

PAK चैनल्स की वापसी पर मचा बवाल! सरकार की सख्ती पर सवाल, सिने वर्कर्स का फूटा गुस्सा, पहले के सरकारी बयान भी कटघरे में!
– राजेश जयंत
भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी दिख रही है। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने अप्रैल 2025 में पाकिस्तानी चैनलों और कलाकारों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर सख्त बैन लगाया था। उस वक्त गृह मंत्रालय की सिफारिश पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि यह फैसला “राष्ट्रीय सुरक्षा और जनभावनाओं” को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। सरकार ने साफ कहा था कि पाकिस्तानी चैनल्स और कलाकारों के अकाउंट्स पर बैन इसलिए लगाया गया, क्योंकि वे भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ भड़काऊ, झूठी और भ्रामक सूचनाएं फैला रहे थे, जिससे देश की एकता और शांति को खतरा था। इसी आदेश के तहत डॉन न्यूज, समा टीवी, जियो न्यूज समेत 16 पाकिस्तानी चैनल्स और फवाद खान, माहिरा खान, आतिफ असलम जैसे कई कलाकारों के सोशल मीडिया अकाउंट्स को भारत में ब्लॉक कर दिया गया था।
इतना ही नहीं, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी ओटीटी और मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी आदेश दिया था कि वे पाकिस्तानी फिल्में, गाने, वेब-सीरीज और किसी भी तरह के कंटेंट को भारत में प्रसारित न करें। मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा था कि पाकिस्तान से जुड़े किसी भी कंटेंट को दिखाना देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा है। उस वक्त देशभर में इस फैसले का स्वागत हुआ था और लोगों को लगा था कि अब दुश्मन देश के कंटेंट को भारत में कोई जगह नहीं मिलेगी।
लेकिन अब, कुछ ही महीनों बाद, वही बैन किए गए पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल्स और आर्टिस्ट्स के इंस्टाग्राम अकाउंट्स भारत में फिर से दिखने लगे हैं। फवाद खान, माहिरा खान, आतिफ असलम, हानिया आमिर जैसे बड़े नामों के अकाउंट्स और चैनल्स की वापसी ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। लोग पूछ रहे हैं- आखिर सरकार की सख्ती कहां गई? क्या बैन सिर्फ दिखावे के लिए था…?
क्या सरकार अपने ही आदेशों पर अमल नहीं कर पा रही या कोई तकनीकी चूक हुई है…?
ऑल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन (AICWA) ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा है। एसोसिएशन ने साफ कहा है कि- पाकिस्तानी कंटेंट की वापसी शहीदों और उनके परिवारों का अपमान है। खत में लिखा गया- “पाकिस्तानी चैनल्स और कलाकारों को भारत में दिखाना उन बहादुर जवानों की शहादत का मजाक है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दी।” एसोसिएशन ने सरकार से तुरंत एक्शन की मांग की है- “पाकिस्तानी चैनल्स और अकाउंट्स को हमेशा के लिए बैन किया जाए।”
“सोशल मीडिया पर नाराजगी”
सोशल मीडिया पर भी जनता का गुस्सा फूट रहा है। लोग सरकार से जवाब मांग रहे हैं- क्या ये बैन सिर्फ चुनावी स्टंट था…? क्या सरकार की नजर में शहीदों की कुर्बानी का कोई मोल नहीं? कई यूजर्स ने ये तक पूछ लिया कि कहीं चैनल-मालिकों और सरकार के बीच कोई सेटिंग तो नहीं…?
फिलहाल, नए अकाउंट्स और चैनल्स के दोबारा दिखने पर सरकार या सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से कोई ताजा आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जब देश में 140 करोड़ लोग पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट हैं, तो दुश्मन देश का कंटेंट कैसे फिर से इंडिया में दिखने लगा..?
क्या ये सरकार की लापरवाही है या किसी की मिलीभगत?
अब सबकी नजरें सरकार पर टिकी हैं- क्या वो इस बार सच में एक्शन लेगी या फिर से सबकुछ ठंडे बस्ते में डाल देगी…?
देश की जनता और सिने वर्कर्स दोनों जवाब मांग रहे हैं, शहीदों की शहादत का सम्मान होगा या फिर से सिर्फ बयानबाज़ी चलेगी?