कूटरचित दस्तावेजों से हुए करोड़ों के सब्जी मंडी महाभृष्टाचार के कुछ आरोपी हैं सबके सामने,पर नपा प्रशासन ही कर रहा उनको अनदेखा

जिला ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की एक्सक्लूसिव खबर,पार्ट 2

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कूटरचित दस्तावेजों से हुए करोड़ों के सब्जी मंडी महाभृष्टाचार के कुछ आरोपी हैं सबके सामने,पर नपा प्रशासन ही कर रहा उनको अनदेखा

इटारसी। मीडियावाला डॉट इन द्वारा विगत सप्ताह , क्या जल्द हो पाएगा सब्जी मंडी दुकानों के महाभृष्टाचार का खुलासा,निष्क्रिय प्राधिकार समिति की बैठक बुलाने नपा ने लिखा पत्र शीर्षक से एक एक्सक्लूसिव खबर का प्रकाशन किया गया था। जिसके दूसरे ही दिन प्राधिकार समिति की बैठक संपन्न हुई। पर सूत्रों के अनुसार पिछली भाजपा शासित नपा परिषद के कार्यकाल में हुए इस शर्मनाक कांड के कर्णधार मुख्य आरोपियों पर शिकंजा कसने,उनको गिरफ्त में लेने के लिए बैठक में कोई चर्चा ही नहीं हुई। जबकि इस महाभृष्टाचार के कर्णधार असली आरोपियों के एक प्रमुख सहयोगी व राजदार संजीव श्रीवास्तव बहुत पहले ही बेनकाब होकर,एक मामले में निलंबित होकर जमानत पर हैं। पर उससे कड़ी पूछताछ करके या उसे सरकारी गवाह बनाकर असली आरोपियों तक पहुंचने की कोई कोशिश नपा प्रशासन या नपा परिषद द्वारा प्रशासनिक या राजनीतिक रूप से विगत 3 वर्षों में कभी नहीं की गई। यदि यह की गई होती तो अब तक सभी असली आरोपी बेनकाब हो गए होते। नपा की तथाकथित नकली रसीद गड्डियों व दुकानदारों को भी तब दी गई नकली रसीदों जिनकी चर्चा संजीव श्रीवास्तव के एक मामले में पकड़े जाने पर मीडिया व सोशल मीडिया में जमकर हुई थी का खुलासा भी अब तक हो जाता।

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प्राधिकार समिति बनाने की भी जरूरत नहीं पड़ती, विधायक के अनुरोध पर कलेक्टर को। क्योंकि कच्ची दुकान से पक्की दुकान करने व उसके आवंटन के खेल में कुछ दुकानों के सामने,अध्यक्ष के आदेश से देने की टीप को लिखकर फिर मिटाने का असफल प्रयास करने के प्रमाण आज भी नपा के दस्तावेजों में होने की भी जानकारी* सूत्रों ने दी है। यदि यह संबंधित अधिकारी द्वारा स्वयं को बचाने की एक कवायद है तो फिर तत्कालीन अध्यक्ष को ही इसकी निष्पक्ष जांच की मांग करनी चाहिए थी,जो अब तक नहीं करने की जानकारी मिली है। ज्ञात रहे कि एक दैनिक ने तो अपनी खबर में स्पष्ट रूप से इस टीप का उल्लेख भी विगत दिनों किया है। स्पष्ट है कि तत्कालीन नपा परिषद के किसी प्रभावशाली नेता के ही राजनीतिक सरंक्षण में यह पूरा महाभृष्टाचार हुआ होगा। पर देश व प्रदेश में भाजपा की सरकार होने से ये दोषी भ्रष्ट नेता भी दंड की जगह पुरुष्कृत होते दिखे। प्रारंभ में कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेताओं ने जरूर यह मामला उठाया पर पिछले नपा परिषद चुनाव के समीप आते ही कांग्रेस जन भी अपनी अपनी राजनीतिक सेटिंग में इतने व्यस्त हो गए कि चुनाव प्रचार तक में इस बड़े मामले को चुनावी मुद्दा बनाने में विफल रहे। सब्जी मंडी की दुकानों के संबंध में शिकायत करने वाले पूर्व पार्षद यज्ञदत्त लालू गौर को भी समिति की बैठक में बुलाया गया था।

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जिसके बाद शिकायतकर्ता यज्ञदत्त गौर द्वारा की गई शिकायत रिकार्ड 2004– 2005 से 2019-20 तक को समिति द्वारा अमान्य किया गया, क्योंकि नगरपालिका की हैंड बुक प्रापर नहीं थी। वर्ष 2009-10 की किराया संग्रहण पंजी को इसलिए भी समिति ने आधार माना क्योंकि 2016 में अचल संपत्ति अंतरण नियम के अंतर्गत व्यवस्थापन का प्रावधान आया था जिसमे न्यूनतम 3-4 साल वैधानिक रूप से उस स्थान पर दैनिक अथवा मासिक किराए पर व्यवसाय कर रहे व्यवसायी ही पात्र थे। 3-4 साल, 12-13 में होते हैं किंतु 2012,13 और 10-11 के रजिस्टर व्यवस्थित नहीं हैं ।अतः 09-10 को आधार माना। इस रजिस्टर में भी शिकायत अनुसार नाम अतिरिक्त रूप से जुड़े स्पष्ट दर्शित हो रहे हैं। जिनमें सूत्रों के अनुसार एन कुमार लक्ष्मीनारायण दुबे,सुनील कुमार शारदाप्रसाद पांडे, जे पी दुबे,राजेंद्र कुमार सुंदरलाल,मीना देवेंद्र पाराशर,रामनाथ सराठे,गोपाल मामराज,अजबसिंह भगवानसिंह,मनोहर बाबूलाल, गोपीचंद मामराज, जितेंद्रकुमार नेमीचंद,मदनलाल शंकरलाल,गुरमीत सिंह,जसविंदर कौर के नामों की चर्चा है,जिनको संदिग्ध माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इनमें से भी कुछ नाम 2009,10 की पूर्व की सूची में से परिवर्तित भी किए गए हैं,जिनमें जे.पी. दुबे,कम्युनिस्ट पार्टी,देवेंद्र सोनी,साहू समाज आदि के कुछ नाम बदले गए हैं। सूत्रों के अनुसार बैठक में सबसे पहले समिति ने यह स्पष्ट किया कि हम शिकायतकर्ता से मात्र रजिस्टर में दर्ज नामों की वैधानिकता से संम्बन्धित बात ही करेंगे। रिकॉर्ड में दर्ज कुल 109 (जिसमे संदिग्ध व कूटरचित भी शामिल हैं ) के अतिरिक्त जितनी भी अन्य दुकानें हैं,जो प्रथम दृष्टया ही अवैध हैं और वो कैसे बनीं/ कैसे आवंटित हुईं ,यह शिकायतकर्ता का विषय नहीं है। उसमें समिति स्वयं जांच कर निर्णय लेगी। क्योंकि इनके प्रथम दृष्टया ही अवैध होने में कोई संदेह नहीं लग रहा है। 2022 — 23 की वर्तमान कलेक्टर गाइड लाइन अनुसार ही अब सभी दुकानदारों को प्रीमियम राशि देनी होगी। सूत्रों के अनुसार वैध दुकानों की कोई नीलामी नहीं होगी। प्राधिकार समिति की बैठक एस. डी. एम. कार्यालय इटारसी में हुई थी। जिसमें समिति सदस्य अपर कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी इटारसी,

मुख्य नगरपालिका अधिकारी,इटारसी, उपसंचालक नगर तथा ग्राम निवेश, यज्ञदत्त गौर व श्रीमति मनीषा अग्रवाल , पार्षद,वार्ड क्रमांक 31 उपस्थित हुए थे। उक्त बैठक में समस्त दस्तावेजों का प्रथम दृष्ट्या अवलोकन किया गया। वर्ष 2009-10 के डिमांड रजिस्टर का अवलोकन किया गया, जिसमें सब्जी मंडी की कच्ची दुकानों की 39 दुकान नस्ती में पूर्व से संधारित होना पाया गया। बिन्दु क्रमाक 40 से बिंदु क्रमांक 52 तक की प्रविष्टी दूसरी स्याही पेन से की गई को अलग से लिखी गई माना गया, जो संदिग्ध की श्रेणी में आती है। सब्जी मंडी खपरेल दुकान 17 नस्ती में प्रविष्टी पाई गई जो प्रथम दृष्टया सही पाई गई। सब्जी मंडी फल दुकानों मे 20 दुकान में सभी की प्रविष्टी पाई गई, बिन्दु क्र. (21) अतिरिक्त रूप से जोड़ा जाना प्रतीत हुआ। सब्जी मंडी की आढ़त दुकान के अंतर्गत 18 दुकान प्रथम दृष्टया सही पाई गईं। अगली बैठक के पूर्व वर्ष 2009-10 मे जो दुकानें प्रथम दृष्ट्या सही पायी गई उनके व अन्य सभी के दस्तावेज की जांच हेतु मुख्य नगर पालिका अधिकारी को संबंधित दुकानदारों को सूचना पत्र जारी करने के निर्देश दिए गए। दुकानदारों की बेस प्राईस वर्ष 2022,23 की कलेक्टर गाइड लाइन के आधार पर गणना कर मुख्य नगर पालिका अधिकारी प्रेषित करेंगी तथा दुकानदारो के सम्पति रिकार्ड के साथ अगली बैठक मे उनको उपस्थित होने को पाबंद किया गया। समिति ने 2009-2010 के रिकार्ड को सबसे व्यवस्थित रिकार्ड मानते हुए इसी आधार पर जांच करने का निर्णय लिया है। इसी रिकार्ड की भी बात करें तो श्री गौर द्वारा की गई शिकायत के अधिकांश बिंदु इसमें भी स्पष्ट प्रमाणित हो रहे हैं। फर्जी रूप से दुकान आवंटन की जांच की जिम्मेदारी कलेक्टर द्वारा एडीएम के नेतृत्व में गठित टीम को सौंपी गई थी। समिति में एडीएम मनोज सिंह ठाकुर, एसडीएम, मदन सिंह रघुवंशी, एस डी एम इटारसी सहित टीम के अन्य सदस्यों ने सब्जी मंडी पहुंचकर उक्त विवादित दुकानों का सामूहिक रूप से निरीक्षण भी किया। इसके साथ ही अब समिति ने अगली बैठक आयोजित करने के पूर्व सभी दुकानों में काबिज दुकानदारों के मूल दस्तावेजों को बुलाने का निर्णय लिया है। करीब आधा सैकड़ा अवैध दुकानें बना शासन को करोड़ों की चपत लगाने का मामला प्रथम दृष्टया सामने आया है। ज्ञात रहे कि पूर्व में लगभग 93 कच्ची दुकानें, शहर की सब्जी मंडी में संचालित होती थी। लेकिन नगरपालिका द्वारा कच्ची दुकानों को पक्का बनाने के नाम पर करीब 142 से 144 तक, दुकानों का निर्माण कर डाला गया। उस दौरान पूर्व पार्षद यज्ञदत्त गौर लालू ने लगभग आधा सैकड़ा दुकानें अवैध रूप से बनाकर शासन को करोड़ों रुपए की चपत लगाने का आरोप लगाया था। इसके बाद तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह द्वारा शिकायत कर्ता पार्षद यज्ञदत्त गौर को नोटिस जारी कर नपा के इस बड़े भ्रष्टाचार की शिकायत करने पर इसे पार्टी की छवि धूमिल करने का प्रयास बताया था, जिसके बाद श्री गौर अपना पक्ष रखने प्रदेश अध्यक्ष के समक्ष भी उपस्थित हुए थे। अब सवाल यह उठता है कि आखिर डेड़ से दो लाख रुपए तक लेकर दस्तावेजों पर किसने,किसके हस्ताक्षर करवाए और किसने फिर इन दुकानों को दस लाख से पंद्रह लाख रुपए तक में बेचा। खैर जो भी हो देर आयद दुरुस्त आयद। शहर की सब्जी मंडी में अतिरिक्त दुकानें बनाकर उनको अवैध रूप से बेचने की साजिश का पर्दाफाश अब अधिकृत रूप से, प्रशासनिक रूप से हो गया है। सब्जी मंडी की कच्ची दुकानों को पक्का करने के बाद इसमें जमकर खेल खेला गया।

अधिकतर दुकानों पर ओवर राइटिंग कर अंक बढ़ाए गए। प्रत्येक पृष्ठ में चार नाम होने के बाद पांचवें नाम के रूप में फर्जी लोगों को दर्ज किया गया। वहीं सूत्रों के अनुसार संबधित नगर पालिका के कर्मचारी ने रजिस्टर में स्पष्ट टीप लिखते हुए संबंधित दुकान के आगे अध्यक्ष महोदय के आदेश के बाद नाम जोड़े गए, लिखा हुआ है। जिसे काटने का प्रयास किया गया, लेकिन उक्त लेखनी आज भी पढ़ी जा सकती है। यह सब क्यों,कैसे हुआ,इसकी गंभीर जांच आज तक कभी भी नपा प्रशासन ने नहीं की। सात वर्ष पूर्व सब्जी मंडी की दुकान किराया पंजी में 39 दुकानदार के नाम थे, लेकिन उसमें काटछाट करके क्रमांक 41 से लेकर 52 तक नाम जोड़े गए थे, जिनकी जांच की मांग भी की गई थी। यदि समिति की जांच तेज रफ्तार से जारी रही तो प्रशासन इस घोटाले के मास्टर माइंड नेताओं एवं दोषी नपा अधिकारियों पर शिकंजा कस सकता है। जांच शुरू होने के बाद पात्र दुकानदारों के अलावा नाजायज ढंग से दुकानें हड़पने वाले,फर्जी रसीदों से पेमेंट करने वाले,रसीद के अमाउंट के अलाबा अलग से बड़ी राशि का नगद पेमेंट कर दुकान लेने वाले लोगों के चेहरे फीके पड़े हुए हैं। मामले में लंबी लड़ाई लड़ रहे भाजपा के पूर्व पार्षद यज्ञदत्त गौर , पूर्व परिषद के पूरे कार्यकाल में उठापटक करते रहे, लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई। पुरस्कार स्वरूप उनको अध्यक्ष द्वारा सभापति पद से हटा दिया गया। श्री गौर ने सीएम हेल्पलाइन, प्रधानमंत्री शिकायत प्रकोष्ठ तक मामले को भेजा, लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ी।दरअसल पूर्व नपाध्यक्ष अनिल अवस्थी के कार्यकाल में परिषद द्वारा सब्जी मंडी में दुकानदारों को कच्ची दुकानों के लिए जगह आवंटन की गई थी। सूत्रों के अनुसार उस समय करीब 93 सब्जी कारोबारियों के पास आवंटन पत्र थे। भाजपा परिषद ने इन्हीं आवंटन पत्र के आधार पर कच्ची से पक्की दुकाने बनाकर देने की योजना बनाई। पात्र हितग्राहियों की संख्या वैसे 93 बताई जाति है, लेकिन नगर पालिका के रिकार्ड में 108 पात्र हितग्राही है, जबकि दुकानें 142 या 144 बना दी गई। आरोप है कि अपात्रों को अतिरिक्त दुकानों का आवंटन करने में लाखों रुपये की हेराफेरी एवं सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ की गई। कई पात्र लोगों को भी दुकाने नहीं दी गई। जैसे कि मनोहर बाबूलाल आदि।
दुकानों का क्रम बदलने, छोटी से बड़ी करने एवं ली गई दुकानों को बाद में दूसरे लोगों को मोटी रकम लेकर बेचने के आरोप भी लगे। सूत्रों के अनुसार नपा के पास सब्जी बाजार में आवंटित दुकानों, काबिज मालिको के पुराने रिकार्ड का कोई वैध दस्तावेज अब नपा में उपलब्ध नहीं है। अतिरिक्त रूप से बनी करीब 36 अवैध दुकानों के निर्माण या आवंटन का भी कोई रिकार्ड नहीं है।

दुकानों के निर्माण एवं रिकार्ड से जुड़ी नस्ती की मूल फाइल पिछली परिषद में रहस्यमय ढंग से लापता हो चुकी है। इस फाइल को लेकर थाने में एफआईआर के लिए सीएमओ ने पुलिस को पत्र भी लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने से, आज तक उक्त फाइल लापता है। सूत्रों के अनुसार इस फाइल के बारे में तत्कालिन सहायक राजस्व निरीक्षक संजीव श्रीवास्तव को पूरी जानकारी थी। पर उनसे अपेक्षित पूछताछ ही नपा प्रशासन ने आज तक नहीं की गई। तत्कालीन राजस्व निरीक्षक संजय दीक्षित अब सेवानिवृत्त हो गए हैं। वहीं संजीव श्रीवास्तव गड़बड़ी के एक दूसरे मामले में निलंबित चल रहे हैं। हालांकि सूत्रों के अनुसार नपा अधिकारियों की मेहरबानी से उनको बिना कोई पूछताछ के 75 प्रतिशत वेतन राशि घर बैठे मिल रही है। क्योंकि नपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार विगत 3 सालों में उनको कभी कभार ही नपा ऑफिस में देखा गया है। छह माह पहले बनी समिति लंबे समय तक क्या करती रही पता नहीं पर अब अचानक इस मामले ने तूल पकड़ा है। विधायक डा. सीतासरन शर्मा भी मामले में जल्द जांच पूरी करने के लिए कलेक्टर से दो बार बात कर चुके हैं। इस घोटाले में किन लोगों की भूमिका रही, सरकार को कितने का राजस्व का चूना लगाया गया, किन अपात्रों को दुकानों की चाबियां और आवंटन सौंपा गया, यह जांच के बाद साफ होगा। सूत्रों के अनुसार नपा ने अब तक सारी दुकानों का भौतिक सत्यापन भी ठीक से नहीं कराया है। नियम विरुद्ध तरीके से आवंटित व विक्रय की गई दुकानों का आवंटन जल्द निरस्त हो सकता है। हालांकि वर्तमान सरकारी दर से काबिज दुकानदार नीलामी द्वारा या अन्य किसी प्रशासकीय व्यवस्था के पुनः वैधानिक रूप से अपनी दुकानों को वापस प्राप्त कर सकते हैं। पर पूर्व में अवैध रूप से दुकानें लेने के लिए उनके द्वारा संबंधित व्यक्ति को दिया गया पेमेंट दिलाने में प्रशासन उनकी मदद तभी कर पाएगा जब वे संबंधित व्यक्ति का नाम व पेमेंट देने का कोई प्रमाण,प्रशासन को बता पाएंगे। या संबंधित व्यक्ति से स्वयं ही अपने दिए पेमेंट को वापस करने के लिए कहेंगे।

बड़े लंबे संघर्ष व अनेक कठिनाइयों, जिनमें पार्टी से निष्कासन का नोटिस भी सम्मिलित है, अब हल्की सी उम्मीद निष्पक्ष जांच एवं न्यायोचित निर्णय की जागी है। मुझे शिकायत करने का जो राजनैतिक नुकसान हो सकता था वो तो हो गया किंतु अगर निष्पक्ष निर्णय आता है तो शायद भविष्य में कोई अन्य जनप्रतिनिधि भी शासकीय सम्पत्ति को बचाने की लड़ाई लड़ ले वरना इस प्रकरण में जिन शासकीय सेवकों का दायित्व था वो तो स्वयं षड्यंत्र में शामिल रहे या षड्यंत्रकर्ताओं के बचाव में खानापूर्ति ही करते रहे हैं अब तक। मोटे तौर पर सब्जी मंडी में बनाई दुकानों में करीब 40 से 50 दुकानों की बंदरबांट हुई है। 2017 में इसकी शिकायत की थी, लेकिन अब तक इस पर कोई कारगर एक्शन नहीं हुआ था। अब कलेक्टर के निर्देश पर पहली बार हुई बैठक से ऐसा लग तो रहा है कि प्रशासन ठोस कार्रवाई करेगा। देश व प्रदेश का प्रमुख बेब न्यूज पोर्टल मीडियावाला डॉट इन व 2 अन्य दैनिकों द्वारा यदि खबर प्रकाशित नहीं की जाती तो शायद ही यह कार्रवाई इतनी तेज़ी से आगे बढ़ती —यज्ञदत्त गौर, शिकायतकर्ता।

कलेक्टर के निर्देश पर प्राधिकार समिति का गठन किया गया था। समिति की बैठक में शिकायतकर्ता की बातों को गंभीरता से सुना गया। इसके बाद समिति के सदस्यों ने सब्जी मंडी पहुंचकर दुकानों का स्थल निरीक्षण भी किया। जल्द ही दुकानदारों से दस्तावेज लेकर नपा प्रशासन को उपस्थित होने के लिए कहा गया है। नपा ने इस दिशा में अब तक क्या कार्यवाही की है,पता करता हूं। फिर ए डी एम महोदय से बात कर बैठक की तिथि तय करेंगे। उम्मीद है, अगली बैठक का आयोजन जल्द ही किया जाएगा—-मदनसिंह रघुवंशी, एसडीएम,इटारसी एवं सदस्य प्राधिकार समिति। प्राधिकार कमेटी के निर्देशानुसार अब तक हमने सिर्फ संबंधित दुकानदारों को 7 दिन का नोटिस ही जारी किया है। उनके जवाब आने पर फिर उन जबाबों को समिति के समक्ष रखेंगे। जिन 66 दुकानदारों ने पूर्व में हमें दस्तावेज दिए थे,उनकी भी जांच अब तक नहीं की है क्योंकि अब प्राधिकार समिति के निर्देशानुसार ही नपा कोई भी कार्यवाही करेगी — हेमेश्वरी पटले,मुख्य नगर पालिका अधिकारी,इटारसी। इस प्रकरण में,मैं आपको कोई भी जानकारी देने में असमर्थ हूं । मेरे लिए यह दुख का विषय है कि मेरे विभाग से जुड़ा प्रकरण होने के बावजूद नपा प्रशासन ने आज तक मुझे इसके संबंध में कोई भी जानकारी देना जरूरी नहीं समझा है। मुझे सिर्फ उतनी ही जानकारी है जो मीडिया द्वारा अब तक प्रकाशित की गई है— अमृता मनीष ठाकुर,सभापति,राजस्व व बाजार समिति,नपा परिषद,इटारसी।