टिकट का जाल, उबाल ही उबाल…

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टिकट का जाल, उबाल ही उबाल…

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में दोनों मुख्य दलों भाजपा-कांग्रेस का टिकट वितरण काम प्रायः प्रायः पूरा हो गया है। इसके साथ ही पूरा मध्यप्रदेश शोर-शराबे में डूबा है। बाहरी प्रत्याशी का विरोध, अलोकप्रिय वर्तमान विधायकों को फिर से टिकट मिलने का विरोध, टिकटों की खरीद-फरोख्त का आरोप, खराब छवि के नए चेहरे का विरोध जैसे तमाम तरीके के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। मुर्दाबाद के नारों का कोलाहल तेज हो रहा है। दोनों ही प्रमुख दलों का हाल एक जैसा है। अगर आमने-सामने बैठें तो यही गाना गुनगुनाएंगे कि “तू मुझे सुना, मैं तुझे सुनाऊं…अपनी आफतभरी कहानी”। दिलचस्प बात यह है कि एक उंगली सामने वाले की तरफ है। अपनी ओर मुड़ी हुईं तीन उंगलियां किसी को नजर नहीं आ रही हैं।
इस्तीफों का दौर जारी है। ऐसे में आम आदमी पार्टी की चांदी हो गई है। लगता है चुनाव के बाद ‘आप’ के गले में विधायक रूपी सोने के पदक लटके होने की संभावना बन रही है। बसपा-सपा की निगाहें भी मंजिल तलाश ही रहीं होंगी। विधानसभा चुनाव 2023 में मध्यप्रदेश में अगर 23 सीटें भी इधर-उधर के खाते में दर्ज हो गईं तो भी आश्चर्य की गुंजाइश नहीं रहेगी, फिलहाल ऐसा लगता है और फिर यह बात भी सच है कि कल किसने देखा। राजनीति में तो खास तौर से यह बात चरितार्थ होती है। फिलहाल तो ऐसा लगता है कि टिकट का माया जाल फैल चुका है और पूरे प्रदेश में उबाल ही उबाल नजर आ रहा है। 17 नवंबर को मतदान के लिए 26 दिन ही बचे हैं और उसके एक पखवाड़े बाद परिणाम की छटा पूरे प्रदेश में छिटक जाएगी। किसका चेहरा ज्यादा फक्क यानि चमकदार है, यह सामने आ जाएगा। और किसका चेहरा फुक्क यानि बुझ सा गया है, यह भी पता सबको चल जाएगा।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि भाजपा की सूची में इतिहास बनाने वालों का नाम है। 26 साल के युवा को भी मनावर से मौका दिया गया। सूची में युवाओं और प्रतिभाशाली कार्यकर्ताओं को मौका मिला है। पीएम मोदी जी के मन में एमपी, एमपी के मन में पीएम मोदी जी बसे हैं। भाजपा ने जो 92 नाम के प्रत्याशियों की सूची जारी की है, उसमें युवा,अनुभव और ऐसे कार्यकर्ताओं को टिकट दिया गया है जो अच्छे कार्यकर्ता के साथ-साथ सामाजिक कल्याण की दिशा में भी काम कर रहे हैं। इस बार पार्टी ने ऐसे कार्यकर्ताओं को मौका दिया है जो इतिहास बनाएंगे। 26 साल के नौजवान शिवराम कन्नौज को मनावर से टिकट दिया गया है जो अच्छी नौकरी कर रहे थे ,लेकिन वो समाज कल्याण के लिए कुछ करना चाहते थे।
वहीं कांग्रेस ने 19 अक्टूबर देर रात को अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की थी। इस सूची में 88 उम्मीदवारों के नामों का एलान किया गया था। इसमें तीन टिकट बदले गए थे। सूची जारी होने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी सिर्फ विधायक बनने के लिए खड़े नहीं हो रहे हैं, बल्कि मध्य प्रदेश का भविष्य संवारने के लिए चुनाव के मैदान में उतरे हैं।
तो एक-दूसरे की सूचियों पर खुलकर भड़ास भी निकाली जा रही है। कांग्रेस की सूची पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि सूची में कुछ टिकट कमलनाथ जी तो, कुछ टिकट दिग्विजय सिंह जी ले गए। बाकी हाथ मलते रह गए। अब आपस में ही लड़ाई मची हुई है। विरोध हो रहा है, पुतले जल रहे हैं। एक अपने पुत्र को स्थापित कर रहा है दूसरा अपने पुत्र को स्थापित कर रहा है। दुर्गति कांग्रेस के अंदर भी है। कांग्रेस ने यह चुनाव नकुलनाथ और जयवर्धन के भविष्य का चुनाव बना दिया है। मध्य प्रदेश में खड़गे जी ने कमलनाथ को दे दी टिकट बांटने की फ्रेंचाइजी। फ्रेंचाइजी लेकर कमलनाथ जी किसी की नहीं सुन रहे, कमलनाथ, नकुलनाथ को और दिग्विजय जी, जयवर्धन को स्थापित कर रहे हैं। कमलनाथ जी ना मैडम सोनिया गांधी, ना राहुल गांधी और ना प्रियंका गांधी की सुन रहे हैं। वो तो सिर्फ अपनों को स्थापित करने के काम में लगे  हैं।
वहीं भारतीय जनता पार्टी की पांचवी सूची पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने तंज कसा कि सूची ने स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा नेतृत्वहीन होने के साथ ही दिशाहीन भी हो चुकी है। पार्टी ने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, बल्कि हार का ठीकरा फोड़ने के लिए कुछ पुराने और नए नाम सामने कर दिए हैं। अब न भाजपा के पास मुख्यमंत्री का चेहरा है और ना ही विधायकों का चेहरा।
फिलहाल दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों में व्यक्तिगत और सामूहिक इस्तीफों का दौर जारी है। शिवराज दिन-रात मेहनत कर भाजपा की वापसी का भरोसा जता रहे हैं, तो कमलनाथ कांग्रेस को सत्ता मिलने का दावा कर रहे हैं। फिलहाल दोनों ही दलों ने टिकट वितरण की प्रक्रिया पूरी कर गंगा स्नान कर लिया है। किसके पाप धुले हैं और किसके पुण्य की गठरी भारी हुई है, नतीजा आने पर यह साफ हो जाएगा। वर्तमान दृश्य तो यही कि टिकट का जाल, उबाल ही उबाल…।