नग्नता की हद होती है, फिल्म पठान के बैन का निर्णय उचित

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नग्नता की हद होती है, फिल्म पठान के बैन का निर्णय उचित

शाहरुख खान की नई फिल्म पठान में दीपिका पादुकोन के एक डांस की नग्नता ने हदें पार कर दी हैं। आश्चर्य इस बात का है कि शाहरुख खान को स्वयं यह संज्ञान लेना चाहिये था कि वे भारत के दर्शकों के सामने सालों बाद आ रहे हैं तो ऐसे में पब्लिसिटी के लिये खुद को हाइलाइट करने के बजाय उन्होंने दीपिका की नग्नता, वेशभूषा, कपड़े का भगवा रंग, मसल्स की नुमाइश से कहीं ज्यादा चेहरे के हावभाव की बेशर्मी को ऐसे उजागर किया है, मानो फिल्म भारतीय न होकर विदेशी हो।

ऐसे में यदि मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने फिल्म को मध्यप्रदेश में बैन करने का कदम उठाया है तो वह स्वागत योग्य है।

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भारतीय फिल्मों में गाने पहले भी अश्लीलता से परोसे जाते रहे हैं, मगर वे फिल्म के भीतर होते थे, जिन्हें दर्शक फिल्मी परदे पर जाकर देखता रहा है। लेकिन अब ऐसे बेशर्म गाने की पब्लिसिटी सोशल मीडिया के माध्यम से ओपन करके दर्शकों का ध्यान खींचा जा रहा है ताकि फिल्म को प्रदर्शन से पहले जबरदस्त प्रचार मिले, यह अशोभनीय है। कुछ ऐसा ही डांस माधुरी दीक्षित ने बेटा फिल्म में धक धक करने लगा से किया था, लेकिन उन्होंने वक्षस्थल को छोड़कर किसी अंग की खुले में नुमाइश नहीं की थी। फिल्म जॉनी मेरा नाम में पद्मा खन्ना ने हुस्न के लाखों रंग से केवल पेन्टी पहनकर डांस किया था जो वल्गर जरुर था, मगर तब ऐसे नृत्यों की खुलेआम पब्लिसिटी नहीं होती थी। अब जमाना परदे से निकलकर मोबाइल के माध्यम से सोशल मीडिया पर आ गया है और सोशल मीडिया का अर्थ होता है सामाजिक पत्रकारिता।

सवाल यही उठता है कि सामाजिक पत्रकारिता की आड़ में फिल्म पठान में ऐसे डांस को समाज के लिये गंदगी के रुप में क्यों परोसा जा रहा है? ये फिल्म निर्माता को विचार करना चाहिये कि क्या आपके प्रचार का माध्यम केवल और केवल नग्नता दिखाना ही रह गया है।

गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने फिल्म को बैन करने की घोषणा कर दूसरे राज्यों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। कायदे से इस फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा ही बैन कर देना चाहिये था। यह इस गाने को फिल्म से हटा देना चाहिये जो इस फिल्म में दीपिका को भगवा वस्त्र पहनाना भी षड़यंत्र और दिमागी कट्टरता का सबूत देता है। जिस तरह से आमिर खान ने अपनी फिल्म पी के में भगवान शिव के रुप में हास्य दृश्य फिल्माकर भद्दा चित्रण किया था, उसी तरह शाहरुख खान ने भी हिन्दू धर्म का मखौल उड़ाने के लिये भगवा वस्त्र का सहारा लिया है। बाकी कसर दीपिका ने पूरी कर दी है जो शायद पूरे वस्त्र भी उतार देती तो कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि रणवीर और उनकी पत्नी दीपिका को शायद नंगे होने का बहुत शौक हो गया है और वे समाज के नाम पर धब्बा बनते जा रहे हैं। देश के सामाजिक संगठनों को चाहिये कि अब ऐसी नग्नता को रोकने के लिये मुखर होकर अभियान चलाए।