अभी अपराधियों की रूह नहीं कांप रही, वरना ऐसा दुस्साहस न करते…

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अभी अपराधियों की रूह नहीं कांप रही, वरना ऐसा दुस्साहस न करते...
गुना जिले के आरोन में अपराधियों ने जो दुस्साहस दिखाया है, वह कतई माफी लायक नहीं है। इससे यह बात साफ हो गई कि अपराधियों में अभी इतना खौफ पैदा नहीं हुआ है कि अपराध का विचार दिमाग में आने पर ही उनकी रूह कांप जाए। वरना तीन पुलिसकर्मियों की जान लेने की हिमाकत यह अपराधी किसी भी सूरत में न कर पाते। पिछले कुछ समय से जघन्य अपराध करने वाले अपराधियों के मकान पर बुलडोजर का कहर टूट रहा है।
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पर जिस तरह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बार-बार दोहराते हैं कि सज्जनों के लिए फूल से ज्यादा कोमल हूं और दुर्जनों केे लिए वज्र से ज्यादा कठोर। वह वज्र अभी अपराधी मानसिकता के कवच को पूरी तरह भेद नहीं पा रहा है वरना सोच से पहले रूह उसी तरह कांपने लगती, जिस तरह उत्तर प्रदेश में योगी-2 कार्यकाल के शुरू होते ही अपराधी और माफियाओं ने सरेंडर करने थानों में दौड़ लगाई थी।  अपराधी भविष्य में गुंडागर्डी और जुर्म ना करने की कसमें खा रहे थे।
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खाकी का खौफ जेहन में समाया था, तो उसके पीछे छिपी योगी की तस्वीर देखकर अपराधियों को एनकाउंटर की झलक साफ नजर आ रही थी। और इसीलिए वह दृश्य योगी और खाकी की शोभा बढ़ा रहे थे, जिसमें अपराधी गले में तख्ती लटकाए थानों की तरफ भाग रहे थे कि अपराध नहीं करूंगा और भूल से भी गलती हो जाए तो एनकाउंटर मंजूर है। अब मध्यप्रदेश को अपराधमुक्त बनाने के लिए भी खाकी के इसी खौफ की जरूरत है। एक बार माहौल बन गया, तो फिर अपराध मुक्ति के इस अभियान में कोई बीच में नहीं आ सकता।

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पिछले साल 10 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हिस्ट्री शीटर और गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर अभी भी कोई नहीं भूला। उससे पहले 3 जुलाई को कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस जब उसे पकड़ने गई तो उस दौरान हुई मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। घटना के बाद वह फरार हो गया था। और 9 जुलाई 2020 को वह मध्य प्रदेश के उज्जैन में ड्रामैटिक तरीके से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में पकड़ा गया।
उसी दिन उसे यूपी पुलिस लाने उज्जैन पहुंची थी। और 10 जुलाई को खबर आती है कि रास्ते में कानपुर के पास उसकी कार पलट गई और फिर उसने भागने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया। उसके बाद तमाम शक, सवाल, जांचें सब दौर चलते रहे लेकिन उत्तर प्रदेश के अपराधी यह समझ गए कि एक गुनाह हो गया तो जीवन तबाह हो जाएगा। उत्तर प्रदेश में यह जो खाकी का खौफ स्थायी तौर पर अपनी धाक जमाने में सफल हुआ है, खाकी के उसी खौफ का बेसब्री से इंतजार मध्यप्रदेश कर रहा है।
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मध्यप्रदेश में शनिवार का दिन बहुत खराब भी रहा और बहुत अच्छा भी रहा। गुना में तीन पुलिसकर्मियों का बलिदान दुःखद रहा। तो सरकार का त्वरित एक्शन आईजी को हटाना, अपराधियों के मकानों पर बुलडोजर चलाना, अपराधियों के एनकाउंटर का सिलसिला जारी और बलिदान देने वाले पुलिसकर्मियों को शहीद का दर्जा देकर एक करोड़ की राशि, परिवार के एक सदस्य को नौकरी सहित तमाम प्रावधान जैसे फैसले वाकई सराहनीय हैं।

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साथ ही सिवनी, खरगौन सहित कई जिलों में पुलिस अधीक्षकों का फेरबदल भी यह संदेश दे रहा है कि भले ही थोड़ी देर हुई, पर दुरुस्त फैसले कर आगे का रुख सरकार ने तय कर लिया है। धार जिले में भी पुलिस टीम पर हमला, राइफल छीनने का दुस्साहस करने की घटना हुई। पुलिस ने यहां भी आरोपी को गिरफ्तार किया और राइफल भी जप्त कर ली। तो ऐसी घटनाओं का होना, दिन के खराब होने का प्रतीक बना…वहीं जो एक्शन हुए हैं, वह दिन के अच्छे होने की गवाही भी दे रहे हैं। पर बात वही कि खाकी का खौफ बनाने के लिए वज्र की तरह नहीं बल्कि वज्र से ज्यादा कठोर होना पड़ेगा, समय की यही मांग है।
अच्छे पुलिस अफसरों और पुलिसकर्मियों को मैदानी मोर्चे पर तैनात करना पड़ेगा और अच्छे कामों पर खुलकर शाबासी, तो नाकारेपन की खुलकर सजा देने की परिपाटी को मजबूत करना पड़ेगा। जिसकी एक झलक शनिवार को दिखी भी है। उम्मीद यही कि यह सिलसिला जारी रहेगा, ताकि अपराधियों की दशा वही हो कि गले में तख्ती लटकाकर थानों की तरफ दौड़ लगाते नजर आने लगें। फिलहाल मध्यप्रदेश के अपराधियों की रूह कांप नहीं रही, वरना वह पुलिस पर हमला करने का दुस्साहस नहीं कर पाते। यह घटना टर्निंग प्वाइंट बनकर एक नजीर बने, जिसकी गूंज हर अपराधी के कान में गूंजकर उनकी रूह को कंपा दे।