मध्यप्रदेश में 15 साल मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड बनाने के बाद मामा का अंदाज और भी बदला-बदला सा नजर आने लगा है। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सोमवार को 2 घंटे से अधिक सरकार का पक्ष रखते हुए और महत्वपूर्ण घोषणाएं करते समय शिवराज सिंह चौहान अलग ही मूड में थे। और उन्होंने कहा भी कि “आज मैं मूड में हूं।” जो नहीं कहा वह यह कि अन्नदाताओं तुम भी लो, बिजली बिल उपभोक्ताओं तुम भी लो, भांजियों तुम भी लो, प्रदेशवासियों अगर बेघर हो तो चिंता बिल्कुल मत करो और मतदाताओं की चिंता करने वाले माननीयों तुम भी लो…। हमारे पास यदि कुछ भी देने की क्षमता है तो मैं सौ फीसदी सब कुछ प्रदेश के साढ़े आठ करोड़ प्रदेशवासियों के लिए समर्पित कर दूंगा। माननीयों की निधि बढ़ने पर सबसे ज्यादा खुशी कांग्रेस खेमे में दिखी। और आवाजें भी आईं कि विधायक मांगें मोर, निधि हो पांच करोड़…। कुल मिलाकर मामा ने जितना दिया, उससे हजार गुना ज्यादा सबका दिल जीत लिया। कांग्रेस को आइना भी खुलकर दिखाया और उत्तरप्रदेश-पंजाब के परिणामों का बखान करते हुए बड़े प्यार से जलील भी किया। गालिब का मशहूर शेर है कि “हैं और भी दुनिया में सुखन्वर बहुत अच्छे, कहते हैं कि गालिब का है अन्दाज-ए-बयां और”…। गालिब की तर्ज पर शिवराज के लिए कहा जा सकता है कि “हैं और भी देश में मुख्यमंत्री वक्ता अच्छे, कहते हैं कि मामा का है अन्दाज-ए-बयां और…।” जब मौका मिले तब मंच और महफिल लूटने की काबिलियत का मामा का कोई जवाब नहीं है। और अहसान भी जता दिया कि दिल में गुबार तो बहुत है, यदि नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ सदन में होते तब जरूर पूरा निकाल देते।
पर मामा ने कहा भी और सदन में साबित भी कर दिया कि जितना लुटा सकता हूं, वह लुटाए बिना नहीं रहूंगा। कांटों भरा मार्ग चुना है तो सेवा करते हुए यह साबित कर दूंगा कि सही ही चुना है। कांग्रेस पार्टी अभी भी सबक सीखने को तैयार नहीं है। 2 बड़े नेता बचे हैं और उत्तर प्रदेश में बस 2 सीट ही बची हैं। और 2 प्रतिशत वोट ही मिल सके हैं। और 387 जगह जमानत जब्त हो गई है। पंजाब की बात की और चन्नी-सिद्धू की मानसिकता बयां कर दी। जैसी कि एक कथा है कि पड़ोसी की दोनों आंखें फूट जाएं, इसलिए भगवान को प्रसन्न कर वरदान में अपनी एक आंख फूटने का वर मांगा था पड़ोसी ने। सिद्धू ने एक सीट हारी और फिर भी खुशी मना ली कि चन्नी दोनों सीटों पर हार गए। इशारा यही था कि 2023 में मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस का यही हाल होने वाला है। कहा भी तल्खी दिखाकर कि अगर मध्य प्रदेश की राजनीति में भेदभाव और अन्याय का प्रारंभ किया। तो वह 15 महीना की सरकार में हुआ, इससे पहले कांग्रेस ने नहीं किया। कुचल दो, दबा दो, बदला ले लो, मार डालो यह कौन सी राजनीति है ? लेकिन, हम ऐसा भेदभाव नहीं करेंगे। हमारी सोच है सबका साथ, सबका विकास। इन्होंने तो कई हटा दिए, इसके लिए तो सरकार हटी है… नहीं तो 5 साल काम करती। उस समय बड़ी जल्दी में रहते थे, चलो-चलो टाइम नहीं है उन्हें भी कह दिया टाइम नहीं है। इन्होंने कहा, हम भी चले मामा के पास हमारे पास भी टाइम नहीं है। न “उन्हें” का नाम लिया और न “इन्होंने” का और बात आगे बढ़ा दी कि ये भेद भाव करने की जरूरत क्या थी?
तो घोषणाओं की बौछार कर दी कि कांग्रेस की कर्जमाफी की घोषणा के कारण डिफॉल्टर हुए किसानों का अतिरिक्त ब्याज सरकार भरेगी। कोरोना काल में 88 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ताओं का रु. 6,000 करोड़ का बकाया बिल माफ किया जाएगा।विधायकों की निधि को 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये किया गया।इसमें स्वेच्छानुदान की राशि को रु. 50 लाख किया जाएगा। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना को पुनः प्रारम्भ किया जायेगा, साथ ही लाडली लक्ष्मी योजना को रीडिज़ाइन किया जायेगा। और मैं गर्व के साथ कहता हूं कि 23 लाख मकान बनाकर हमने कंप्लीट कर दिये हैं और बाकी पर तेजी से काम हो रहा है। इस साल के अंत तक 30 लाख मकान बनाकर कंप्लीट कर दिए जाएंगे। मेरे विधायक मित्र जरा तारीख नोट कर लें। 28 तारीख को दिन के 12:00 बजे हम 5 लाख 21 हजार मकानों में गृह प्रवेश का कार्यक्रम पूरे मध्यप्रदेश में रखेंगे। जिसमें आप भी आमंत्रित हैं। हमारे प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी वर्चुअली हमसे जुड़ कर अपनी बात कहेंगे। इशारा यही था कि मोदी-शिवराज केमिस्ट्री के बारे में कयास लगाने वालो कयास लगाते रहो। हमारे काम हमें मोदी की प्रशंसा दिलाते रहेंगे और….जलने वाले जलते रहें।
मामा ने कहा भी कि यह कंटकाकीर्ण मार्ग हमने मर्जी से चुना है यानि कि जनता की सेवा करने की इतनी बड़ी लकीर खींचकर रहूंगा, जो अभी तक कोई न खींच पाया हो। गालिब के ही शेर से समझें तो “ये इश्क़ नहीं आसां, बस इतना समझ लीजिए/ इक आग का दरिया है और डूबकर जाना है…। और जैसा कि मामा कहते ही रहते हैं कि जनता भगवान और मैं उसका पुजारी। ख्वाहिश यही कि सेवा करते-करते ही यदि जान भी देना पड़े तो दे दूं। गालिब का एक शेर है कि “हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले/ बहुत निकले मेरे अरमाँ लेकिन फिर भी कम निकले…। शायद शिवराज के अरमॉं भी बहुत निकलना बाकी हैं अभी।