

धान घोटाले में अभी और हो सकती है FIR, EOW की 2 दर्जन टीमें जुटी हैं पड़ताल में
भोपाल. मध्य प्रदेश में महाकौशल, विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र में धान का बड़े पैमाने पर घोटाला आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) उजागर कर चुका है। इस घोटाले में अभी और FIR दर्ज होने की संभावनाएं हैं, वहीं आरोपियों की भी संख्या बढ़ेगी।
अभी तीन अंचलों के कुछ जिलों में ही यह घोटाला उजागर हुआ है, जबकि कई जिलों में इस घोटाले को लेकर अभी पड़ताल चल रही है। यह पूरा घोटाला उन्हीं क्षेत्रों में हुआ है, जहां पर अधिकांश धान एमएसपी पर ही बेचा जाता है।
सूत्रों की मानी जाए तो अभी इस मामले में लगातार पड़ताल चल रही है। जिसमें कुछ और सहकारी समितियों के पदाधिकारी और कर्मचारी आरोपी बन सकते हैं। साथ ही कुछ मिल मालिक और वेयरहाउस संचालक भी आरोपी बनाए जा सकते हैं। प्रदेश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर ईओडब्ल्यू ने धान घोटाले को लेकर कार्यवाही की है।
EOW ने प्रदेश में बड़े पैमाने पर चल रहे धान की हेराफेरी में अब तक 12 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाले पाया है। मार्च के पिछले 21 दिनों के भीतर इस पर 38 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। जबकि इसमें 145 आरोपी बनाए जा चुके हैं। अभी इस संबंध में जबलपुर, रीवा और सागर यूनिट में सामने आया है। महाकौशल और बुंदेलखंड के आसपास धान की पैदावर ज्यादा होती है, यहां पर होने वाली धान अधिकांश एमएसपी पर ही बेची जाती है। इसलिए यहां पर वेयरहाउस में धान रखा जाता है। जबकि ग्वालियर-चंबल और मध्य क्षेत्र में धान एमएसपी से ज्यादा रेट पर बाजार में बिक जाती है, इसलिए यहां पर इस घोटाले के फिलहाल कोई साक्ष्य सामने नहीं आए हैं।
इस पूरे घोटाले में सबसे ज्यादा एफआईआर जबलपुर यूनिट में दर्ज हुई हैं। महाकौशल के अधिकांश जिलों में धान की पैदावार होती है। इसके बाद रीवा यूनिट में भी दस से ज्यादा एफआईआर दर्ज हुई है। सागर यूनिट में धान घोटाले को लेकर दो एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इन सभी में अब तक 37 समिति और एक मिल से जुड़े लोग आरोपी बनाए गए हैं।