प्रेस वार्ता में कई कांग्रेसी नेताओं की गैरमौजूदगी से फिर उठने लगा गुटबाजी का धुंआ! क्या ऐसे ही जीतेंगे 2023?

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महिला कांग्रेस की उपाध्यक्षों को तवज्जो देने बैठक हुई

परानिधेश भारद्वाज की खास खबर

Bhind: कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की आगामी सभा को लेकर गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ नेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी के निवास पर एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के वरिष्ठ वयोवृद्ध नेता पूर्व मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने भी शिरकत की। जबकि कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मानसिंह कुशवाहा के साथ ही कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष खिजर मोहम्मद कुरैशी, कांग्रेस सेवादल यंग ब्रिगेड के प्रदेशाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह भदोरिया पिंकी, कांग्रेस के शहर अध्यक्ष डॉ राधेश्याम शर्मा के अलावा राहुल सिंह भदोरिया एवं राहुल सिंह कुशवाह सहित कई कांग्रेसी मौजूद रहे।

लेकिन इसमें कांग्रेस का ही एक दूसरा खेमा नजर नहीं आया। जिसमें पूर्व जिला अध्यक्ष जय श्री राम बघेल, पूर्व विधायक हेमंत कटारे सहित कांग्रेस के मीडिया प्रभारी अनिल भारद्वाज भी नदारद रहे। हालांकि यह सभी लोग भी कांग्रेस से तन मन से जुड़े होने की बात जरूर कहते हैं, लेकिन अपने ही कुछ नेताओं से दूरियां बनाकर रखते हैं।

हेमंत कटारे के स्वर्गीय पिता सत्यदेव कटारे से चौधरी राकेश सिंह की दूरियां हमेशा बनी रहीं। वहीं पहले उपचुनाव में हेमंत कटारे की भरपूर मदद करने वाले डॉक्टर गोविंद सिंह पर जब जिला अध्यक्ष के माध्यम से हेमंत कटारे ने दूसरे उपचुनाव में भाजपा की मदद कर हरवाने का आरोप लगाया तो स्वाभाविक है दोनों के बीच दूरियां बनना तय है। ऐसे में अब आगामी समय में दोनों खेमों की दूरियां मिट पाएंगी या फिर कांग्रेस इसी प्रकार से खेमों में बंटी रहेगी। इसका फायदा विपक्ष उठाता रहेगा और कांग्रेस के नेता आपस में ही एक दूसरे से लड़कर अपना ही विनाश करते रहेंगे! यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जिन्होंने सभी पदों की लालसा में कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को नजरअंदाज कर दिया और अपनी सत्ता को 15 महीने में ही गंवा बैठे। लेकिन फिर भी उन्होंने सीख नहीं ली और अभी भी प्रदेशाध्यक्ष सहित नेता प्रतिपक्ष का भी बोझ खुद ही ढो रहे हैं जबकि अब उनको खुद का बोझ उठाना भी दुष्कर हो रहा है। लेकिन अब समस्या भी तो यह है कि वह जिम्मेदारी किसको सौंपें। एक को आगे किया तो दूसरा नाराज! ऐसे में वह भी विवाद मोल नहीं लेना चाहते और खुद ही सारा बोझा अपने बूढ़े कंधों पर उठा रखा है। अब उनकी महिमा वही जानें।