

There is no Harm in Burning UC Waste : यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने से नुकसान नहीं, 3 ट्रायल रन की स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश!
Jabalpur : यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाए जाने के ट्रायल रन से किसी तरह का कोई नुकसान सामने नहीं आया। मध्यप्रदेश सरकार ने ट्रायल रन की स्टेटस रिपोर्ट गुरुवार को हाईकोर्ट में पेश की। रिपोर्ट में बताया गया कि ट्रायल रन सफल रहा। अभी तक करीब 270 किलो प्रति घंटे की दर से कचरा जलाया गया। इसकी रिपोर्ट भी पूरी तरह से सफल रही। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने इस स्टेटस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले की अगली सुनवाई 30 जून को नियत कर दी।
हाई कोर्ट को सरकार ने जानकारी दी कि अगर इसी स्पीड से कचरा जलाया जाता है तो आगामी 72 दिनों में पूरा कचरा जला दिया जाएगा। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 72 दिनों में जहरीला कचरा जलाकर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। सरकार को यह निर्देश भी दिए गए हैं कचरा जलाने के मामले में नियमों का पूरी तरह से पालन हो और किसी भी तरह की लापरवाही न बरती जाए। वहां रहने वालों को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए।
ट्रायल रन के पहले चरण में 27 फरवरी से 135 किलो कचरा प्रति घंटे जलाया गया। दूसरे चरण में चार मार्च से 180 किलो कचरा प्रति घंटा जलाया गया। तीसरे व अंतिम चरण में 10 मार्च से 270 किलो कचरा प्रति घंटा जलाया गया था। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में ही यह पूरा कचरा जलाना चाहिए। आपत्तिकर्ता की ओर से भी कोर्ट में वकील पेश हुए, जिन्होंने सरकार की रिपोर्ट पर सहमति जताई। मामले की अगली सुनवाई अब जून में है।
राख को जमीन में गड्ढा खोदकर दबाया जाएगा
रिपोर्ट के अनुसार करीब 300 टन (कुल 337 टन में से 30 टन जलाया जा चुका है) कचरा जलने पर 900 टन राख निकलेगी, जिसे जमीन में गड्ढा खोदकर दबाया जाएगा। इसमें
अन्य पदार्थ भी मिलाए जा रहे हैं
बता दें, कचरे में विषैले तत्वों के नियंत्रण के लिए चूना व अन्य पदार्थ भी मिलाए जा रहे हैं, इसलिए अवशेष ज्यादा निकल रहा है।
850 से 1100 डिग्री सेल्सियस पर कचरे को जलाया गया
यूनियन कार्बाइड के 30 टन कचरे को अब तक ट्रायल रन के तहत 12 दिन में जलाकर नष्ट किया गया। पीथमपुर में रि-सस्टेनेबिलिटी कंपनी के भस्मक संयंत्र में 850 से 1100 डिग्री सेल्सियस पर इस कचरे को भस्म किया गया, ताकि इसमें मौजूद हानिकारक तत्व पूर्ण रूप से नष्ट हो जाएं। इस कचरे में यूनियन कार्बाइड परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष हैं। इन्हें जलाने के दौरान पारा, डायक्सीन, सल्फर डाइआक्साइड भी बनते हैं। इसके नियंत्रण के लिए इसमें चूना और एक्टिवेटेड कार्बन मिलाया जाता है।
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निकलने वाली गैस का भी ट्रीटमेंट
कचरा जलने के बाद बनी फ्लू गैस को स्प्रे डायर में भेजकर उस पर पानी का छिड़काव किया जाता है। गैस को तेजी से ठंडा करने से दोबारा हानिकारक तत्व नहीं बनते। इस गैस को मल्टी साइक्लोन मशीन से गुजारा जाता है। इससे भारी कण अलग हो जाते हैं। फिर गैस को ड्राय स्क्रबर से गुजारा जाता है। वहां चूना, एक्टिवेटेड कार्बन व सल्फर के मिश्रण का छिड़काव गैस पर किया जाता है। इस प्रक्रिया में गैस से सभी एसिडिक तत्व जैसे सल्फर डाइआक्साइड, सल्फर ट्राइआक्साइड और हाइड्रो क्लोरिक एसिड को खत्म कर दिया जाता है। फिर गैस को 35 मीटर ऊंची चिमनी से वातावरण में छोड़ा जाता है। चिमनी में लगे सेंसर से गैस में हानिकारक तत्वों की लगातार निगरानी की जाती है।