टी इंद्रदत्त शास्त्री एवं शिवपूजन रतलाम प्रवास के दौरान मानव सेवा समिति ब्लड बैंक के कार्यक्रम में सम्मिलित हुए उन्होंने ब्लड बैंक व फिजियो थेरेपी सेंटर का अवलोकन किया।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथिद्वय ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया।

तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत मानव सेवा समिति के पूर्व अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल,सचिव गोपाल कृष्ण सोडाणी,डॉक्टर इंदरमल मेहता,हेमंत मेहता द्वारा किया गया। अतिथियों का परिचय देते हुए समन्वय परिवार रतलाम के माधव काकानी ने बताया कि समन्वय परिवार एवं भारत माता मंदिर जनहित ट्रस्ट हरिद्वार के इंद्र दत्त शास्त्री जी एवं प्रचार प्रमुख शिवपूजन जी ब्रह्मलीन गुरुदेव प्रातः स्मरणीय स्वामी श्री सत्यमित्रानंदजी गिरी के भक्त मंडल से मिलने के लिए अल्प प्रवास पर रतलाम पधारे हैं।सभी भक्तों के साथ गौशाला रोड स्थित शुभम स्कूल में प्रार्थना सत्संग का कार्यक्रम संपन्न हुआ इसी तारतम्य में मानव सेवा समिति ब्लड बैंक अवलोकन के लिए आज हम सबके बीच में हैं। मानव सेवा समिति के पूर्व ब्लड बैंक प्रभारी गोविंद काकानी ने ब्लड बैंक एवं मानव सेवा समिति से संचालित सभी सेवा गतिविधियों की जानकारी से अवगत कराया।

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मुख्य अतिथि इंद्र दत्त शास्त्री ने पूज्य गुरुदेव को स्मरण करते हुए बताया कि गुरुदेव ने समूचे विश्व में जहां-जहां सेवाभावी संस्थाओं को आशीर्वाद दिया वे सभी पीड़ित मानवता की सेवा में फल फूल रही है,उसी का एक स्वरूप आज रतलाम की मानव सेवा समिति द्वारा संचालित गतिविधियों को देखकर प्रसन्नता हुई।इस पुनीत कार्य के लिए स्वर्गीय डॉक्टर कल्याणमल महेश्वरी,मानव सेवा समिति की टीम,ब्लड बैंक स्टाफ के सभी डॉक्टर एवं सदस्य बधाई के पात्र हैं।हम सब भक्तों को गुरुदेव के बताए हुए मार्ग पर चल कर पीड़ित मानवता की सेवा में अपना तन मन धन समर्पण करना है।उन्होंने मानव सेवा समिति जैसी ब्लड बैंक एवं फिजियोथैरेपी सेंटर हरिद्वार में भी संचालित करने के लिए अपनी और से मानव सेवा समिति को प्रस्ताव दिया हैं।

श्री शास्त्री जी ने कहा कि उनके द्वारा पूरी सहमति,समर्थन और हमेशा सहयोग प्राप्त होता रहेगा।श्री शास्त्री जी ने अपने संबोधन मे हरिद्वार समन्वय परिवार की विगत दो-तीन वर्षों की गतिविधियों और आगामी गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और सभी साधकों को विश्वास दिलाया की गुरुतत्व सदैव उपस्थित हैं।कोई भी साधक,अनुयायी अपने आप को एकाकी या छत्रविहीन न समझे।वह पूर्व की तरह हरिद्वार आश्रम में आकर अपनी आध्यात्मिक उन्नति व अपनी गुरु सेवा कर सकता है।साथ में निमार्णाधिन गुरु जी की समाधि मंदिर का अवलोकन करे व यथासंभव सहयोग करे।कार्यक्रम के समापन में सचिव गोपाल कृष्ण सोडाणी ने सभी का आभार प्रकट किया।