
साथ-साथ रफ्तार भरें मध्यप्रदेश का बाघ और असम का गैंडा…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्य प्रदेश और असम के बीच औद्योगिक निवेश की संभावनाओं का अनंत आकाश हो सकता है तो दोनों राज्यों के बीच वन्य जीवों के आदान प्रदान के लिए दोनों राज्यों की धरती अवश्य ही स्वागत करने को तैयार है। मध्यप्रदेश का बाघ और असम का गैंडा दोनों ही जंगल में एक साथ रफ्तार भर सकते हैं। दोनों राज्य मिलकर इन वन्य प्राणियों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। मध्यप्रदेश असम को गौर, घड़ियाल और मगरमच्छ दे सकता है। असम मध्यप्रदेश को गैंडा देकर राज्य के वनों को समृद्ध कर सकता है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने असम की धरती पर आह्वान किया कि मध्य प्रदेश और असम वन्य जीवों के आदान-प्रदान की दिशा में आगे बढ़ें। उन्होंने मध्य प्रदेश के चीता पुनर्वास प्रोजेक्ट का उदाहरण देते हुए बताया कि हमने अफ्रीकन चीतों को मध्यप्रदेश की धरती पर बसाया है। इसी तरह हम अन्य विलुप्तप्राय वन्य जीव प्रजातियों को बसाकर उनकी प्रजाति बचा सकते हैं। औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने असम पहुंचे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दोनों राज्यों की समानता को देखते हुए वन्यजीवों से संबंधित जो रुचि दिखाई है वह भविष्य में बेहतर परिणाम दे सकती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीव संरक्षण की मनमोहक झलक देखी एवं हाथियों को स्नेह से गन्ना खिलाकर दुलार किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यहां वन्यजीवों के संरक्षण-संवर्धन के लिये नवाचारों के संबंध में जानकारी प्राप्त की और उद्यान भ्रमण के दौरान अजगर को प्राकृतिक आवास में छोड़ा। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एक सींग वाले गैंडे सहित पूर्वी हिमालयी जैव विविधता का केन्द्र है। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व-धरोहर घोषित किया गया। यह उद्यान हाथियों, जंगली भैंसों, दलदली हिरणों और विभिन्न पक्षी प्रजातियों का आश्रय स्थल है। यह उद्यान वन्य जीवों की बड़ी संख्या के साथ वन्य जीव संरक्षण गतिविधियों के लिए भी विख्यात है।
मध्यप्रदेश में बाघों के लिए प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों ने अपना ठिकाना बनाया है। वन क्षेत्र में 50 से अधिक जंगली हाथी विचरण कर रहे हैं। ये हाथी आसपास के गांवों में भी पहुंच रहे हैं। इससे मानव-हाथी संघर्ष की स्थिति बन रही है। मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में अक्टूबर 2024 के अंतिम सप्ताह में हुई दस हाथियों की मौत ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था। जैसा कि बाद में पता चला था कि संक्रमित कोदो खाने से हाथियों की मौत हुई थी। पर वास्तव में इस पूरे प्रकरण को हाथी और मानव संघर्ष से जोड़कर भी देखा गया था। फिलहाल यह उम्मीद की जा सकती है कि मध्य प्रदेश और असम के रिश्ते उद्योगों के साथ-साथ वन्यजीवों की दृष्टि से भी संभावनाओं भरे होंगे।
मध्यप्रदेश का बाघ और असम का गैंडा साथ-साथ रफ्तार भरें तो मध्य प्रदेश और असम के बन अफसर और कर्मचारी मिलकर वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर भी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा करें ताकि वन्य जीव और मानव संघर्ष की स्थितियां निर्मित होने से बचा जा सके। वन्यजीव अपना जीवन अपने तरीके से जी सकें और मानव भी वन्यजीवों की सुरक्षा करते हुए खुद की सुरक्षा के प्रति भी पूरा आश्वस्त हो सके। उम्मीद यही है कि देश का दिल मध्यप्रदेश और उत्तर पूर्व का प्रवेश द्वार असम मिलकर औद्योगिक निवेश में कीर्तिमान जरूर बनाएं तो साथ-साथ वन्यजीवों को लेकर भी अनंत संभावनाओं का द्वार जरूर खोलेंगे…।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





