जून के पहले MP में होगा यूरिया का 80 फीसदी एडवांस भंडारण, नहीं होगा खाद का संकट

विक्रय केन्द्र किए दुगने,खाद लेने किसानों को 20 किलोमीटर से दूर नहीं जाना पड़ेगा

468

जून के पहले MP में होगा यूरिया का 80 फीसदी एडवांस भंडारण, नहीं होगा खाद का संकट

भोपाल: हर साल फसल बोनी के पहले यूरिया, डीएपी, एमओपी, एनपीके जैसी खाद की कमी से दो-चार होते रहे किसानों को इस बार संकट से नहीं जूझना पड़ेगा। कृषि विभाग सीजन आने से पहले ही यूरिया सहित सभी आवश्यक रासायनिक उर्वरकों की जरुरत का अस्सी फीसदी अग्रिम भंडारण कर लेगा। किसानों को खाद उपलब्ध कराने के लिए हर साल 280 केन्द्र खोले जाते थे अब उनकी संख्या बढ़ाकर 520 की जा रही है। एक जून से पूरे प्रदेश में रासायनिक उर्वरक का वितरण शुरु हो जाएगा। अब किसानों को अपने गांव से बीस किलोमीटर के दायरे में ही रासायनिक उर्वरक की उपलब्धता हो जाएगी।

कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक बर्णवाल ने विभाग की जिम्मदारी मिलने के बाद सबसे पहले प्रदेश के किसान की जरुरतों का आंकलन कर आने वाली समस्याओं को दूर करने पर फोकस किया। इसी का परिणाम है कि पहली बार खरीफ और रबी सीजन में लगने वाली यूरिया, डीएपी, एनपीके, एमओपी खादों का एडवांस में भंडारण कर लिया गया है। इससे सीजन के समय किसानों को आसानी से खाद मिल जाएगी। मार्कफेड के जरिए इस बार 520 खाद विक्रय केन्द्र भी खोले जा रहे है। प्रदेश में खरीफ और रबी के लिए तेरह लाख पचास हजार मीट्रिक टन यूरिया, डीएपी, एमओपी, एनपीके की जरुरत होती है।

पिछले साल इस अवधि तक साढ़े पांच लाख रासायनिक उर्वरक का भंडारण किया गया था। इस वर्ष अभी तक 6 लाख 88 हजार मीट्रिक टन यूरिया का भंडारण किया जा चुका है।रोजाना यूरिया और अन्य रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति मध्यप्रदेश में हो रही है। अप्रैल अंत तक 7 लाख 80 हजार मीट्रिक टन यूरिया और अन्य खादों का भंडारण कर लिया जाएगा। 31 मई तक दस लाख अस्सी हजार मीट्रिक टन यूरिया और अन्य खाद का भंडारण हो जाएगा।

अभी इतना स्टॉक-
यूरिया 3 लाख 42 हजार मीट्रिक टन, डीएपी 2 लाख 76 हजार मीट्रिक टन, एनपीके 66 हजार मीट्रिक टन का एडवांस भंडारण किया जा चुका है।

वर्जन-
प्रदेश के किसानों को सीजन की बोनी से पहले यूरिया और अन्य रासायनिक उर्वरक उपलब्ध हो सके इसके लिए सीजन से पहले अस्सी फीसदी एडवांस भंडारण करने का लक्ष्य तय किया है। बिक्री केन्द्र भी दुगने किए जा रहे है। इस बार कहीं किसी तरह की उर्वरक किल्लत नहीं होगी।