

शराफत के कष्ट
मुकेश नेमा
आदमी डरता है आजकल । कोई शरीफ ना कह दे उसे। शरीफ होने का ठप्पा लगा और आप गये काम से। अच्छा अच्छा ,आप फलाने जी की बात कर रहे है ना। अरे हम जानते है उन्हें। बेचारा बडा शरीफ आदमी है। शरीफ होने का मतलब बेचारा होना है हमारे देश में। वो हर आदमी शरीफ माना जाता है अपने यहाँ जो अपनी बाते ना मनवा सके और जिसके बारे मे आपको ये भरोसा हो कि उससे कुछ भी मनवाया जा सकता है। शरीफ होने के जो दूसरे मतलब निकालते है हम ,उसमे बेवकूफ ,गंवार , गैर दुनियादार ये सब होना शामिल हैं।
आप ज्यादा पढ लिख जाएं। पढ़े लिखे टाईप हों तो भी आफत है।लोग इस वजह से भी आपको शरीफ मान लेते है कई बार। प्रोफेसर मास्टर है आप और आप ये चाहे कि दुनिया आपको शरीफ ना माने ये मुमकिन नही हमारे यहाँ। वैसे शरीफ होते नहीं ये ,फिर भी इस कैटैगिरी से केवल और केवल शराफत की उम्मीद की जाती है। ये माना जाता है कि ये इस दुनिया के नही है इसलिये ये शरीफ होने के अलावा और कुछ हो ही नही सकते। ये शरीफ माने जाते है इसलिये जनगणना से लेकर मतगणना जैसे सारे काम करवाने के लिये सबसे पहले इन्हे ही याद किया जाता है।
किसी आदमी के बारे मे यह मशहूर भर हो जाये कि वो शरीफ आदमी है ,लोग मान लेते है फलाना किसी काम का नही या इससे कुछ भी करवाया जा सकता है। कुछ भी लाद दो उस पर बंदा चूँ नही करेगा। जब आप कुछ भी लाद दिये जाने लायक समझ लिये जाते है तो आपको ये मानने मे कोई उज्र नही होना चाहिये कि लोगो को आप पर नही आप के अंदर छिपे बैठे गधे की सहनशक्ति पर भरोसा है।और गधों से ज्यादा और किसी को शरीफ माना जाता हो मैं नही जानता।
कोई भी आदमी शरीफ मशहूर होते ही खतरे मे पड जाता है। लोग मान लेते है ये बेवकूफ है। इससे कुछ भी कराया जा सकता है। किसी भी कीमत पर कराया जा सकता है। घटी दरे मंजूर करेगा ये और कुछ कहेगा सुनेगा भी नही।
भलामानस होना ,भला कहलाना दुनिया के और किसी हिस्से मे इज्जतअफजाई भले मानी जाती हो हमारे यहाँ ये गाली से कम नही। बंदा चालू है , तिकडमी है। कुछ भी कर सकता है , इन काबिलियत से महरूम आदमी किसी खाते मे नही गिना जाता हमारे यहाँ। जीते जी मरहूम हो जाता है।
शरीफ आदमी के बडे रोने हैं। शरीफ मशहूर होते ही लोग आपसे मिले बिना ही ये तय कर लेते है कि ये ईमानदार होगा। नियम से काम करेगा। अब ये बाते आपकी पर्सनाल्टी से चिपक जाये तो गये आप काम से। यह मान लिया जायेगा कि आप किसी दीन धरम के नही। नियम से काम करने वाले की इज्जत करने का रिवाज नही हमारे यहाँ। उसके बारे मे सब मान कर चलते है कि वो शरीफ आदमी है और बिना कहे सुने भी काम करेगा ही।
ऐसा नही कि शरीफ आदमी यह जानता नही कि लोग उसे पीठ पीछे शरीफ कहते है। पर बंदा करे तो क्या करे ? एक बार शराफत का ठप्पा लग जाये तो उससे पीछा छुडाना बडा मुश्किल होता है। वो बस सकुचाया सकुचाया सा रहता है। हमेशा शर्मिन्दा सा बना रहता है। चाहता है वो भी कि इस शराफत से निजात पाये पर चूंकि शरीफ होता है इसलिये कुछ कर नही पाता।
आदमी जब अपनी शराफत से पीछा छुडा नही पाता तो क्या होता है ? वो बैचैन होता है बहुत बार। चिड़चिड़ा होने लगता है। मान लेता है कि लोग उसका फायदा उठा रहे है और वो खुद घाटे मे हैं। शक्की हो जाता है आम तौर पर। हर चीज पर शक करता है। अपनी और अपने घरवालो की जिंदगी नरक कर लेता है और बहुत बार अपने दोस्तो से भी हाथ धो बैठता है।
शराफत बडी बुरी शै है। ये आपका केवल और केवल नुकसान ही करती है। बिना नमक का दलिया बन कर रह जातें है आप। दिक्कत यह है कि ये पैदाईशी नुक्स है। इसलिये यदि दुनिया के साथ साथ आप खुद भी खुद को शरीफ माने बैठे हैं तो केवल भगवान को कोस सकते है आप। इस उम्मीद के साथ कोस सकते है कि भगवान भी शरीफ है और आपके किसी कहा सुने का बुरा नही मानेगा।